ठण्ड भयानक पड़ने लगी थी और विभिन्न समाजसेवी संस्थाएं रोज लोगों से अपील कर रही थीं कि सड़क के किनारे रह रहे लोगों को गर्म वस्त्र दान करें | सड़क पर तमाम न्यूज़ चैनल की गाड़ियां घूम रही थीं और इन कार्यक्रमों को दिखा रही थीं |
उस मोहल्ले के आखीर में भी एक भिखारी सड़क पर पड़ा हुआ था | कुछ लोगों ने उसे ऊनी कम्बल इत्यादि दान किये और ये भी उन चैनल्स ने कैमरों में कैद किया लेकिन उसकी हल्की बुदबुदाहट पर किसी ने ध्यान नहीं दिया |
सुबह वो भिखारी मरा पड़ा था | लोग खाने के लिए देना भूल गए थे |
मौलिक एवम अप्रकाशित
Comment
बहुत बहुत आभार आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी..
बहुत बहुत आभार आदरणीय डॉ विजय शंकर जी..
बहुत बहुत आभार आदरणीय वीर मेहता जी , ये भी एक कड़वी सच्चाई है..
बहुत बहुत आभार आदरणीया राजेसग कुमारी जी | दिखावा ही है सब जगह , सही सोच की कमी है समाज में ..
दिल छू गई ये मार्मिक लघु कथा पर सच्चाई यही है ....बहुत- बहुत बधाई
बहुत बहुत आभार आदरणीय गुमनाम पिथौरागढ़ी जी..
बहुत बहुत आभार आदरणीय शिज्जु शकूर जी..
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