For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल (राज अब कौन सा छुपाता है )

2122 1212 22

 

रोज किसके यहाँ तू* जाता है,

राज अब कौन सा छुपाता है !!

 

है इमां साथ में अगर तेरे,

साथ वो दूर तक निभाता है !!

 

जब रहे साथ साथ हम दोनों

प्यार का गीत तब ही* भाता है !!

 

देखता हूँ अजीब से सपने,

नीद को कौन आ चुराता है !!

 

आज बनना सभी को* है टाटा,

ख्व़ाब बुनना तो सबको* आता है !!

 

शोक इतने  नहीं किया करते,

बस यही जिंदगी का* नाता है !!

 

लालसा मत करो कभी इतनी ,

क्योकि कोई बड़ा न दाता है !!

 

"मौलिक व अप्रकाशित"

** आलोक **

मथुरा

Views: 680

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Alok Mittal on March 16, 2015 at 7:00pm

आदरणीय Shyam Mathpal जी....दिल से आपका आभार

Comment by Alok Mittal on March 16, 2015 at 6:59pm

आदरणीय गिरिराज भंडारी जी....बहुत बहुत आभार आपका ..

Comment by Alok Mittal on March 16, 2015 at 6:59pm

आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी....बहुत बहुत आभार आपके सुभाव का ..जरूर में इसे सही कर लूँगा आदरणीय

Comment by Alok Mittal on March 16, 2015 at 6:57pm

आदरणीय डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव जी...बहुत बहुत आभार आपका

Comment by Alok Mittal on March 16, 2015 at 6:57pm

आदरणीय maharshi tripathi जी....दिल से आपका बहुत आभार

Comment by Shyam Mathpal on March 16, 2015 at 3:51pm

Aadarniya Alok Mittal ji,

Sundar rachna ke liye badhai.


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on March 16, 2015 at 11:38am

आदरनीय आलोक भाई , छोटी बहर मे6 अच्छी ग़ज़ल हुई है , हार्दिक बधाइयाँ । आदरणीय मिथिलेश भाई जी की बात मुझे भी सही लग रही है , फ्लो जियादा सही लग रहा है ॥


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on March 16, 2015 at 3:52am
आदरणीय आलोक जी छोटी बह्र की सुन्दर ग़ज़ल हुई है शेर दर शेर दाद कुबूल फरमाये

एक मिसरे में बदलाव निवेदित है
है अगर साथ में ते*रे ईमां
साथ वो दूर तक निभाता है।
Comment by Hari Prakash Dubey on March 16, 2015 at 3:48am

आदरणीय आलोक मित्तल जी ,सुन्दर रचना ,बधाई आपको !

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on March 15, 2015 at 10:20pm

सुन्दर प्रयास है .

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, प्रस्तुति पर आपसे मिली शुभकामनाओं के लिए हार्दिक धन्यवाद ..  सादर"
57 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

आदमी क्या आदमी को जानता है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२२/२१२२/२१२२ कर तरक्की जो सभा में बोलता है बाँध पाँवो को वही छिप रोकता है।। * देवता जिस को…See More
yesterday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
yesterday
Sushil Sarna posted blog posts
Thursday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Nov 5
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

देवता क्यों दोस्त होंगे फिर भला- लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२२/२१२२/२१२ **** तीर्थ जाना  हो  गया है सैर जब भक्ति का यूँ भाव जाता तैर जब।१। * देवता…See More
Nov 5

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey posted a blog post

कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ

२१२२ २१२२ २१२२ जब जिये हम दर्द.. थपकी-तान देते कौन क्या कहता नहीं अब कान देते   आपके निर्देश हैं…See More
Nov 2
Profile IconDr. VASUDEV VENKATRAMAN, Sarita baghela and Abhilash Pandey joined Open Books Online
Nov 1
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब। रचना पटल पर नियमित उपस्थिति और समीक्षात्मक टिप्पणी सहित अमूल्य मार्गदर्शन प्रदान करने हेतु…"
Oct 31
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर अमूल्य सहभागिता और रचना पर समीक्षात्मक टिप्पणी हेतु…"
Oct 31
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेम

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेमजाने कितनी वेदना, बिखरी सागर तीर । पीते - पीते हो गया, खारा उसका नीर…See More
Oct 31
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय उस्मानी जी एक गंभीर विमर्श को रोचक बनाते हुए आपने लघुकथा का अच्छा ताना बाना बुना है।…"
Oct 31

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service