For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल - दिल में सुलगा हुआ शरर देखा ( गिरिराज भंडारी )

२१२२    १२१२    २२ /११२

फिर  से उगता हुआ  जो पर देखा

तो बहुत  झूम  झूम   कर  देखा

 

धूप  में  झुलसा  हर  बशर  देखा   

तन  पसीने  से  तर ब तर  देखा

 

जल  सके  आग,  कोशिशें   देखीं

दिल  में  सुलगा  हुआ शरर  देखा

 

कारवाँ   साथ  था  चला   लेकिन

खुद को ही खुद का हम सफ़र देखा

 

सर परस्ती   रही   सियासत  की

ज़ुर्म  कर जो   झुका न सर  देखा

 

हद  के  बाहर  दुआ  में हाथ  उठे  

हर  , अमल  में  बहुत कसर देखा

 

ताज  में ताब  थी या  सर में  थी  

जाना, जब  सर को बे असर  देखा

 

आदतें     छोड़ती    नहीं   यारों

पीछे  आतीं  हैं, भाग  कर   देखा

*******************************

मौलिक एअव अप्रकाशित

Views: 895

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on January 13, 2015 at 11:08am

फिर  से उगता हुआ  जो पर देखा

तो बहुत  झूम  झूम   कर  देखा

बहुत खूब ... आ0 भाई गिरिराज जी , बहुत बेहतरीन ग़ज़ल हुई हैं.  हार्दिक बधाई .


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on January 13, 2015 at 7:36am

आदरणीय विजय भाई , आपकी उत्साह वर्धन करती प्रतिक्रिया के लिये बहुत बहुत आभार ।

Comment by Dr. Vijai Shanker on January 12, 2015 at 10:15pm
सर परस्ती रही सियासत की
ज़ुर्म कर जो झुका न सर देखा
बहुत खूब , आदरणीय गिरिराज भंडारी जी, बधाई, सादर।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on January 12, 2015 at 9:08pm

आदरणीय गुमनाम भाई , आपकी उत्साहित करती प्रतिक्रिया के लिये आपका आभार ।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on January 12, 2015 at 9:06pm

आदरणीय हरि प्रकाश भाई , हौसला अफज़ाई के लिये आपका  तहे दिल से शुक्रिया ।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on January 12, 2015 at 9:05pm

आदरणीय श्याम नारायन भाई , आपका बहुत शुक्रिया ।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on January 12, 2015 at 9:05pm

आदरणीय बड़े भाई , आपकी स्नेहिल सराहना के लिये आपका आभारी हूँ ।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on January 12, 2015 at 9:04pm

आदरणीय मदन मोहन भाई , उत्साह वर्धन के लिये आपका बहुत शुक्रिया ।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on January 12, 2015 at 9:03pm

आदरणीय मिथिलेश भाई , गज़ल की  सराहना कर उत्साह वर्धन करने के लिये आपका दिली आभार ।

Comment by gumnaam pithoragarhi on January 12, 2015 at 8:20pm

इस बेहतरीन ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई सर

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185

परम आत्मीय स्वजन, ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 185 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
yesterday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, प्रस्तुति पर आपसे मिली शुभकामनाओं के लिए हार्दिक धन्यवाद ..  सादर"
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

आदमी क्या आदमी को जानता है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२२/२१२२/२१२२ कर तरक्की जो सभा में बोलता है बाँध पाँवो को वही छिप रोकता है।। * देवता जिस को…See More
Tuesday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Monday
Sushil Sarna posted blog posts
Nov 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Nov 5
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

देवता क्यों दोस्त होंगे फिर भला- लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२२/२१२२/२१२ **** तीर्थ जाना  हो  गया है सैर जब भक्ति का यूँ भाव जाता तैर जब।१। * देवता…See More
Nov 5

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey posted a blog post

कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ

२१२२ २१२२ २१२२ जब जिये हम दर्द.. थपकी-तान देते कौन क्या कहता नहीं अब कान देते   आपके निर्देश हैं…See More
Nov 2
Profile IconDr. VASUDEV VENKATRAMAN, Sarita baghela and Abhilash Pandey joined Open Books Online
Nov 1
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब। रचना पटल पर नियमित उपस्थिति और समीक्षात्मक टिप्पणी सहित अमूल्य मार्गदर्शन प्रदान करने हेतु…"
Oct 31
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर अमूल्य सहभागिता और रचना पर समीक्षात्मक टिप्पणी हेतु…"
Oct 31

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service