For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

''माँ भैया का अंतरजातीय विवाह तो आपने आसानी से स्वीकार कर लिया था फिर मेरे अंतरजातीय विवाह के लिए इंकार क्यों कर रही हो.'' छोटे बेटे ने माँ से बहस करते हुए कहा.

माँ ने कहा, "उसने तो हमसे उच्च वर्ग की लड़की पसंद की थी पर तुम्हारी पसंद तो हम से नीची जाति की है. नीची जाति की लड़की हम कैसे स्वीकार कर सकते हैं."

-श्रद्धा थवाईत

मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 436

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on January 7, 2015 at 8:01pm

अच्छा विषय उठाया है आपने , बधाई ।

Comment by harikishan ojha on January 7, 2015 at 10:46am

बधाई हो बहुत अच्छी लगी

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on January 6, 2015 at 6:45pm

एक अनूठे विषय पर, बहुत ही बढ़िया लघुकथा आदरणीया श्रद्धा जी. बधाई

Comment by Hari Prakash Dubey on January 6, 2015 at 5:20pm

आदरणीया श्रद्धा थवाईत जी, लघुकथा को सार्थक करती  सुन्दर प्रस्तुति  के लिए हार्दिक बधाई !

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on January 6, 2015 at 3:27pm

रूढिग्रस्त मानसिकता  को पोल खोलती कथा i

Comment by somesh kumar on January 6, 2015 at 10:38am

sunder vishy aur achi prstuti hai is lghuktha me


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on January 5, 2015 at 9:22pm

सदियों से बेटे और बेटी के लिए एक ही नियम लागू नहीं हुआ है, इस कहानी में भी यही तत्व उभर कर सामने आ रहा है, बधाई आदरणीया श्रद्धा जी. 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on January 5, 2015 at 8:17pm

सफल लघुकथा ....बढ़िया और सन्देश सम्प्रेषण में सफल प्रस्तुति  के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें....

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Ashok Kumar Raktale commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post पहलगाम ही क्यों कहें - दोहे
"आदरणीय भाई लक्ष्मण धामी जी सादर, पहलगाम की जघन्य आतंकी घटना पर आपने अच्छे दोहे रचे हैं. उस पर बहुत…"
10 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post दोहा चतुर्दशी (महाकुंभ)
"आदरणीय सुरेश कल्याण जी, महाकुंभ विषयक दोहों की सार्थक प्रस्तुति के लिए हार्दिक धन्यवाद. एक बात…"
12 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post दोहा सप्तक
"वाह वाह वाह !  आदरणीय सुरेश कल्याण जी,  स्वामी दयानंद सरस्वती जैसे महान व्यक्तित्व को…"
12 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post मौत खुशियों की कहाँ पर टल रही है-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"जय हो..  हार्दिक धन्यवाद आदरणीय "
18 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post पहलगाम ही क्यों कहें - दोहे
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी,  जिन परिस्थितियों में पहलगाम में आतंकी घटनाओं को अंजाम दिया गया, वह…"
19 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी left a comment for Shabla Arora
"आपका स्वागत है , आदरणीया Shabla jee"
yesterday
Shabla Arora updated their profile
yesterday
Shabla Arora is now a member of Open Books Online
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . अपनत्व
"आदरणीय सौरभ जी  आपकी नेक सलाह का शुक्रिया । आपके वक्तव्य से फिर यही निचोड़ निकला कि सरना दोषी ।…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"शुभातिशुभ..  अगले आयोजन की प्रतीक्षा में.. "
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"वाह, साधु-साधु ऐसी मुखर परिचर्चा वर्षों बाद किसी आयोजन में संभव हो पायी है, आदरणीय. ऐसी परिचर्चाएँ…"
Sunday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"आदरणीय सौरभ जी सादर प्रणाम, प्रदत्त विषयानुसार मैंने युद्ध की अपेक्षा शान्ति को वरीयता दी है. युद्ध…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service