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प्यार दिल का योग है जी !
ये भी* तो इक रोग है जी !!
आज जिसको प्यार कहते !
जिस्म का बस भोग है जी !!
जुर्म माना इश्क को कब !
ये सदा इक जोग है जी !!
कुंडली* को तुम देख लेना !
उसमे* भी धनयोग है जी !!
साथ सच्चा मिल गया हो !
तो बड़ा संयोग है जी !!
दर्द सबका ले लिया तो !
ये सही उपयोग है जी !!
जान का जब साथ हो तो !
तो यही संजोग है जी !!
काम में गर साथ दे हम !
ये मिरा सहयोग है जी !!
(मौलिक एवम अप्रकाशित )
** आलोक **
मथुरा
Comment
कुंडली* को तुम देख लेना !
उसमे* भी धनयोग है जी......सुन्दर रचना ,बधाई आदरणीय आलोक जी !
ग़ज़ल के माध्यम से बहुत अच्छी बातें कहीं है आपने आदरणीय//बहुत सुन्दर ग़ज़ल //हार्दिक बधाई आपको
बढ़िया ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाइयाँ. .. |
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