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कभी अनाड़ी था वो आज नामी शायर है
कभी फ़ुज़ूल मशक़्क़त नहीं हुआ करती----------------vah vah ati sundar i
आ० दिनेश भाई बेहतरीन ग़ज़ल हुई है.हार्दिक बधाई स्वीकारें .
वाह वाह दिनेश भाई बेहतरीन ग़ज़ल हुई है. और ये तीन अशआर तो उम्दा हुए है
ज़बान दे के पलटना तुम्हें मुबारक हो
मैं ख़ुश हूँ, मुझसे तिज़ारत नहीं हुआ करती
मैं कैसे झूठ को सच और सच को झूठ कहूँ
कि एक दिन में ये आदत नहीं हुआ करती
कभी अनाड़ी था वो आज नामी शायर है
कभी फ़ुज़ूल मशक़्क़त नहीं हुआ करती
दिल से दाद कुबूल कीजिये ....
//कभी अनाड़ी था वो आज नामी शायर है
कभी फ़ुज़ूल मशक़्क़त नहीं हुआ करती//
वाह वाह, बहुत ही खुबसूरत शेर निकाला है, आदरणीय दिनेश जी ग़ज़ल अच्छी लगी जिसके लिए बहुत बहुत बधाई, अनुरोध है कि वजन अपडेट करा दें.
कहानियों में हक़ीक़त नहीं हुआ करती
बिना फरेब सियासत नहीं हुआ करती
ज़बान दे के पलटना तुम्हें मुबारक हो
मैं ख़ुश हूँ, मुझसे तिज़ारत नहीं हुआ करती
वाह शानदार शानदार और शानदार ग़ज़ल बनी है आदरणीय .... हार्दिक बधाई
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