For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

गंगा माँ की गोद में,बसा कानपुर धाम
सरसैया के घाट पर, उगती सहर तमाम  ॥

 

महा आरती मात की, कर लो हृदय लगाय

  कट जायें संकट सभी ,सुंदर सरल उपाय ॥

 

हिमगिर के उर से बही,पसरी वसुधा गोद

लहराती वो चल पड़ी,भरती मन आमोद 

 

मोक्षदायनी याद में , कहाँ भागीरथ आज

उनका तप बल याद कर,सफल बना लो काज ॥

 

गंगा गीता गाय को , प्यार करें भगवान
मानव इसको भूल कर,करता बस अभिमान ॥

 

चारु चंद्र जब निकलता,माँ गंगा के तीर
रजत रश्मियों से खिला, निर्मल पावन नीर॥ 

मौलिक व अप्रकाशित 

कल्पना मिश्रा बाजपेई 

Views: 4525

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by kalpna mishra bajpai on March 12, 2015 at 11:22pm

आ० maharshi tripathi जी आभार आप का /सादर 

Comment by Dr. Vijai Shanker on March 12, 2015 at 9:41pm
दोहों की बहुत सुन्दर प्रस्तुति, आदरणीय सुश्री कल्पना मिश्रा बाजपेयी जी , बधाई , सादर।
Comment by Shyam Mathpal on March 12, 2015 at 8:42pm

Aadarniya Kalpana Mishra Bajpai Ji,

Shabdon Ki motiyon Ko kafi acchhe tarike se piroya hai aapne . Ganga wa Kanpur ka gungan ati sundar. Hardik Badhai.

Comment by maharshi tripathi on March 12, 2015 at 8:35pm

सुन्दर दोहों पर आपको बधाई आ. kalpna mishra जी |

Comment by kalpna mishra bajpai on March 12, 2015 at 7:58pm

आ० krishna mishra 'jaan'gorakhpuri  जी आभार आप का /सादर 

Comment by kalpna mishra bajpai on March 12, 2015 at 7:57pm

आदरणीय  Shyam Narain Verma सर आभार आप का /सादर 

Comment by kalpna mishra bajpai on March 12, 2015 at 7:57pm

आदरणीय  Hari Prakash Dubey जी आप का आभार /सादर ..... मैं तो सिर्फ सीख रही हूँ 

Comment by Shyam Narain Verma on March 12, 2015 at 4:25pm
बहुत खूब ॥ आपको हार्दिक बधाइयाँ ॥
Comment by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on March 12, 2015 at 4:06pm

गंगा गीता गऔ को , प्यार करें भगवान

मानव इसको भूल कर,करता बस अभिमान ॥

सुंदर दोहे आदरणीया!हार्दिक बधाईयाँ प्रेषित है!!

Comment by Hari Prakash Dubey on March 12, 2015 at 3:38pm

आदरणीया कल्पना मिश्रा जी,आपकी रचनाओं से इस विधा का सुन्दर ज्ञान मिल रहा है , इस सुंदर प्रस्तुति पर हार्दिक बधाई ! सादर

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आदरणीय लक्ष्मण भाई अच्छी ग़ज़ल हुई है , बधाई स्वीकार करें "
8 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post पूनम की रात (दोहा गज़ल )
"आदरणीय सुरेश भाई , बढ़िया दोहा ग़ज़ल कही , बहुत बधाई आपको "
8 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीया प्राची जी , ग़ज़ल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका हार्दिक आभार "
8 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"सभी अशआर बहुत अच्छे हुए हैं बहुत सुंदर ग़ज़ल "
Wednesday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

पूनम की रात (दोहा गज़ल )

धरा चाँद गल मिल रहे, करते मन की बात।जगमग है कण-कण यहाँ, शुभ पूनम की रात।जर्रा - जर्रा नींद में ,…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी

वहाँ  मैं भी  पहुंचा  मगर  धीरे धीरे १२२    १२२     १२२     १२२    बढी भी तो थी ये उमर धीरे…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , उत्साह वर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार "
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"आ.प्राची बहन, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार।"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"कहें अमावस पूर्णिमा, जिनके मन में प्रीत लिए प्रेम की चाँदनी, लिखें मिलन के गीतपूनम की रातें…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"दोहावली***आती पूनम रात जब, मन में उमगे प्रीतकरे पूर्ण तब चाँदनी, मधुर मिलन की रीत।१।*चाहे…"
Jul 12
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"स्वागतम 🎉"
Jul 12
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

१२२/१२२/१२२/१२२ * कथा निर्धनों की कभी बोल सिक्के सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के।१। * महल…See More
Jul 10

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service