For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल ..22 22 22 22 22 2 ....सीला माँ (शीतला माता )

ताप घृणा का शीतल करदे सीला माँ

इस ज्वाला को तू जल करदे सीला माँ

 

इस मन में मद दावानल सा फैला है

करुणा-नद की कलकल करदे सीला माँ

 

सूख गया है नेह ह्रदय का ईर्ष्या से

इस काँटे को कोंपल करदे सीला माँ

 

प्यास लबों पर अंगारे सी दहके है

हर पत्थर को छागल करदे सीला माँ

 

सूरज सर पर तपता है दोपहरी में

सर पर अपना करतल करदे सीला माँ

 

दूध दही हो जाता है शीतलता से

भाप जमा कर बादल करदे सीला माँ

 

गम की धूप सताती है फिर बेटों को

पग पग पर फिर पीपल करदे सीला माँ

 

खंडित को भी मंडित कर देती है तू 

कंकर को तू कोमल करदे सीला माँ

 

क्रोध दया को छाँव नहीं देगा मन में

इस सहरा को जंगल करदे सीला माँ

मौलिक व अप्रकाशित 

Views: 856

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on March 15, 2015 at 9:48pm

आ० खैरादी जी

लाजवाब  . बेहतरीन . निशब्द .


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on March 15, 2015 at 9:43am

क्या बात है ! आदरणीय खुर्शीद भाई , ग़ज़ल भी भजन भी और एक दिल से निकली प्रार्थाना भी , सब का आनन्द एक साथ मिल गया । हार्दिक बधाइयाँ ।

Comment by ajay sharma on March 14, 2015 at 10:57pm

लाजवाब, उम्दा ग़ज़ल ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on March 14, 2015 at 9:32pm

अनुपम अतुलनीय 

आपकी कलम का एक और कमाल 

आदरणीय खुर्शीद सर इस बेहतरीन और उम्दा ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई 

Comment by Shyam Mathpal on March 14, 2015 at 7:55pm

Aadarniya Khurseed Khairadi Ji,

Shitala Mata ko samarpit bhavpurn rachna ke liye dili mubarkbad.

Comment by khursheed khairadi on March 14, 2015 at 10:08am

आदरणीय श्याम जी ,आ.उमेश जी,आ.महर्षि जी ,आदरणीय हरिप्रकाश जी ,आदरणीय विजयशंकर जी .आ.सोमेश जी ,आ. नीरज सर ,आ. जान साहब ,आदरणीया राजेश दीदी ,आप सभी ने ,राजस्थान में मनाये जाने वाले शीतला अष्टमी पर्व को समर्पित मेरे इस अनगढ़ प्रयास को जो प्यार दिया उसके लिए हृदय से आभारी हूं |इस दिन ठंडा और बासी भोजन खाया जाता है ,यह वही पूजनीय शीतला माता है ,जो लोकमान्यता के अनुसार चेचक रोग से बच्चों को बचाती है तथा कई जगह छोटी माता के रूप में पूजी जाती है |

केक्टस को तू उत्पल करदे सीला माँ 

बासी को तू निर्मल करदे सीला माँ 

Comment by somesh kumar on March 14, 2015 at 8:43am

जय जय शीतला माँ और जय जय माँ के पावन चरणों में इस रचना को निवेदित करने वाले खुर्शीद भाई जी |

Comment by Dr. Vijai Shanker on March 13, 2015 at 9:52pm
ताप घृणा का शीतल करदे सीला माँ
इस ज्वाला को तू जल करदे सीला माँ
वाह , बहुत सुन्दर , आदरणीय खुर्शीद खैरादी जी , सादर।
Comment by maharshi tripathi on March 13, 2015 at 9:44pm

इस भावपूर्ण गजल पर दाद कुबुलें आ. khursheed khairadi  जी |.

Comment by Neeraj Neer on March 13, 2015 at 7:45pm

बहुत ही सुंदर ... माँ प्रकृति के प्रति इतना अनुराग एवं श्रद्धा भाव ही इतनी सुंदर रचना का कारण है .... हार्दिक बधाई 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Gurpreet Singh jammu replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"मुशायरे की अच्छी शुरुआत करने के लिए बहुत बधाई आदरणीय जयहिंद रामपुरी जी। बदलना ज़िन्दगी की है…"
39 minutes ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आदरणीय शिज्जु "शकूर" जी, पोस्ट पर आने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।"
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"पगों  के  कंटकों  से  याद  आयासफर कब मंजिलों से याद आया।१।*हमें …"
4 hours ago
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आदरणीय नीलेश जी सादर अभिवादन आपका बहुत शुक्रिया आपने वक़्त निकाला मतला   उड़ने की ख़्वाहिशों…"
5 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"उन्हें जो आँधियों से याद आया मुझे वो शोरिशों से याद आया अभी ज़िंदा हैं मेरी हसरतें भी तुम्हारी…"
5 hours ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आ. शिज्जू भाई,,, मुझे तो स्कॉच और भजिये याद आए... बाकी सब मिथ्याचार है. 😁😁😁😁😁"
8 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"तुम्हें अठखेलियों से याद आया मुझे कुछ तितलियों से याद आया  टपकने जा रही है छत वो…"
8 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आदरणीय दयाराम जी मुशायरे में सहभागिता के लिए हार्दिक बधाई आपको"
8 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आदरणीय निलेश नूर जीआपको बारिशों से जाने क्या-क्या याद आ गया। चाय, काग़ज़ की कश्ती, बदन की कसमसाहट…"
8 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आदरणीय जयहिंद रायपुरी जी, मुशायरे के आग़ाज़ के लिए हार्दिक बधाई, शेष आदरणीय नीलेश 'नूर'…"
8 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"ग़ज़ल — 1222 1222 122 मुझे वो झुग्गियों से याद आयाउसे कुछ आँधियों से याद आया बहुत कमजोर…"
9 hours ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"अभी समर सर द्वारा व्हाट्स एप पर संज्ञान में लाया गया कि अहद की मात्रा 21 होती है अत: उस मिसरे को…"
9 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service