बता दो याद अब उनकी मिटायें हम कहॉं जाकर
लिखा जो प्यार के किस्से सुनायें हम कहॉं जाकर
बजाकर जो कभी पायल जिगर के पास आती थी
नज़र उसको लगी मेरी बतायें हम कहाँ जाकर
न मैखाना शहर में है न उसका घर पता मुझको
जरा कोई बताये दिल लगायें हम कहाँ जाकर
न पीया जाम क्यों मैने अगर पूछो न तुम मुझसे
नजर बोतल में आती तुम दिखायें हम कहाँ जाकर
मिला कर जाम में पानी कभी क्यूँ मै नहीं पीता
शहर में अश्क बहता है मिलायें हम कहॉं जाकर
मौलिक एवं अप्रकाशित अखंड गहमरी
Comment
आदरणीय अखंड गहमरी जी, इस शानदार ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई, सादर।
बजाकर जो कभी पायल जिगर के पास आती थी
नज़र उसको लगी मेरी बतायें हम कहाँ जाकर....क्या बात है ,सुन्दर
बेहतरीन गजल रचना के लिए बधाई श्री अखंड गहमरी जी
आदरणीय अखंड भाई , अच्छी गज़ल हुई है , आपको हार्दिक बधाइयाँ । आ. मिथिलेश भाई की सलाह पर गौर की जियेगा ।
आदरणीय मिथिलेस वामनकर जी आपका सुझाव एवं मार्गदर्शन के लिये आपको नमन
आपके मार्गदर्शन के अनुसार मैने गजल में कुछ परिवर्तन किया जिसे देखे
आदरणीय अखंड जी सुन्दर ग़ज़ल हुई है बह्र-ए-हज़ज को खूब निभाया है दिल से दाद कुबूल फरमाएं
टंकण त्रुटी- मतले और आखिरी शेर में कहॉं को कहाँ और चौथे शेर में बोलत को बोतल कर ले. एक शेर पर निवेदन करना चाहूँगा -
न पीया जाम क्यों मैने अगर पूछो न तुम मुझसे
नजर बोलत में आती तुम बतायें हम कहाँ जाकर
इस शेर के मिसरा-ए-उला में बह्र का दबाव महसूस हो रहा है इसे अगर उचित लगे तो कुछ यूं भी कहा जा सकता है-
न पीया जाम क्यों मैने कोई पूछो न अब मुझसे
नजर बोतल में आती वो बतायें हम कहाँ जाकर
इसी तरह एक और अशआर पर अपने विचार साझा करना चाहूँगा यदि आपको उचित लगे तो निवेदानार्थ -
न मैखाना शहर में है न उसका घर पता मुझको
जरा कोई बताये दिल जलायें हम कहाँ जाकर
इसमें मिसरा-ए-उला में न उसका घर पता मुझको --में पता शब्द से दो अर्थ ध्वनित हो रहे है एक जानकारी, और दूसरा एड्रेस. यदि इसे वाक्य में बदले तो इसे कहेंगे - मुझे उसके घर की जानकारी नहीं है या उसका घर कहाँ है मुझे नहीं मालूम. यदि यहीं ध्वन्यार्थ है तो इसे यूं कह सकते है-
न मैखाना शहर में है, न उसका घर मुझे मालूम
जरा कोई बताये, दिल जलायें हम कहाँ जाकर
बेहद खूबसूरत ग़ज़ल है दिली दाद कुबूल फरमायें |
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online