सब कुछ न आज आदमी किस्मत पे छोड़ तू
दरिया की तेज धार को हिम्मत से मोड़ तू
इस जिन्दगी की राह में दुश्वारियाँ बहुत
रहबर का हाथ छोड़ न रिश्तों को तोड़ तू
मेहनत के दम पे आदमी क्या कुछ नहीं करे
अपने लहू का आखिरी कतरा निचोड़ तू
जो कुछ है तेरे पास वही काम आएगा
बारिश की आस में कभी मटकी न फोड़ तू
मन की खुशी मिलेगी, तू यह नेक काम कर
टूटे हुए दिलों को किसी तर्ह जोड़ तू
दो गज कफन ही अंत में सबका नसीब है
अब छोड़ भी 'दिनेश' ये दौलत की होड़ तू
-- दिनेश कुमार ०१/०३/२०१५
( मौलिक व अप्रकाशित )
Comment
वाह! कमाल के अशआर लिखे आदरणीय दिनेश जी.
मेहनत के दम पे आदमी क्या कुछ नहीं करे
अपने लहू का आखिरी कतरा निचोड़ तू.......सच! बहुत सही कहा
जो कुछ है तेरे पास वही काम आएगा
बारिश की आस में कभी मटकी न फोड़ तू.......अक्सर आस में ही प्यासा रह जाता है इंसान. तहे दिल से बधाई स्वीकारें
अच्छे अश’आर हुए हैं दिनेश जी। दाद कुबूल कीजिए
"दरिया की तेज धार को हिम्मत से मोड़ तू" ये वाला मिसरा तो मेरे लिए ही है क्योंकि यहाँ हम लोग सतलज की धार को दो बार मोड़ चुके हैं। :)
//मेहनत के दम पे आदमी क्या कुछ नहीं करे
अपने लहू का आखिरी कतरा निचोड़ तू//
वाह वाह आदरणीय दिनेश जी, बहुत ही खुबसूरत शेर, सभी अशआर खुबसूरत और भाव प्रधान हुए हैं, मकता के लिए अलग से बधाई देता हूँ, बहुत बहुत बधाई इस प्रस्तुति पर.
इस जिन्दगी की राह में दुश्वारियाँ बहुत
रहबर का हाथ छोड़ न रिश्तों को तोड़ तू
मेहनत के दम पे आदमी क्या कुछ नहीं करे
अपने लहू का आखिरी कतरा निचोड़ तू
जो कुछ है तेरे पास वही काम आएगा
बारिश की आस में कभी मटकी न फोड़ तू
आदरणीय दिनेश जी बहुत ही उम्दा ग़ज़ल हुई है |सभी अशआर बहुत पसंद आये हैं |आशा की जोत जलती हुई ग़ज़ल है |हार्दिक बधाई |सादर अभिनन्दन |
जो कुछ है तेरे पास वही काम आएगा
बारिश की आस में कभी मटकी न फोड़ तू
बहुत सुंदर बात कही दिनेश भाई |
मेहनत के दम पे आदमी क्या कुछ नहीं करे
अपने लहू का आखिरी कतरा निचोड़ तू
........वाह दिनेश जी
आदरणीय दिनेश भाई बहुत आहंगखेज ग़ज़ल है ...ग़ज़ल कई बार गुनगुनाई पढ़कर आनंद आ गया कमेन्ट नहीं किया क्योकि बह्र नहीं थी तो कमेन्ट अधूरा रहता.
सब कुछ न आज आदमी किस्मत पे छोड़ तू
दरिया की तेज धार को हिम्मत से मोड़ तू................... बेहतरीन मतला
मेहनत के दम पे आदमी क्या कुछ नहीं करे
अपने लहू का आखिरी कतरा निचोड़ तू.............. सुन्दर शेर
जो कुछ है तेरे पास वही काम आएगा
बारिश की आस में कभी मटकी न फोड़ तू.......... गहराई है भाई जी शेर में ... सीधा साधा सच्चा शेर ...अच्छा शेर
दो गज कफन ही अंत में सबका नसीब है
अब छोड़ भी 'दिनेश' ये दौलत की होड़ तू.......... वाह वाह दिनेश भाई उम्दा मतला
दो गज कफन ही अंत में सबका नसीब है
अब छोड़ भी 'दिनेश' ये दौलत की होड़ तू...........बहुत सुन्दर अंतिम पंक्ति तो लाजवाब है ,,,आपको बधाई प्रेषित है आ.दिनेश कुमार जी |
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