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प्यार दिल का योग है जी !
ये भी* तो इक रोग है जी !!
आज जिसको प्यार कहते !
जिस्म का बस भोग है जी !!
जुर्म माना इश्क को कब !
ये सदा इक जोग है जी !!
कुंडली* को तुम देख लेना !
उसमे* भी धनयोग है जी !!
साथ सच्चा मिल गया हो !
तो बड़ा संयोग है जी !!
दर्द सबका ले लिया तो !
ये सही उपयोग है जी !!
जान का जब साथ हो तो !
तो यही संजोग है जी !!
काम में गर साथ दे हम !
ये मिरा सहयोग है जी !!
(मौलिक एवम अप्रकाशित )
** आलोक **
मथुरा
Comment
आ. मिथिलेश वामनकर जी....दिल से आपका आभार
आ. डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव जी....बेहद शुक्रिया आपका
आ. Hari Prakash Dubey जी....बहुत बहुत शुक्रिया आपका
आ. ram shiromani pathak जी....दिल से आभार आपका
वाहहहहह अच्छी गजल साहब
बढ़िया ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाइयाँ. ..
आदरणीय Shyam Narain Verma जी...आपका दिल से आभार
आज जिसको प्यार कहते !
जिस्म का बस भोग है जी !!
आदरणीय आलोक मित्तल साहब खुबसूरत ग़ज़ल हुई है |सादर अभिनन्दन |
बढ़िया और सुन्दर प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाइयाँ. ..
सुन्दर प्रयास
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