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वेंटिलेटर (लघुकथा)

“सुनिए , जरा प्याज काट दीजिये । ”

“देख नहीं रही हो , अभी-अभी थक हार के घर लौटा हूँ ।”

अरे….मैं भी तो आज 5 बजे दफ्तर से आयीं हूँ ।

“हाँ तो कौन सा पहाड़ खोद कर आई हो ।”

“तो तुम ही कौन सा लोहा पिघला रहे थे ?”

“इतना सुनते ही पति ने चप्पल उठा के पत्नी के मुहँ पर दे मारी, पत्नी तमतमा कर आई और पास ही पड़ा जूता उठा कर पति के मुहँ पर जड़ दिया ।”

इधर खबर आ रही थी.. “अभी –अभी , वेंटिलेटर पर पड़ी भारतीय संस्कृति ने दम तोड़ दिया ।”  

© हरि प्रकाश दुबे

"मौलिक व अप्रकाशित”  

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Comment

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Comment by Hari Prakash Dubey on January 30, 2015 at 7:18pm

आदरणीय राम शिरोमणि पाठक जी बहुत बहुत आभार आपका !

Comment by Hari Prakash Dubey on January 30, 2015 at 7:16pm

सराहना हेतु आपका हार्दिक आभार , आदरणीय विनय जी !

Comment by ram shiromani pathak on January 30, 2015 at 3:34pm
बढ़िया व्यंग है आदरणीय।।बधाई
Comment by somesh kumar on January 30, 2015 at 11:19am

अच्छी लघुकथा है भाई जी |पर हाँ ,खबर से जुड़ाव नहीं लग रहा है |

Comment by विनय कुमार on January 30, 2015 at 12:11am

एक अच्छी लघुकथा हेतु बधाई आदरणीय हरी प्रकाश दुबे जी..


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on January 29, 2015 at 9:32pm

आदरणीय हरिप्रकाश जी, बहुत ही सुन्दर प्लाट पर आपने काम किया है, इसके लिए बधाई अर्पित करता हूँ. सभी साथियों ने पंच लाइन की तारीफ़ किये हैं, लेकिन पता नहीं क्यों मुझे यह पंच लाइन और शीर्षक दोनों नहीं जमा.

//इधर खबर आ रही थी.. “अभी –अभी , वेंटिलेटर पर पड़ी भारतीय संस्कृति ने दम तोड़ दिया ।”//

यह खबर आखिर किस सन्दर्भ में आ सकती है ? खबर यदि कोई Realistic होती जो अप्रत्यक्ष रूप से घटित घटना को परिभाषित करती तो आनंद आ जाता. 

Comment by Hari Prakash Dubey on January 29, 2015 at 6:07pm

आदरणीय गुमनाम भाई आपका  हृदय से आभार व्यक्त करता हूँ ,हार्दिक धन्यवाद !

Comment by Hari Prakash Dubey on January 29, 2015 at 6:05pm

आदरणीय हरिकिशन ओझा  जी बहुत - बहुत धन्यवाद ! सादर

Comment by Hari Prakash Dubey on January 29, 2015 at 9:23am

आदरणीय जितेन्द्र पस्टारिया साहब आशीष यूँ ही बनाये रखिये आपका आभार ! सादर 

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on January 29, 2015 at 9:12am

बहुत बेहतर प्रस्तुति, आदरणीय हरिप्रकाश जी. कम ही पंक्तियों में बहुत कसा हुआ चित्रण. बधाई स्वीकारें

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