For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

जेल से रिहा होकर बहुत प्रसन्न था वो , कदम उसके उत्साह का साथ नहीं दे पा रहे थे | बस मन में एक ही इच्छा , कितनी जल्दी पहुंचे अपने घर , अपनों के बीच | भागते हुए अपने मोहल्ले में घुसा , नुक्कड़ की दुकान वाले चाचा ने जैसे अनदेखा कर दिया | उसे थोड़ा अजीब तो लगा लेकिन जल्दी जल्दी कदम बढ़ाते हुए वो घर की ओर लपका | अचानक उसके कान में आवाज़ आई " किसने सोचा था कि ये भी इसमें शामिल हो सकता है , कितना मासूम चेहरा और ऐसी नापाक हरक़त "|
शक के बिना पर उसकी गिरफ्तारी हुई थी , वज़ह थी उसके कुछ दोस्त जो सामाजिक और धार्मिक भेदभाव के विरोध में आवाज़ उठाते थे और कभी कभी देर रात तक उनकी बैठक चलती थी उसके घर | अदालत ने तो बरी कर दिया लेकिन समाज़ की सवालिया नज़रें उसका पीछा नहीं छोड़ रही थीं | जहाँ जाता , लोग पीठ पीछे कुछ न कुछ कह देते |
माँ उसके मन में चल रहे विचारों के झंझावात को समझ गयी | उसने प्यार से उसको समझाया " बाहरी जख्म तो भर जाते हैं लेकिन अंदरुनी जख्मों को भरने में समय लगता है | थोड़ा समय लगेगा और समाज़ भी तुम्हे रिहाई दे देगा "| उसने माँ की गोद में सर रखा और उसके मन की पीड़ा बह निकली |

मौलिक एवम अप्रकाशित

Views: 666

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by विनय कुमार on March 26, 2015 at 5:51pm

बहुत बहुत आभार आदरणीय  लक्ष्मण रामानुज लडीवाला जी | ऐसी स्थिति से निकलने में माता पिता ही सबसे ज्यादा मदद कर सकते हैं ..

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on March 26, 2015 at 3:11pm

शक  के कारण भी अगर जेल हो जाएँ या पुलिस पकड़ कर ले  जाती  है तो मोहल्ले वाले भी  शक  की  नजरों से देखने लगते है | इस बार कोई जख्म हो गया वह भी अंदरूनी जख्म तो  फिर उसे भरने के समय तो लगता है | ऐसे में माँ-बाप और परिवार का प्यार ही सबसे बड़ा संबल  होता है | सुदर लघु  कथा के लिए बधाई श्री  विनय कुमार सिंह जी  

Comment by विनय कुमार on March 26, 2015 at 12:32pm

बहुत बहुत आभार आदरणीय वीरेन्द्र मेहता जी..

Comment by विनय कुमार on March 26, 2015 at 12:32pm

बहुत बहुत आभार आदरणीय हरी प्रकाश दुबे जी..

Comment by VIRENDER VEER MEHTA on March 26, 2015 at 10:28am

आदरणीय विनय कुमार जी कथा लाजवाब है,...... किये गए अपराध की अपेक्षा झूठ आरोप मन को अधिक पीड़ा देते है.......सुन्दर कथा के लिए बधाई स्वीकार करे.

Comment by Hari Prakash Dubey on March 26, 2015 at 9:55am

बहुत खूब कहा आपने आदरणीय विनय जी "बाहरी जख्म तो भर जाते हैं लेकिन अंदरुनी जख्मों को भरने में समय लगता है" बधाई आपको ! सादर 

Comment by विनय कुमार on March 26, 2015 at 8:29am

बहुत बहुत आभार आदरणीय कृष्ण मिश्रा जान गोरखपुरी जी ..

Comment by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on March 25, 2015 at 10:09pm

उम्दा लघुकथा पर बधाईयां आ० विनय जी!

Comment by विनय कुमार on March 25, 2015 at 9:01pm

बहुत बहुत आभार आदरणीय  मिथिलेश वामनकर जी..

Comment by विनय कुमार on March 25, 2015 at 9:00pm

बहुत बहुत आभार आदरणीय डॉ आशुतोष मिश्रा जी..

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted discussions
1 hour ago
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
1 hour ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण जी "
14 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण जी "
14 hours ago
Chetan Prakash commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post घाव भले भर पीर न कोई मरने दे - लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"खूबसूरत ग़ज़ल हुई, बह्र भी दी जानी चाहिए थी। ' बेदम' काफ़िया , शे'र ( 6 ) और  (…"
yesterday
Chetan Prakash commented on PHOOL SINGH's blog post यथार्थवाद और जीवन
"अध्ययन करने के पश्चात स्पष्ट दृष्टिगोचर होता है, उद्देश्य को प्राप्त कर ने में यद्यपि लेखक सफल…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh commented on PHOOL SINGH's blog post यथार्थवाद और जीवन
"सुविचारित सुंदर आलेख "
Saturday

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post घाव भले भर पीर न कोई मरने दे - लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"बहुत सुंदर ग़ज़ल ... सभी अशआर अच्छे हैं और रदीफ़ भी बेहद सुंदर  बधाई सृजन पर "
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (अलग-अलग अब छत्ते हैं)
"आ. भाई अजय जी, सादर अभिवादन। परिवर्तन के बाद गजल निखर गयी है हार्दिक बधाई।"
Thursday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन गजल हुई है। सार्थक टिप्पणियों से भी बहुत कुछ जानने सीखने को…"
Thursday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन। सुंदर गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"आ. भाई बृजेश जी, सादर अभिवादन। गीत का प्रयास अच्छा हुआ है। पर भाई रवि जी की बातों से सहमत हूँ।…"
Wednesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service