For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

"आप का नाम क्या है ?" बगल में आई नयी पड़ोसन ने पूछा |
वो सोच में पड़ गयी , क्या बताये | शादी के बाद जब से इस घर में आई है तब से तो किसी ने उसके नाम से नहीं पुकारा | शुरू में बहू , फिर मुन्ने की माँ और अब मिसेस शर्मा , यही सुनती आई है वो | शायद तीस साल बहुत होते हैं किसी को खुद का वजूद भूलने के लिए | वो अपना वजूद ढूँढ रही थी , पड़ोसन चली गयी थी |

.

मौलिक एवम अप्रकाशित

Views: 728

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by विनय कुमार on January 31, 2015 at 10:06am

बहुत बहुत आभार आदरणीय वीर मेहता जी..

Comment by VIRENDER VEER MEHTA on January 31, 2015 at 9:58am

Sach ko chooti huyi saarthak katha.....Vaastav me andhikaash mahilaho ka naam unke vajood ki tarah rishato me kho jaata hai.

Comment by विनय कुमार on January 30, 2015 at 8:51pm

बहुत बहुत आभार आदरणीय जीतेन्द्र पस्तरीया जी..

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on January 30, 2015 at 8:36pm

बहुत सुंदर. एक महीन से पहलु पर, पूर्ण लघुकथा. बधाई आदरणीय विनय जी

Comment by विनय कुमार on January 30, 2015 at 7:37pm

आप बिलकुल सही कह रहे हैं , आज भी गांवों में ये होता है | शुक्रिया ..

Comment by Hari Prakash Dubey on January 30, 2015 at 7:23pm

हा.. हा... हा.. बस मजाक था विनय भाई  , कोई सवाल नहीं था ,मुझे पता है आज भी गाँव मैं ऐसा ही होता है ! चलिए आनंद आ गया !;-)

Comment by विनय कुमार on January 30, 2015 at 7:18pm

आदरणीय हरी प्रकाश दुबे जी , बहुत बहुत आभार रचना पर दृस्टि डालने के लिए | दरअसल पहले पति भी पत्नियों को उनके बच्चे की माँ कहकर ही बुलाते थे | 

Comment by Hari Prakash Dubey on January 30, 2015 at 6:54pm

आदरणीय विनय जी, सुन्दर रचना , एक सवाल मन में आ रहा है , उनके पति उन्हें किस नाम से बुलाते होंगे ...हा ..हा .हा .बस एक मजाक ....हार्दिक बधाई आपको !

Comment by विनय कुमार on January 30, 2015 at 2:22am

बहुत बहुत आभार मिथिलेश वामनकर जी , आपके उत्साहजनक शब्द बहुत सम्बल देते हैं |


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on January 30, 2015 at 1:13am

आदरणीय विनय जी बहुत ही बेहतरीन लघुकथा है. अपने शीर्षक से पूर्णतः न्याय करती सफल लघुकथा. बहुत बहुत बधाई.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
3 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
3 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
3 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
3 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
3 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
3 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
3 hours ago
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
6 hours ago
Shyam Narain Verma commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
6 hours ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दिनेश जी, बहुत धन्यवाद"
6 hours ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम जी, बहुत धन्यवाद"
6 hours ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम जी सादर नमस्कार। हौसला बढ़ाने हेतु आपका बहुत बहुत शुक्रियः"
6 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service