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ग़ज़ल - बुलावा आज भी आता है, नदियों कोहसारों से ( गिरिराज़ भंडारी )

१२२२     १२२२     १२२२     १२२२२

कभी  आवाज  की  सूरत , कभी केवल  इशारों से

बुलावा  आज  भी  आता है , नदियों  कोहसारों से   

 

मैं प्यासा  तो  नहीं  हूँ पर  सराबों  से ये  पूछूंगा   

कि  बदली  क्यूँ  गुजरती ही  नहीं  है रेगजारों से

 

बड़ी   बेताब  सी  लहरें  बढ़ी  तो  हैं  ज़रा  देखें

वो  कहना  चाहती है क्या, अभी जाकर किनारों से

 

अभी  मायूसियाँ  छाई  हुयी हैं दिल में अन्दर तक

अभी कुछ दिन न आये घर , कोई कह दे बहारों से

 

जो  भटका  रहनुमाँ ही हो, तो राहें  क्या करें यारों

शिकायत  बेसबब  क्यूँ  कर रहे  हो  रहगुजारों से

 

विदा  के  वक़्त  डोली  में  जो  बैठेगी  मेरी बेटी

कभी  धीमा चले कहना , कभी थम थम कहारों से

 

ग़रीबी  है  उदासी  है ,  कहीं  है  भूख   लाचारी

इन्हीं  रंगों को ले खुशियाँ  रचेंगे  हम  नजारों से

 

बहुत  रोते  हुए  नग्मे   सुने , गाये  उदासी  को 

रगों  में  बिजलियाँ भर दो कहो नगमा निगारों से

**********************************************

मौलिक एवँ अप्रकाशित

Views: 733

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Comment by ram shiromani pathak on January 4, 2015 at 3:34pm
बहुत सुन्दर ग़ज़ल आदरणीय।।हार्दिक बधाई आपको
Comment by Hari Prakash Dubey on January 4, 2015 at 2:53pm

बुलावा  आज  भी  आता है , नदियों  कोहसारों से.......आदरणीय गिरिराज भंडारी सर ,बहुत ही सुन्दर रचना है ! हार्दिक बधाई , सादर !

 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on January 4, 2015 at 11:12am

आदरणीय शिज्जु भाई , बहुत बहुत आभार आपका गज़ल की सराहना के लिये ।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on January 4, 2015 at 11:11am

आदरणीय दिनेश भाई , सराहन और उत्साह वर्धन के लिये आपका हार्दिक आभार ।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on January 4, 2015 at 11:11am

हौसला अफज़ाई के लिये बहुत बहुत शुक्रिया , आदरनीय अनुराग भाई !!


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on January 4, 2015 at 10:24am

बहुत बढ़िया ग़ज़ल आदरणीय गिरिराज जी बहुत बहुत बधाई आपको

Comment by दिनेश कुमार on January 4, 2015 at 10:00am
Aik se badkar aik sher....waaaah sir ji...waaaaaaaah
Comment by Anurag Prateek on January 4, 2015 at 7:17am

जो  भटका  रहनुमाँ ही हो, तो राहें  क्या करें यारों

शिकायत  बेसबब  क्यूँ  कर रहे  हो  रहगुजारों से --= kya baat hai

Comment by Anurag Prateek on January 4, 2015 at 7:16am

poori gazal waaaaaaaaaaaaaaah wah adarniya

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