For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

"यार,काव्य-गोष्ठी तो बहुत कर लीं पर काव्य-सम्मेलनों से बुलावा नहीं आता |"

"अरे मिट्टी के माध, अच्छी कविता लिखना–पढ़ना ही काफ़ी नहीं|"

"तो !"

"तोता बनना सीखो |"

"कैसे?"

"सज्जन के घर राम-राम |और चोर के घर-माल-माल |और फिर पाँचों अंगुलियाँ घी में | "

.

सोमेश कुमार (मौलिक एवं अप्रकाशित )

Views: 726

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by somesh kumar on February 4, 2015 at 9:39am

सौरभ सर और गणेश सर रचनाओं पर आपका आना ही रचना को सफल बना देता है|शायद आपने कथा के पीछे मेरी मनोभावना को पहचान लिया |शायद इसे ही विशेषज्ञता या अंतर-दृष्टी कहते हैं|वन्दना जी ,गिरिराज सर एवं कांता दीदी आपके स्नेह के लिए भी आभार 

Comment by vandana on February 3, 2015 at 7:37am

बहुत खूब आदरणीय वाह 


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on February 2, 2015 at 4:33pm

अबकी धोया है प्योर 'निरमा' वाशिंग पाउडर के साथ, बहुत खूब बंधू, बधाई प्रेषित है स्वीकार करें.


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on February 2, 2015 at 4:21pm

हा हा हा हा............  सोमेश भाई ज़िन्दाबाद !

संक्षिप्त, सटीक, स्पष्ट ! ..

बधाइयाँ-बधाइयाँ !!

Comment by kanta roy on February 2, 2015 at 11:46am
आज के समाज की यथार्थ परिस्थितियों को उकेरती हुई बहुत सुंदर कटाक्ष । बधाई आ.सोमेश जी

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on February 1, 2015 at 12:28pm

आदरणीय सोमेश भाई , आज कल की सफलता की कूंजी यही तो है ! बढिया कटाक्ष ! बधाइयाँ ।

Comment by somesh kumar on February 1, 2015 at 11:03am

शुक्रिया आप सभी के शब्द नई उर्जा प्रदान करते हैं पर इस उर्जा को सही दिशा देने वाले शब्दों की अभी भी प्रतीक्षा है 

Comment by ram shiromani pathak on February 1, 2015 at 10:34am
वाह भाई वाह चाटुकारिता पर बढ़िया व्यंग।।बधाई आपको

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on February 1, 2015 at 9:11am

इशारों इशारों में अच्छा कटाक्ष किया है आपने, अच्छी लघुकथा है

Comment by vijay on January 31, 2015 at 11:00pm
हा हा हा
बेहतरीन एक अच्छी रचना

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब साथियो। त्योहारों की बेला की व्यस्तता के बाद अब है इंतज़ार लघुकथा गोष्ठी में विषय मुक्त सार्थक…"
7 hours ago
Jaihind Raipuri commented on Admin's group आंचलिक साहित्य
"गीत (छत्तीसगढ़ी ) जय छत्तीसगढ़ जय-जय छत्तीसगढ़ माटी म ओ तोर मंईया मया हे अब्बड़ जय छत्तीसगढ़ जय-जय…"
13 hours ago
LEKHRAJ MEENA is now a member of Open Books Online
Wednesday
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"शेर क्रमांक 2 में 'जो बह्र ए ग़म में छोड़ गया' और 'याद आ गया' को स्वतंत्र…"
Sunday
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"मुशायरा समाप्त होने को है। मुशायरे में भाग लेने वाले सभी सदस्यों के प्रति हार्दिक आभार। आपकी…"
Sunday
Tilak Raj Kapoor updated their profile
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई जयहिन्द जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है और गुणीजनो के सुझाव से यह निखर गयी है। हार्दिक…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई विकास जी बेहतरीन गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. मंजीत कौर जी, अभिवादन। अच्छी गजल हुई है।गुणीजनो के सुझाव से यह और निखर गयी है। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। मार्गदर्शन के लिए आभार।"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आदरणीय महेन्द्र कुमार जी, प्रोत्साहन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। समाँ वास्तव में काफिया में उचित नही…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service