For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल १२२२-१२२२\१२२२ १२२२ ..करें कोशिश सभी मिलकर हसीं दुनिया बना दें फिर

करें कोशिश सभी मिलकर हसीं दुनिया बना दें फिर 

चलो जन्नत से भी बढ़कर जहां अपना बना दें फिर

लगाकर रेत में पौधे पसीने से चलो सींचें 

ये सहरा सब्ज़ था पहले यहाँ बगिया बना दें फिर

मेरी मानो रियाज़त से बदल जाती है तकदीरें 

हथेली की लकीरों में कोई नक्शा बना दें फिर

जलाकर खेत मेरे गाँव के बोले सियासतदां  

इन्हें रोटी नहीं मिलती इसे मुद्दा बना दें फिर   

दिलों के दरमियां कोई रुकावट क्यों  रहे यारो

गिराकर इन फसीलों को नया रस्ता बना दें फिर

ज़माने ने दिया है फिर नया इक ज़ख्म इस दिल को

अजी हम भी ग़ज़लगो हैं नया मिसरा बना दें फिर

तेरा हो दर्द या मेरा रहे जामिद न दिल ही में

ग़ज़ल 'खुरशीद' जी गाकर इसे दरिया बना दें फिर

मौलिक व अप्रकाशित  

Views: 881

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on March 12, 2015 at 12:08pm

आ० भाई खुर्शीद जी एक और खूबसूरत ग़ज़ल से परिचय करने हेतु हार्दिक बधाई .

Comment by khursheed khairadi on March 12, 2015 at 12:03pm

छन्न पकैया छन्न पकैया , नशा गज़ब फागुन का 

छन्न पकैया छन्न पकैया, धमाल आयोजन का 

छन्न पकैया छन्न पकैया , सजे हमेशा महफ़िल 

देख शरारत मस्तानों , खिला हमारा भी दिल 

सादर |


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on March 12, 2015 at 11:47am

भाईजी, अब भी कुछ कहाँ गया है ?
आपके पास जब भी समय हो, उस आयोजन को पन्ने दर पन्ने पढ़ जायें. मेरी मानिये एक मजेदार-चटखदार अनुभव होगा.
:-))

Comment by khursheed khairadi on March 12, 2015 at 11:42am

आदरणीय सौरभ सर ,इस महा आयोजन में भागीदारी नहीं कर पाने का और आदरणीय योगराजभाईसाहब तथा आदरणीय गिरिराजभाईसाहब की  ’बाल-सुलभ’ चुहलबाजियों से वंचित रह जाने की उम्र भर अफ़सोस रहेगा |सादर 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on March 12, 2015 at 11:33am

आदरणीय खुर्शीदभाई,
इस होली के अवसर पर जो काव्य-समारोह हुआ वह सदा याद रहने वाला समारोह है. हालाँकि आदरणीय मिथिलेशजी भी अपनी बीमारी के कारण अपनी रौ में नहीं दिखे. लेकिन सारी कमी अन्य सदस्यों ने पूरी की. लेकिन दिल जीत लिया आदरणीय योगराजभाईसाहब तथा आदरणीय गिरिराजभाईसाहब ने जिनकी ’बाल-सुलभ’ चुहलबाजियों में हम हुरियार डूबते-उतराते रहे.
इस ग़ज़ल के लिए पुनः शुभकामनाएँ

Comment by khursheed khairadi on March 12, 2015 at 11:27am

आदरणीय जान साहब ,आदरणीय महर्षि साहब...ज़र्रानवाज़ी का बहुत बहुत शुक्रिया |हृदयतल से आभार |सादर 

Comment by khursheed khairadi on March 12, 2015 at 11:26am

आदरणीय गोपालनारायण सर ,आदरणीय धर्मेन्द्र जी ...ग़ज़ल पर मुहब्बत बरसाने के लिए बहुत बहुत शुक्रिया ...सादर आभार |

