For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

गीतिका8+8....बरगद पीपल

बरगद पीपल पनघट छूटे 

बालसखा सब नटखट छूटे 

गोपालों की शोख़ ठिठोली 

चौपालों के जमघट छूटे 

बालू के वो दुर्ग महल सब 

तालाबों के वो तट छूटे 

झालर संझा वो चरणामृत 

मंदिर के चौड़े पट छूटे 

मॉलों में क्या कूके कोयल 

अमराई के झुरमुट छूटे

 

धूम कहाँ वो बचपन वाली 

टोली के सब मर्कट छूटे 

हमसे छूटा  गाँव हमारा 

जीने का अब जीवट छूटे

मौलिक व अप्रकाशित  

Views: 847

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on March 15, 2015 at 9:03am

आदरणीय खुर्शीद भाई , हमेशा की तरह एक और बेहतरीन ग़ज़ल पढवाई आपने । मै भी अपने गाँव पहुँच गया !  आपको हृदय से बधाइयाँ  और शुभकामनायें ॥

Comment by ajay sharma on March 14, 2015 at 10:55pm

हमसे छूटा  गाँव हमारा 

जीने का अब जीवट छूटे..................sir ji kammal ......


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on March 14, 2015 at 9:10pm

आदरणीय खुर्शीद सर बेहतरीन और उम्दा ग़ज़ल हुई है ... छोटी बह्र में कमाल हुआ है, आपकी ग़ज़ल से गुजरते हुए कितना कुछ सीखने मिलता है , बहुत बहुत आभार इस सुन्दर ग़ज़ल की प्रस्तुति के लिए ... सादर 

Comment by khursheed khairadi on March 14, 2015 at 9:36am

आदरणीय शिज्जु सर ,आदरणीय उमेश जी , मैं आपकी ग़ज़लों का फैन हूं ,आपका मेरी ग़ज़ल पर आना मुझे प्रोत्साहित कर रहा है |सादर आभार |

Comment by khursheed khairadi on March 14, 2015 at 9:34am

आदरणीय लक्ष्मण साहब , आदरणीय सोमेश जी ,आदरणीय मोहन सेठी सर ,आप सभी विद्जनों का हृदय से आभारी हूं |सादर 

Comment by khursheed khairadi on March 14, 2015 at 9:33am

आदरणीय महरिशी त्रिपाठी जी ,आदरणीय श्याम मथपल जी ,हृदय से आभार ,मुहब्बत बनाये रखियेगा |सादर 

Comment by khursheed khairadi on March 14, 2015 at 9:31am

आदरणीया निधि जी , आदरणीय नीरज कुमार जी ,बहुत बहुत आभारी हूं ,स्नेह बनाए रखियेगा |सादर 

Comment by khursheed khairadi on March 14, 2015 at 9:29am

आदरणीय जान गोरखपुरी साहब ,आदरणीय श्याम नारायण साहब , बहुत बहुत आभार आपको गीतिका पसंद आयी |सादर 

Comment by khursheed khairadi on March 14, 2015 at 9:27am

आदरणीय हरिप्रकाश जी ,आदरणीय विजयशंकर जी ,आपके स्नेह का हृदय से आभारी हूं |सादर आभार |

Comment by somesh kumar on March 14, 2015 at 8:49am

हमसे छूटा  गाँव हमारा 

जीने का अब जीवट छूटे

ये वेदना हर उस व्यक्ति को जोड़ती है जिसके जीवन का ये सत्य है |रचना पर बधाई |

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
20 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
21 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, आपसे मिले अनुमोदन हेतु आभार"
yesterday
Chetan Prakash commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"मुस्काए दोस्त हम सुकून आली संस्कार आज फिर दिखा गाली   वाहहह क्या खूब  ग़ज़ल '…"
yesterday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा दशम्. . . . . गुरु

दोहा दशम्. . . . गुरुशिक्षक शिल्पी आज को, देता नव आकार । नव युग के हर स्वप्न को, करता वह साकार…See More
Friday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

लौटा सफ़र से आज ही, अपना ज़मीर है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२२१/२१२१/१२२१/२१२ ***** जिनकी ज़बाँ से सुनते  हैं गहना ज़मीर है हमको उन्हीं की आँखों में पढ़ना ज़मीर…See More
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति, उत्साहवर्धन एवं स्नेह के लिए आभार। आपका स्नेहाशीष…"
Wednesday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . नजर

नजरें मंडी हो गईं, नजर हुई  लाचार । नजरों में ही बिक गया, एक जिस्म सौ बार ।। नजरों से छुपता…See More
Wednesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आपको प्रयास सार्थक लगा, इस हेतु हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय लक्ष्मण धामी जी. "
Wednesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से अलंकृत करने का दिल से आभार आदरणीय । बहुत…"
Wednesday
Chetan Prakash commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"छोटी बह्र  में खूबसूरत ग़ज़ल हुई,  भाई 'मुसाफिर'  ! " दे गए अश्क सीलन…"
Tuesday
Chetan Prakash commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"अच्छा दोहा  सप्तक रचा, आपने, सुशील सरना जी! लेकिन  पहले दोहे का पहला सम चरण संशोधन का…"
Tuesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service