जीवन का आधार प्रीत है ...........
जीवन का आधार प्रीत है
स्वप्न का श्रृंगार प्रीत है
जलते रहना दीप लौ पर
शलभ की निस्वार्थ प्रीत है
विरह में बरसात की बूंदें
सावन का रूठा संगीत है
लहरों पे वो छवि मयंक की
नयन बिम्ब की तरल प्रीत है
मधुर पलों का मौन समर्पण
अधरों पर अधरों की जीत है
भुजबंधन का तरुण स्पन्दन
आसक्त पलों की मधुर प्रीत है
आवारापन वो तिमिर-केश का
मधुप पुष्प की अमर प्रीत है
सुशील सरना
मौलिक एवं अप्रकाशित
Comment
आदरणीय गिरिराज भंडारी जी रचना पर आपकी मधुर प्रशंसा का हार्दिक आभार। रचना पर आपका मार्ग दर्शन सदा ही मेरे सृजन को सशक्त करता है। इसे मैं आपकी चाहत के अनुरूप ढालकर पुनः प्रकाशित करूंगा। आपका तहे दिल से शुक्रिया। भविष्य में भी इसी प्रकार आपके स्नेहिल मार्गदर्शन की अपेक्षा रहेगी। धन्यवाद।
आदरणीय जितेन्द्र पस्टारिया जी रचना पर आपकी मधुर प्रशंसा का हार्दिक आभार।
मधुर पलों का मौन समर्पण
अधरों पर अधरों की जीत है...बहुत सुंदर पंक्तियाँ, बधाई स्वीकारें आदरणीय सरना जी
आदरणीय सुशील भाई , लाजवाब गीत रचना हुई है , दिली बधाइयाँ स्वीकार करें ॥ पंक्तियों मे मात्रा कहीं 16 कही6 15 होने से गेयता
में कमी है -- जैसे -
जीवन का आधार प्रीत है -- 16
स्वप्न का श्रृंगार प्रीत है -- 15 -- अगर स्वप्नों कर दें मात्रा सही हो जायेंगी , बस ऐसे ही कुछ जगह है ॥ सादर !!
आदरणीय शिज्जु "शकूर" jee प्रस्तुति पर आत्मीय प्रशंसा का हार्दिक आभार।
आदरणीय shree suneel jee प्रस्तुति पर आत्मीय प्रशंसा का हार्दिक आभार।
वाह बहुत सुंदर आदरणीय सुशील सरना सर बहुत बहुत बधाई
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