२१२२ २१२२
घिर गया है मर्द यारा !
कौन है हमदर्द यारा !!
लोग आते बात करते !
दे गये सरदर्द यारा !!
आज गुस्से में है बीवी !
दे दिया है दर्द यारा !!
यार अब तो बात करना !
मत दिखाना फर्द यारा !! (फर्द -सूची )
वो परेशां है बहुत अब !
उसको देना कर्द यारा !!
मत खड़े हो सब यहाँ पर !
लो गिरी है गर्द यारा !!
लो रजाई साथ में भी !
रात होती सर्द यारा !!
(मौलिक और अप्रकाशित )
** आलोक **
मथुरा
Comment
आदरणीय आलोक भाई , छोती बहर मे बहुत सुन्दर गज़ल हुई है , दिली बधाइयाँ स्वीकार करें ।
गज़ल लिखना भी एक लिहाज़ है
तिरा अंदाज़ भी क्या अंदाज़ है |
दाद देने के नही काबिल हूँ लेकिन
बहुत खूब तिरा अंदाज़ है |
वाह खूब काफिया कमाल है खूब निभाया है बधाई
यार अब तो बात करना !
मत दिखाना फर्द यारा
क्या ये दोष है या नहीं गुनी बताएँगे ......
आदरणीय आलोक जी
क्या बात है i बहुत सुन्दर i
आदरणीय आलोक मित्तल जी सुन्दर रचना .... आज गुस्से में है बीवी ! दे दिया है दर्द यारा !! बधाई
आदरणीय आलोक मित्तल जी इस बेहतरीन ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई
घिर गया है मर्द यारा !
कौन है हमदर्द यारा !!
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