For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

“बेटा!.. तुझे याद है न.. जब तू स्कूल में प्रथम श्रेणी  में आया था ,  मुझे कितनी ख़ुशी हुई थी . सभी लोग  यही कह रहे  थे  कि मेरा बेटा है" 

“ हाँ!..पर रात-दिन पढाई मैंने की थी, आपने जो किया था  वो आपका फर्ज था "

“ हाँ! बेटा यही समझ ले, बस मुझे इसी घर में रहने दे. अब गली-गली दरबदर फिरूंगा, तो लोग यही कहेंगे की तेरा बाप हूँ...”

    जितेन्द्र पस्टारिया

 (मौलिक व् अप्रकाशित )

 

Views: 747

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on February 25, 2015 at 11:38am

आदरणीय मिथिलेश जी, आपके विस्तृत प्रोत्साहन का ह्रदय से आभार. यह लेखनी का प्रभाव ओ.बी.ओ . मंच की ही देन है. बतौर पाठक मंच में शामिल होने के पश्चात, जो कुछ पाया यहीं से पाया है. आदरणीय गुरुजनों के सानिध्य व् स्नेहिल मार्गदर्शन ने ही लेखन को प्रभावशील बनाया है.

सादर!

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on February 25, 2015 at 11:31am

आदरणीय महर्षि जी, आपके प्रोत्साहन हेतु आपका आभारी हूँ

सादर!

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on February 25, 2015 at 11:30am

आदरणीया राजेश दीदी, लघुकथा पर आपकी विस्तृत प्रतिक्रिया हमेशा रचना को सार्थकता व् लेखनकर्म को मनोबल देती है. आपका ह्रदय से आभारी हूँ

सादर!

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on February 25, 2015 at 11:27am

आदरणीया अर्चना जी, आपकी उपस्थिति व् प्रोत्साहन हेतु आपका बहुत-बहुत आभार

सादर!

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on February 25, 2015 at 11:26am

आदरणीय विनय जी, आप जैसे लघुकथाकार से प्रोत्साहन पाना, मनोबल बढाता है. आपका आभारी हूँ

सादर!

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on February 25, 2015 at 11:24am

आदरणीय श्याम नारायण जी, आपकी उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया हेतु आपका बहुत-बहुत आभार.

सादर!

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on February 25, 2015 at 11:23am

आदरणीय डा.गोपाल जी, आपके स्नेहिल आशीर्वाद के लिए ह्रदय से आभारी हूँ

सादर!

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on February 25, 2015 at 11:21am

आदरणीय डा.विजय जी, आपकी उपस्थिति व् आशीर्वाद से रचना को सार्थकता मिलती है. आपका ह्रदय से आभारी हूँ

सादर!

Comment by Hari Prakash Dubey on February 25, 2015 at 10:36am

आदरणीय  जितेन्द्र पस्टारिया सर .बहुत ही सशक्त रचना है "अब गली-गली दरबदर फिरूंगा, तो लोग यही कहेंगे की तेरा बाप हूँ" ये एक पंक्ति ही समस्त कथा बयान कर रही है की संवेदनायें मर चुकी हैं , सुन्दर ,सफल रचना पर बधाई आपको ! सादर 

Comment by khursheed khairadi on February 25, 2015 at 9:52am

लोग  यही कह रहे  थे  कि मेरा बेटा है" 

.............................................................

लोग यही कहेंगे की तेरा बाप हूँ...”

आदरणीय जितेंदर जी , विसंगति को क्या ख़ूब शब्द दिये है |पिता की कुंठा ,पुत्र की अवज्ञा ,समाज की असंवेदनशीलता सब कुछ उजागर कर दिया आपने |हार्दिक बधाई |सादर अभिनन्दन |

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Chetan Prakash commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल के
"अच्छी ग़ज़ल हुई, भाई  आज़ी तमाम! लेकिन तीसरे शे'र के सानी का भाव  स्पष्ट  नहीं…"
5 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on surender insan's blog post जो समझता रहा कि है रब वो।
"आदरणीय सुरेद्र इन्सान जी, आपकी प्रस्तुति के लिए बधाई।  मतला प्रभावी हुआ है. अलबत्ता,…"
14 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . . .
"आदरणीय सौरभ जी आपके ज्ञान प्रकाश से मेरा सृजन समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय जी"
yesterday
Aazi Tamaam posted a blog post

ग़ज़ल: चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल के

२२ २२ २२ २२ २२ २चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल केहो जाएँ आसान रास्ते मंज़िल केहर पल अपना जिगर जलाना…See More
yesterday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 182 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है| इस बार का…See More
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey added a discussion to the group भोजपुरी साहित्य
Thumbnail

गजल - सीसा टूटल रउआ पाछा // --सौरभ

२२ २२ २२ २२  आपन पहिले नाता पाछानाहक गइनीं उनका पाछा  का दइबा का आङन मीलल राहू-केतू आगा-पाछा  कवना…See More
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . . .
"सुझावों को मान देने के लिए हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय सुशील सरना जी.  पहला पद अब सच में बेहतर हो…"
yesterday
Sushil Sarna posted a blog post

कुंडलिया. . . .

 धोते -धोते पाप को, थकी गंग की धार । कैसे होगा जीव का, इस जग में उद्धार । इस जग में उद्धार , धर्म…See More
yesterday
Aazi Tamaam commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"एकदम अलग अंदाज़ में धामी सर कमाल की रचना हुई है बहुत ख़ूब बधाई बस महल को तिजोरी रहा खोल सिक्के लाइन…"
Tuesday
surender insan posted a blog post

जो समझता रहा कि है रब वो।

2122 1212 221देख लो महज़ ख़ाक है अब वो। जो समझता रहा कि है रब वो।।2हो जरूरत तो खोलता लब वो। बात करता…See More
Tuesday
surender insan commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन। अलग ही रदीफ़ पर शानदार मतले के साथ बेहतरीन गजल हुई है।  बधाई…"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . . .
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन के भावों को मान देने तथा अपने अमूल्य सुझाव से मार्गदर्शन के लिए हार्दिक…"
Tuesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service