For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

रुख़सती पे उनकी...............

रुख़सती पे उनकी आँखों में नमी अच्छी लगी

ज्यूं दूर बादलों को धरा की गमी अच्छी लगी

तबस्सुम देख के मचली लबों पे एक दूसरे के

पाक इरादों में छिपी उनकी कमी अच्छी लगी

असीम समन्दर की रगों में खारापन भी देखिए

फिर भी मिलने आ गई मीठी नदी अच्छी लगी

अपनी मिल्कियत समझता रहा जहाँ को दोस्तों

चलते हुए उनको भी दो गज जमीं अच्छी लगी

@आनंद १४/०३/२०१५ मौलिक व अप्रकाशित"

Views: 606

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by C.M.Upadhyay "Shoonya Akankshi" on July 19, 2019 at 11:51pm

"असीम समन्दर की रगों में खारापन भी देखिए

फिर भी मिलने आ गई मीठी नदी अच्छी लगी"

बहुत बढ़िया | 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on March 16, 2015 at 9:39pm

आ० गिरिराज जी एवं डॉ गोपाल जी की बात का समर्थन करती हूँ ये प्रस्तुति भाव प्रधान हैं ग़ज़ल की कसौटी पर कसोगे तो बेहतरीन ग़ज़ल बन सकती है ,प्रयास कीजिये सफलता मिलेगी बहरहाल इस प्रयास पर हार्दिक बधाई. 

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on March 16, 2015 at 7:25pm

आनंद जी

आ० भंडारी जी के मंतव्य पर ध्यान दे . आपकी गजल का भाव पक्ष अच्छा है .तनिक प्रयास से आप अच्छे शुद्ध गजल लिख  सकते हैं .सस्नेह .

Comment by Shyam Mathpal on March 16, 2015 at 3:38pm

Priya Anad Murti ji,

Sundar rachna ke liye badhai.


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on March 16, 2015 at 12:59pm

आ. आनन्द भाई , रचना के भाव बहुत सुन्दर लगे ! गज़ल के करीब  ज़रूर है रचना पर गज़ल नहीं हो पाई है । अगर आप गज़ल कहना चाह रहे हैं तो  मंच मे उपलब्ध ' ग़ज़ल की बातें ' पाठ का अध्ययन ज़रूर करें ॥

Comment by Hari Prakash Dubey on March 16, 2015 at 3:44am

श्री आनंद मूर्ति जी ,सुन्दर प्रयास ,सुन्दर ग़ज़ल हार्दिक बधाई आपको !

Comment by maharshi tripathi on March 15, 2015 at 9:37pm

असीम समन्दर की रगों में खारापन भी देखिए

फिर भी मिलने आ गई मीठी नदी अच्छी लगी...........वाह !!! बहुत खूब आ.भाईanand murthy  जी |

Comment by gumnaam pithoragarhi on March 15, 2015 at 2:57pm
अच्छा लिखा है भाई जी बधाई

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"अंतिम दो पदों में तुकांंत सुधार के साथ  _____ निवृत सेवा से हुए, अब निराली नौकरी,बाऊजी को चैन…"
1 hour ago
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"मनहरण घनाक्षरी _____ निवृत सेवा से हुए अब निराली नौकरी,बाऊजी को चैन से न बैठने दें पोतियाँ माँगतीं…"
4 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"मनहरण घनाक्षरी * दादा जी  के संग  तो उमंग  और   खुशियाँ  हैं, किस्से…"
14 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"मनहरण घनाक्षरी छंद ++++++++++++++++++   देवों की है कर्म भूमि, भारत है धर्म भूमि, शिक्षा अपनी…"
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post रोला छंद. . . .
"आदरणीय जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया ....
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी ।"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . कागज
"आदरणीय जी सृजन पर आपके मार्गदर्शन का दिल से आभार । सर आपसे अनुरोध है कि जिन भरती शब्दों का आपने…"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .यथार्थ
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी सृजन के भावों को मान देने एवं समीक्षा का दिल से आभार । मार्गदर्शन का दिल से…"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .यथार्थ
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय"
Tuesday
Admin posted discussions
Monday
Chetan Prakash commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया ....
"बंधुवर सुशील सरना, नमस्कार! 'श्याम' के दोहराव से बचा सकता था, शेष कहूँ तो भाव-प्रकाशन की…"
Dec 16

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service