नवजीवन में नव आशा से
नव नूतन कुछ कर्म करें
नव भक्ति से नव शक्ति से
शुभ नया वर्ष प्रारम्भ करें !
नयी सोच हो नए इरादे
नव सरिता की गागर हो
लक्ष्य नए आयाम नए
नव अभिलाषा का सागर हो !
नव बातें नव किस्सें हो
पर पीपल वही पुराना हो
हो ताल नयी हो राग नए
पर मन में वही तराना हो !
हो नया जोश हो नया सफ़र
नव नौका हो नव धारा हो
नव रिश्तें हों नव जीवन के
पर प्रेम पुरातन प्यारा हो !
जो बीत गया सो बीत गया
अब प्रिय नया संघर्ष करें
नव खुशियों से नव चाहत से
शुभ नया वर्ष प्रारंभ करें !!
© हरि प्रकाश दुबे
"मौलिक व अप्रकाशित"
Comment
आपका हार्दिक आभार आदरणीय राम शिरोमणि पाठक जी !
"आदरणीय इं. गणेश जी "बागी" सर, रचना पर आपकी उपस्तिथि एवम् उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया के लिए आपका हार्दिक आभार , सादर !
वाह वाह, क्या बात है .....
//नव बातें नव किस्सें हो
पर पीपल वही पुराना हो//
बहुत ही उम्दा सोच, रचना बहुत पसंद आयी, एक ठोस प्रस्तुति पर हृदय से बधाई आदरणीय हरिप्रकाश दुबे जी .
आपके उत्साहवर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार आदरणीय शिज्जु "शकूर" जी !सादर
आदरणीय डॉक्टर विजय शंकर सर , रचना पर समर्थन के लिए आपका आभार ,आपको भी नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनायें ! सादर
शिशिर जी ,आपको भी नव वर्ष की शुभकामनायें , इस मंच पर पोस्ट करते रहिये , बहुत ही गुणीजन हैं यहाँ पर सभी का मार्दर्शन मिलता रहेगा आपको , बाकी अभ्यास से आ जाता है ! आपका धन्यवाद !
आदरणीय हरिप्रकाशजी बहुत सुंदर प्रवाहमय गीत है बहुत बहुत बधाई आपको इस रचना के लिये
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