For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

नसरी नज़्म :- "शहीद"

उस शहीद का तसव्वुर
ज़ह्न से नहीं निकलता
शर्म से सर झुका हुवा है
दर्द दिल में छुपा हुवा है
इस तसव्वुर ने मेरे रोज़-ओ- शब
मेरे अपने नहीं रहने दिये
मैं उसी का होकर रह गया हूँ
कहीं खो गया हूँ
उसका रुत्बा मुझे झंझोड़ता है
सूखे ज़ख़्मों को फिर उधेड़ता है
मेरे अंदर सदा लगाता है
मेरे अहसास को जगाता है
मुझ से कोई सवाल है उसका
इश्क़ भी ला ज़वाल है उसका
मुझसे इतना ही चाहता है वो
उसकी क़ुर्बानी को मैं आम करूँ
और जिहालत का क़त्ल-ए-आम करूँ
उसके मक़सद को आगे ले जाऊँ,
इस तसव्वुर में इक दरार पड़ी
उस के अंदर से इक ख़याल आया,
मैं तो शाईर हूँ और मेरे लिये
यह क़लम ही है मेरा सरमाया,
और मैने उठा लिया है क़लम
उस तसव्वुर को में रक़म कर दूँ
सारे लोगों का दर्द कम कर दूँ
उसका मक़सद है अब मिरा मक़सद
अपने लफ़्ज़ों से मैं वो काम करूँ
और सच्चाई को मैं आम करूँ,
और फिर एक दिन यह हो जाए
इसी मक़सद में जाँ चली जाए,
एक हसरत है पूरी हो जाए
लोग मुझ को भी इक शहीद कहें


"समर कबीर"
मौलिक/अप्रकाशित

Views: 666

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Samar kabeer on April 17, 2015 at 10:21am
जनाब सौरभ पाँडे जी,आदाब,रचना में आपकी शिर्कत हो गई,लिखना सफ़ल हुवा,सुख़न नवाज़ी के लिये आपका तहे दिल से शुक्रगुज़ार हूँ |

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on April 16, 2015 at 6:05pm

कलम का सिपाही जिस गहराई से सोचता है, उसकी पूरी भावना उभर के आई है, भाईसाहब,,

हार्दिक शुभकामनाएँ

Comment by Samar kabeer on April 16, 2015 at 11:01am
जनाब श्री सुनील जी,आदाब,रचना आपको पसंद आई,लिखना सार्थक हुवा,ज़र्रा नवाज़ी के लिये तहे दिल से शुक्रगुज़ार हूँ |
Comment by Samar kabeer on April 16, 2015 at 10:58am
जनाब हरी प्रकाश दुबे जी,आदाब,हौसला अफ़ज़ाई के लिये तहे दिल से शुक्रगुज़ार हूँ |
Comment by Samar kabeer on April 16, 2015 at 10:53am
जनाब गिरिराज भंडारी जी,"जान" गोरखपुरी जी,आदाब,तक़रीबन पच्चीस वर्षों के बाद नसरी नज़्म लिखी है,आख़री की तीन पंक्तियों पर लगता है आपने ग़ौर नहीं किया,मैं जानता हूँ जीते जी किसी को शहीद नहीं कहा जा सकता,इतिहास साक्षी है कि सच्चाई की राह पर चलने वालों को शहादत का जाम पीना पड़ा है,कवि की हार्दिक इच्छा यही है की :-

"और फिर एक दिन यह हो जाए
इसी मक़सद में जाँ चली जाए,
एक हसरत है पूरी हो जाए
लोग मुझ को भी इक शहीद कहें"

वह भी सच्चाई के पथ पर चलते चलते एक दिन शहीद हो जाए और लोग उसे मरने के बाद शहीद कहें |
Comment by Samar kabeer on April 16, 2015 at 10:27am
आली जनाब डा.विजय शंकर जी,आदाब, ज़र्रा नवाज़ी के लिये तहे दिल से शुक्रगुज़ार हूँ |
Comment by Samar kabeer on April 16, 2015 at 10:25am
आली जनाब डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव जी,आदाब,हौसला अफ़ज़ाई के लिये तहे दिल से शुक्रगुज़ार हूँ |
Comment by shree suneel on April 16, 2015 at 8:58am
खूबसूरत नज़्म आ0 समर कबीर सर.
मैं तो शाईर हूँ और मेरे लिये
यह क़लम ही है मेरा सरमाया,"
सच्ची बात हीं है. बधाईयाँ आपको.
Comment by Hari Prakash Dubey on April 15, 2015 at 10:12pm

आदरणीय समर कबीर साहब , बहुत सुन्दर रचना , हार्दिक बधाई ! सादर 

Comment by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on April 15, 2015 at 9:48pm

सुन्दर नज्म पर बधाई,आदरणीय समर कबीर सरजी! आदरणीय गिरिराज सर की बात से मै  सहमत हूँ!

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"माँ की नहीं धरा कोई तुलना है  माँ तो माँ है, देवी होती है ! माँ जननी है सब कुछ देती…"
8 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय विमलेश वामनकर साहब,  आपके गीत का मुखड़ा या कहूँ, स्थायी मुझे स्पष्ट नहीं हो सका,…"
10 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय, दयावान मेठानी , गीत,  आपकी रचना नहीं हो पाई, किन्तु माँ के प्रति आपके सुन्दर भाव जरूर…"
10 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय दयाराम मैठानी जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। सादर।"
15 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय दयाराम मैठानी जी प्रदत्त विषय पर आपने बहुत सुंदर रचना प्रस्तुत की है। इस प्रस्तुति हेतु…"
15 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी, अति सुंदर रचना के लिए बधाई स्वीकार करें।"
16 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"गीत ____ सर्वप्रथम सिरजन अनुक्रम में, संसृति ने पृथ्वी पुष्पित की। रचना अनुपम,  धन्य धरा…"
20 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सौरभ पांडेय जी, प्रोत्साहन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।"
23 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"वाह !  आदरणीय दयाराम जी, प्रदत्त विषय पर आपने भावभीनी रचना प्रस्तुत की है.  हार्दिक बधाई…"
yesterday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"माँ पर गीत जग में माँ से बढ़ कर प्यारा कोई नाम नही। उसकी सेवा जैसा जग में कोई काम नहीं। माँ की…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आदरणीय धर्मेन्द्र भाई, आपसे एक अरसे बाद संवाद की दशा बन रही है. इसकी अपार खुशी तो है ही, आपके…"
yesterday
धर्मेन्द्र कुमार सिंह posted a blog post

शोक-संदेश (कविता)

अथाह दुःख और गहरी वेदना के साथ आप सबको यह सूचित करना पड़ रहा है कि आज हमारे बीच वह नहीं रहे जिन्हें…See More
Thursday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service