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ग़ज़ल - पानी का बना होगा....... (मिथिलेश वामनकर)

1222---1222---1222---1222

 

ग़लतफ़हमी कि पोखर साफ़ पानी का बना होगा

कमल खिलता हुआ होगा तो कीचड़ से सना होगा।

 

सुख़नवर ने सुखन की बाढ़ ला दी क्या कहे साहिब

सुखन में है सुखन कितनी, यही बस सोचना होगा।

 

उजाले कुछ सदाकत के संभालों आखिरी दम को 

न कोई साथ में होगा, अँधेरा भी घना होगा।

 

रवां रफ़्तार में खोया तू अपनी कामयाबी की

न तेरा छूट जाए घर, इसे अब रोकना होगा।

 

दिया है कब निज़ामत ने किसी को मांगने से कुछ

अगर हक़ चाहिए तुमको जबर से छीनना होगा।

 

अमूमन फेसबुक पर मैं बहुत अपडेट रहता हूँ

पड़ोसी कौन है मत पूछ शायद सोचना होगा।

 

हमेशा जी-हुजूरी से यहाँ सब काम होते है

हुनर अब जेब में रख लो कि नाहक ही फ़ना होगा।

 

 

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(मौलिक व अप्रकाशित)  © मिथिलेश वामनकर 
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Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on March 19, 2015 at 9:27pm

आ० वामनकर जी

सभस अशआर बेहतरीन . वाह.

सुख़नवर ने सुखन की बाढ़ ला दी क्या कहे साहिब

सुखन में है सुखन कितनी, यही बस सोचना होगा।

 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on March 19, 2015 at 8:58pm

आदरणीय श्याम मठपाल जी  सराहना और सकारात्मक प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार ... 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on March 19, 2015 at 8:57pm

आदरणीय गिरिराज सर, आपकी सकारात्मक प्रतिक्रिया पाकर संतुष्टि हुई, हार्दिक आभार, नमन 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on March 19, 2015 at 8:56pm

आदरणीय गुमनाम सर जी आप जैसे सुलझे हुए शायर से सराहना और सकारात्मक प्रतिक्रिया पाकर मन आनंदित हो गया ... सराहना के लिए हार्दिक आभार ... 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on March 19, 2015 at 8:54pm

आदरणीय डॉ विजय शंकर सर, आपकी सराहना और सकारात्मक प्रतिक्रिया पाकर सदैव मनोबल बढ़ता है... स्नेह के लिए हार्दिक आभार ... नमन ... 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on March 19, 2015 at 8:52pm

आदरणीय कृष्ण मिश्रा भाई ग़ज़ल पर विस्तृत और समीक्षात्मक प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on March 19, 2015 at 8:51pm

आदरणीय नादिर खान जी आपको अशआर पसंद आये लिखना सार्थक हुआ सराहना और सकारात्मक प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार ... 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on March 19, 2015 at 8:50pm

आदरणीया निधि जी, सराहना और सकारात्मक प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार ... 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on March 19, 2015 at 8:50pm

आदरणीया राजेश दीदी ग़ज़ल आपको पसंद आई, लिखना सार्थक हुआ. सराहना और सकारात्मक प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार ... नमन 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on March 19, 2015 at 8:48pm

आदरणीय श्याम नरेन् वर्मा जी हार्दिक आभार 

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