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शर्मिंदा आज किसी रूह की पैदाइश होगी---रूह में ह साइलेंट है
गैरों के आगे फिर सूरत की नुमाइश होगी
फिर से टूटेगा रब की रहमत का देख भरम
फिर आज किसी की किस्मत की आजमाइश होगी---(आजमाइश की मात्रा गिराकर अजमाइश किया है)
ज़र्रे ज़र्रे में महकेगी दौलत की खुशबू
नजरों नजरों में फिर कोई फर्माइश होगी
हँस हँस के मिटेगी जल जल के लुटेगी रात शमा
धज्जी धज्जी दिल टूटी टूटी ख्वाइश होगी----(ख्वाहिश को ख्वाइश लिया है )
रब तेरी इनायत के मिल जाएँ कभी दो कतरे
तहरीरों में तेरी कोई तो गुंजाइश होगी
मौलिक एवं अप्रकाशित
Comment
आदरणीया राजेश जी, हमेशा की तरह आपकी यह ग़ज़ल भी उम्दा ख्यालात से लबरेज है इसके लिए बहुत बहुत बधाई.
एक बात आपसे जानना अधिक श्रेयष्कर होगा ....क्या मतला में काफिया आजमाइश और नुमाइश लेने के बाद अन्य काफियां पैदाइश, ख्वाइश और गुंजाइश सही होंगे क्या ? दूसरा सदैव की तरह अनुरोध : कृपया वजन लिख दिया करें, सादर.
आदरणीया राजेश दीदी ग़ज़ल का मतला गहरे तक प्रभावित करता है, पूरी ग़ज़ल उम्दा और असरदार भावों से सजी है .. इस प्रस्तुति पर हार्दिक बधाई. ग़ज़ल की बह्र तक नहीं पहुँच पाया हूँ इसलिए वैसा आनंदित नहीं हो पाया, जैसा आपकी ग़ज़लों से आनंदित होता हूँ. सादर
फिर से टूटेगा रब की रहमत का देख भरम
शर्मिंदा आज किसी रूह की पैदाइश होगी
रब तेरी इनायत के मिल जाएँ कभी दो कतरे
तहरीरों में तेरी कोई तो गुंजाइश होगी ....लाजबाव...बधाई आपको, सादर
महर्षि त्रिपाठी जी ,आपका तहे दिल से शुक्रिया .
जितेन्द्र पस्तारिया भैय्या ,आपको ग़ज़ल के भाव प्रभावित किये मेरा लिखना सार्थक हुआ तहे दिल से आभारी हूँ.
आ० नरेंद्र सिंह जी,इस होंसलाफ्जाई हेतु आपका तहे दिल से शुक्रिया.
आ० डॉ० गोपाल जी,किसी रचना को आप जैसा सजग पाठक मिल जाए तो रचना स्वतः धन्य हो जाती है सच पूछो तो इसे पोस्ट करते वक़्त सोच रही थी कि पाठक इसके भाव को किस अर्थ में स्वीकारेंगे मैं स्तब्ध रह गई आपकी जागरूकता को देख कर कितना डूबके आपने इस ग़ज़ल के भाव ढूंढ निकाले हैं ,कई बार हमारे आसपास की घटनाएं कुछ ऐसा लिखने के लिए प्रेरित कर देती हैं जिसको पढ़ कर हम उस रचना से खुद भी जुड़ जाते हैं आपके व्यक्तिगत अनुभव इस प्रस्तुति से जुड़ पाए ये इस रचना की सार्थकता समझती हूँ आश्वस्त हो रही हूँ की ग़ज़ल के अशआर अपनी बात स्पष्ट रख रहे हैं .तहे दिल से आभारी हूँ आदरणीय |
आ० हरी प्रकाश दूबे जी ,आपको ग़ज़ल पसंद आई मेरा लिखना सफल हुआ हार्दिक आभार आपका.
आ० डॉ० विजय शंकर जी,आपको ग़ज़ल पसंद आई इसके भाव प्रभावित कर सके मेरा लिखना सार्थक हुआ तहे दिल से आभार आपका.
आ. राजेश कुमारी जी आपकी इस सुन्दर रचना पर आपको हार्दिक बधाई |
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