Comment by khursheed khairadi on March 12, 2015 at 11:25am

आदरणीय हरिप्रकाश जी , आदरणीय विजयशंकर सर ,,आपका स्नेह अनमोल है |हार्दिक आभार |

Comment by khursheed khairadi on March 12, 2015 at 11:23am

आदरणीय सौरभ सर ,आशीर्वाद बनाये रखियेगा ...'होली का हुडदंग 'आयोजन के समय होली मनाने गाँव चला गया था ,आयोजन में अनुपस्थित रहने हेतु क्षमाप्रार्थी हूं .......आयोजन से पूर्व पोस्टेड 'ग़ज़ल.....उस बस्ती में   तथा ग़ज़ल...इस होली पर रंग लगाने आ जाये ..पर आपका आशीर्वाद चाहूँगा ...अवश्य अनुगृहित करें |सादर आभार |

Comment by khursheed khairadi on March 12, 2015 at 11:19am

आदरणीय मिथिलेश जी , ग़ज़ल पर शेर दर शेर स्नेह का सावन बरसाने के लिए आपका हृदय से आभारी हूं |

लगाकर रेत में पौधे पसीने से चलो सींचें 

ये सहरा सब्ज़ था पहले यहाँ दरिया बना दें फिर...इस शेर में  बगिया की जगह दरिया टाइप हो गया था |मंच से निवेदन है कि इस शेर को बगिया काफ़िये के साथ रखकर आशीर्वाद प्रदान करने की कृपा करें |आदरनिये मिथिलेश  जी  मेरी ग़ज़ले आपको पसंद आ रही हैं ,यह मेरा सौभाग्य है |सादर आभार |

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"आदरणीय नीलेश जी, एक अच्छी प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें.  कई शेर हैं जो पाठकों…"
2 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय posted blog posts
3 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-122 (विषय मुक्त)
"जंग के मोड़ पर (लघुकथा)-  "मेरे अहं और वजूद का कुछ तो ख्याल रखा करो। हर जगह तुरंत ही टपक…"
7 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-122 (विषय मुक्त)
" नमन मंच। सादर नमस्कार आदरणीय सर जी। हार्दिक स्वागत। प्रयासरत हैं सहभागिता हेतु।"
8 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-122 (विषय मुक्त)
"इस पटल के लघुकथाकार अपनी प्रस्तुतियों के साथ उपस्थित हों"
10 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (अलग-अलग अब छत्ते हैं)
"उत्साहदायी शब्दों के लिए आभार आदरणीय गिरिराज जी"
15 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (हर रोज़ नया चेहरा अपने, चेहरे पे बशर चिपकाता है)
"बहुत बहुत आभार आदरणीय गिरिराज जी"
15 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (अलग-अलग अब छत्ते हैं)
"आदरणीय अजयन  भाई , परिवर्तन के बाद ग़ज़ल अच्छी हो गयी है  , हार्दिक बधाईयाँ "
15 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (हर रोज़ नया चेहरा अपने, चेहरे पे बशर चिपकाता है)
"आदरणीय अजय भाई , अच्छी ग़ज़ल हुई है , हार्दिक बधाई ,  क्यों दोष किसी को देते हैं, क्यों नाम किसी…"
16 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"आ. नीलेश भाई बेहद  कठिन रदीफ  पर आपंर अच्छी  ग़ज़ल कही है , दिली बधाईयाँ "
16 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"आ. नीलेश भाई , बेहतरीन ग़ज़ल हुई है ,सभी शेर एक से बढ कर एक हैं , हार्दिक बधाई ग़ज़ल के लिए "
16 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

ग़ज़ल - यहाँ अनबन नहीं है ( गिरिराज भंडारी )

१२२२    १२२२     १२२२      १२२मेरा घेरा ये बाहों का तेरा बन्धन नहीं हैइसे तू तोड़ के जाये मुझे अड़चन…See More
21 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service