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उठने लगा है दिल से मेरे ये सवाल क्यों
इस तंगदिल जहाँ से करूँ अर्ज़े हाल क्यों
तुझसे रही न कोई शनासाई ऐ हयात
फिर बार-बार आये तेरा ही खयाल क्यों
हैं अश्क़बार और भी इस बज़्म में कई
ऐ दोस्त ये बता कि मेरी ही मिसाल क्यों
आयेंगे और लम्हे अभी तो बहार के
आखिर तुम्हें है शाखे शजर ये मलाल क्यों
कैसे बताये कोई मुकद्दर किसी का क्या
कल जो खिला चमन में वो अब पायमाल क्यों
जिनकी वफा का बोझ लिये चल रहा था मैं
उनको पता नहीं मेरा जीना मुहाल क्यों
मौलिक व अप्रकाशित
Comment
वाह क्या खूब ...
तुझसे रही न कोई शनासाई ऐ हयात
फिर बार-बार आये तेरा ही खयाल क्यों ..... बहुत खूब ...
आ० शिज्जू भाई
निस्शब्द हूँ . क्या गजल है . हर शेर एक मोती है और गजल मोती की माला . सादर .
उठने लगा है दिल से मेरे ये सवाल क्यों
इस तंगदिल जहाँ से करूँ अर्ज़े हाल क्यों
तुझसे रही न कोई शनासाई ऐ हयात
फिर बार-बार आये तेरा ही खयाल क्यों
हैं अश्क़बार और भी इस बज़्म में कई
ऐ दोस्त ये बता कि मेरी ही मिसाल क्यों
आयेंगे और लम्हे अभी तो बहार के
आखिर तुम्हें है शाखे शजर ये मलाल क्यों
कैसे बताये कोई मुकद्दर किसी का क्या
कल जो खिला चमन में वो अब पायमाल क्यों
behad umda waaaaaaaaaaaaaaaaaah......mubark ho. daad hazir
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