For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ठण्ड भयानक पड़ने लगी थी और विभिन्न समाजसेवी संस्थाएं रोज लोगों से अपील कर रही थीं कि सड़क के किनारे रह रहे लोगों को गर्म वस्त्र दान करें | सड़क पर तमाम न्यूज़ चैनल की गाड़ियां घूम रही थीं और इन कार्यक्रमों को दिखा रही थीं |
उस मोहल्ले के आखीर में भी एक भिखारी सड़क पर पड़ा हुआ था | कुछ लोगों ने उसे ऊनी कम्बल इत्यादि दान किये और ये भी उन चैनल्स ने कैमरों में कैद किया लेकिन उसकी हल्की बुदबुदाहट पर किसी ने ध्यान नहीं दिया |
सुबह वो भिखारी मरा पड़ा था | लोग खाने के लिए देना भूल गए थे |

मौलिक एवम अप्रकाशित

Views: 746

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by विनय कुमार on January 24, 2015 at 1:33am

बहुत बहुत आभार आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी..


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on January 23, 2015 at 10:37pm
"लोग खाने के लिए देना भूल गए थे।" करारा झटका देती पंक्ति। सफल लघुकथा । हार्दिक बधाई स्वीकार करें।
Comment by विनय कुमार on January 23, 2015 at 10:31pm

बहुत बहुत आभार आदरणीय डॉ विजय शंकर जी..

Comment by विनय कुमार on January 23, 2015 at 10:30pm

बहुत बहुत आभार आदरणीय वीर मेहता जी , ये भी एक कड़वी सच्चाई है..

Comment by Dr. Vijai Shanker on January 23, 2015 at 10:24pm
" लोग खाने के लिए देना भूल गए थे | "
ह्रदय को छू लेती हैं ऐसी कहानियां , बहुत ही मार्मिक चित्रण , आदरणीय विनय कुमार जी, बधाई, सादर।
Comment by VIRENDER VEER MEHTA on January 23, 2015 at 10:23pm
अति सुन्दर विनयजी। इस समाज की कुछ रीत ही ऐसी हो गयी है कि दान भी किसी की जरूरत देखकर नही अपनी वाह वाही को देखकर दिया जाता है।
Comment by विनय कुमार on January 23, 2015 at 10:10pm

बहुत बहुत आभार आदरणीया राजेसग कुमारी जी | दिखावा ही है सब जगह , सही सोच की कमी है समाज में ..


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on January 23, 2015 at 10:06pm

दिल छू गई ये मार्मिक लघु कथा पर सच्चाई यही है ....बहुत- बहुत बधाई 

Comment by विनय कुमार on January 23, 2015 at 9:57pm

बहुत बहुत आभार आदरणीय गुमनाम पिथौरागढ़ी जी..

Comment by विनय कुमार on January 23, 2015 at 9:56pm

बहुत बहुत आभार आदरणीय शिज्जु शकूर जी..

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
Tuesday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Apr 29
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Apr 28
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Apr 28
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
Apr 27
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
Apr 27
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Apr 27

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service