For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

दीवारें चहकने सी लगे  

मकान जब घर बनता है 
तेरे आने से घर मेरा 
जन्नत बनता है 

खुशियाँ , सावन की 
घटाएँ बनने लगी   
किलकारी से तेरी  
मेरी दुनिया सजने लगी  

खिड़कियाँ घर की 
उम्मीद का सूरज लाए
सुगन्धित मस्त पवन 
गीत बहारों के गुनगुनाएँ

आँगन में फागुन 
रंग नए बिखरा गया 
बसंती खेत की तरह   
मेरे घर को वो लहरा गया
सरसों की फसल सम  
मनभावन सा घर 
पूज्य है मुझको मेरा छोटा सा घर ..

डिम्पल गौर ‘अनन्या’ ३०/१/१५

(मौलिक और अप्रकाशित)

 

 

Views: 789

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Ram Ashery on February 2, 2015 at 2:36pm

अति सुंदर रचना बधाई हो 

Comment by डिम्पल गौड़ on February 1, 2015 at 3:21pm
आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सादर आभार आपका ..घर में सुख शान्ति निवास करे तब ही कोई घर... सच में घर बनता है ..
Comment by डिम्पल गौड़ on February 1, 2015 at 3:18pm
आदरणीय विनोद खनगवाल जी... रचना पसंद करने के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद जी
Comment by डिम्पल गौड़ on February 1, 2015 at 3:07pm

आदरणीय गिरिराज भंडारी जी  |मेरी रचना की सराहना करने के लिए आपका ह्रदय तल से आभार व्यक्त करती हूँ |


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on February 1, 2015 at 12:29pm

बहुत सुन्दर !! आदरणीया डिम्पल जी , बधाई ॥


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on February 1, 2015 at 12:21pm

आदरणीया डिम्पल गौर जी ....सुन्दर भाव ....बहुत सुन्दर रचना....हार्दिक बधाई ! सादर 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on February 1, 2015 at 9:05am

आदरणीया डिम्पल जी खूबसूरत भावों से सजी इस रचना के लिये बधाई स्वीकार करें

Comment by विनोद खनगवाल on January 31, 2015 at 4:31pm
आदरणीया डिम्पल जी। बहुत मनमोहक रचना लिखी है। बहुत बहुत बधाई।
Comment by Shyam Mathpal on January 31, 2015 at 3:04pm

Aadarniya dimple ji,

Makan ,Ghar wa uski khusion ke bare main bhut sundan rachna hai. Dili badhai.

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on January 31, 2015 at 1:25pm

आदरणीया

छोटे से घर की मधुर कल्पना i  सुन्दर i

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेम

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेमजाने कितनी वेदना, बिखरी सागर तीर । पीते - पीते हो गया, खारा उसका नीर…See More
36 minutes ago
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय उस्मानी जी एक गंभीर विमर्श को रोचक बनाते हुए आपने लघुकथा का अच्छा ताना बाना बुना है।…"
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सौरभ सर, आपको मेरा प्रयास पसंद आया, जानकार मुग्ध हूँ. आपकी सराहना सदैव लेखन के लिए प्रेरित…"
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय  लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार. बहुत…"
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहजाद उस्मानी जी, आपने बहुत बढ़िया लघुकथा लिखी है। यह लघुकथा एक कुशल रूपक है, जहाँ…"
1 hour ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"असमंजस (लघुकथा): हुआ यूॅं कि नयी सदी में 'सत्य' के साथ लिव-इन रिलेशनशिप के कड़वे अनुभव…"
3 hours ago
Profile IconSarita baghela and Abhilash Pandey joined Open Books Online
7 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब साथियो। त्योहारों की बेला की व्यस्तता के बाद अब है इंतज़ार लघुकथा गोष्ठी में विषय मुक्त सार्थक…"
22 hours ago
Jaihind Raipuri commented on Admin's group आंचलिक साहित्य
"गीत (छत्तीसगढ़ी ) जय छत्तीसगढ़ जय-जय छत्तीसगढ़ माटी म ओ तोर मंईया मया हे अब्बड़ जय छत्तीसगढ़ जय-जय…"
yesterday
LEKHRAJ MEENA is now a member of Open Books Online
Wednesday
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"शेर क्रमांक 2 में 'जो बह्र ए ग़म में छोड़ गया' और 'याद आ गया' को स्वतंत्र…"
Sunday
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"मुशायरा समाप्त होने को है। मुशायरे में भाग लेने वाले सभी सदस्यों के प्रति हार्दिक आभार। आपकी…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service