For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

किस तरह रच रहे हो तुम ये संसार

हे ईश्वर...

तुम भी तो पुरुष ही हो...

जानते हो तुमसे, हम पुरुषों से

किस कदर खौफ खाती हैं स्त्रियाँ

एक अप्रत्याशित आक्रमण

कभी भी हो सकता है उन पर

इस डर से भयभीत होकर

रखती हैं पर्स में हथौड़ी

कोई सलाह देता तो रख लेतीं मिर्च-पाऊडर

और बाज़ार बनाकर बेचता

कोई स्प्रे, कोई धारदार छोटा चाकू

कोई करेंट पैदा करने वाला यंत्र

या सरकारें ज़ारी करतीं ढेर सारे हेल्पलाइन नंबर

किस तरह रच रहे हो तुम ये संसार

हे ईश्वर...

तुम जो कि बेशक पुरुष हो

और हमसे यानी तुमसे भी तो

किस कदर डर रही है आधी-आबादी

ख़्वाब में भी डरती है अनजाने हमलों से

अकेले हो या भीड़ में

हर जगह हमले का डर

उनके ज़ेहन में रहता है पेवस्त

और तुम मस्त रचवाते हो ऋचाएं...आयतें...

सबकी भलाई की खोखली बातें

कब तक ग्रंथों में कैद रखी  जाती रहेंगी?

कब तक...

हे ईश्वर...!!!

.

(मौलिक अप्रकाशित)

Views: 474

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by anwar suhail on March 11, 2015 at 7:48pm

आप सभी मित्रों का आभार, विचारों के भंवर में फंसता हूँ तो लेखनी पार लगाती है और तभी आप स्नेहीजनो/गुनीजनो का आदर पाता हूँ...एक बार फिर आभार 

Comment by Dr. Vijai Shanker on March 10, 2015 at 9:44pm
बनाने वाले ने दुनियाँ को
एक नर , एक नारी से बना दिया ,
दोनों को एक एक हाथ का दर्जा दिया ,
एक हाथ दूसरे पे जब चाहे उठ जाए ,
चाहे तो तोड़ दे , ईश्वर करे तो क्या करे ।
आपको सुन्दर सारगर्भित प्रस्तुति पर बधाई , आदरणीय अनवर सुहैल जी , सादर
Comment by Hari Prakash Dubey on March 10, 2015 at 7:32pm

आदरणीय अनवर सुहैल सर बहुत सुन्दर दार्शनिक रचना है , बधाई आपको सादर !

Comment by maharshi tripathi on March 10, 2015 at 7:12pm

और तुम मस्त रचवाते हो ऋचाएं...आयतें...

सबकी भलाई की खोखली बातें

कब तक ग्रंथों में कैद रखी  जाती रहेंगी?

कब तक...,,,,,,,,,,,,,बहुत सुन्दर आ,अनवर सर जी |

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on March 10, 2015 at 11:43am

मित्र

आपको न याद हो पर ओ बी ओ में आपने मुझे पहला मित्र बनाया था  i आप बहुत सुन्दर और भावपूर्ण लिखते है i यह कविता उसका प्रमाण है i धन्यवाद सर i

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Shyam Narain Verma replied to Saurabh Pandey's discussion गजल : निभत बा दरद से // सौरभ in the group भोजपुरी साहित्य
"नमस्ते जी, बहुत ही सुन्दर भोजपुरी ग़ज़ल की प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
18 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey added a discussion to the group भोजपुरी साहित्य
Thumbnail

गजल : निभत बा दरद से // सौरभ

जवन घाव पाकी उहे दी दवाईनिभत बा दरद से निभे दीं मिताई  बजर लीं भले खून माथा चढ़ावत कइलका कहाई अलाई…See More
20 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post शर्मिन्दगी - लघु कथा
"आदरणीय श्याम नारायण वर्मा जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय"
Sunday
Shyam Narain Verma commented on Sushil Sarna's blog post शर्मिन्दगी - लघु कथा
"नमस्ते जी, बहुत ही सुन्दर और ज्ञान वर्धक लघुकथा, हार्दिक बधाई l सादर"
Saturday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted blog posts
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted blog posts
Saturday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीय मनन कुमार सिंह जी। बोलचाल में दोनों चलते हैं: खिलवाना, खिलाना/खेलाना।…"
Friday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आपका आभार उस्मानी जी। तू सब  के बदले  तुम सब  होना चाहिए।शेष ठीक है। पंच की उक्ति…"
Friday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"रचना भावपूर्ण है,पर पात्राधिक्य से कथ्य बोझिल हुआ लगता है।कसावट और बारीक बनावट वांछित है। भाषा…"
Friday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आदरणीय शेख उस्मानी साहिब जी प्रयास पर  आपकी  अमूल्य प्रतिक्रिया ने उसे समृद्ध किया ।…"
Friday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आदाब। इस बहुत ही दिलचस्प और गंभीर भी रचना पर हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह साहिब।  ऐसे…"
Friday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"जेठांश "क्या?" "नहीं समझा?" "नहीं तो।" "तो सुन।तू छोटा है,मैं…"
Friday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service