For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

अब और सब्र का तू मेरे इम्तिहाँ न ले

221 2121 1221 212

अब और सब्र का तू मेरे इम्तिहाँ न ले

मेरी ज़मीं न छीन मेरा आसमाँ न ले

 

है मुख़्तसर ज़मीन तमन्नाओं की फ़क़त

ऐ बेरहम नसीब यूँ मेरा जहाँ न ले

 

कम रख ज़रा तू अपनी रवानी को ऐ हवा

इतना रहम तो कर कि मेरा आशियाँ न ले

 

जज़्बात से न बाँध मुझे ऐसे हमनशीं

मत रोक लफ़्ज़ मेरे यूँ मेरी ज़बाँ न ले

 

कायम है कायनात शजर के वुजूद से

खुद को ही बेवुजूद न कर अपनी जाँ न ले

 

 मौलिक व अप्रकाशित

Views: 653

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on April 26, 2015 at 12:09pm

आदरणीय सौरभ सर रचना पर आपकी उपस्थिति हमेशा ही उत्साहित करती है, आपका तहेदिल से शुक्रिया


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on April 23, 2015 at 4:55pm

शिज्जू भाई..  मैं मतले पर झूम-झूम रहा हूँ.
वैसे तो पूरी ग़ज़ल कमाल की हुई है लेकिन इन दो शेरों को विशेष तौर पर उद्धृत कर रहा हूँ -

कम रख ज़रा तू अपनी रवानी को ऐ हवा
इतना रहम तो कर कि मेरा आशियाँ न ले

जज़्बात से न बाँध मुझे ऐसे हमनशीं
मत रोक लफ़्ज़ मेरे यूँ मेरी ज़बाँ न ले

दिल से दाद कुबूल कीजिये..


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on April 23, 2015 at 3:55pm

मेरी रचना आप लोगों ने समय दिया सराहा, आपकी इन नवाज़िशों से मेरा हौसला बढ़ा है आप सभी का मैं तहेदिल से शुक्रिया अदा करता हूँ और ये उम्मीद करता हूँ आप सभी का स्नेह ऐसे ही मिलता रहेगा

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on April 23, 2015 at 1:24pm

आदरणीय शिज्जू भाई

मतले से ही आपने रफ़्तार पकड़ ली और अंत तक बस मजा आ गया . आपका एक और करिश्मा. सादर .

Comment by Dr. Vijai Shanker on April 23, 2015 at 8:35am
जज़्बात से न बाँध मुझे ऐसे हमनशीं
मत रोक लफ़्ज़ मेरे यूँ मेरी ज़बाँ न ले
बहुत खूब, शानदार, बधाई, आदरणीय शिज्जु शकूर जी , सादर।
Comment by Samar kabeer on April 22, 2015 at 6:08pm
जनाब शिज्जु "शकूर" जी,आदाब,ख़ूबसूरत,पुख़्ता,मुकम्मल,कामयाब ग़ज़ल के लिये शैर दर शैर दाद के साथ मुबारकबाद क़ुबूल फ़रमाऐं |

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on April 22, 2015 at 4:08pm

आदरणीय शिज्जु भाई , पूरी ग़ज़ल बेमिसाल  अशआर  से सजी है , पूरी गज़ल के लिये दिली मुबारक बाद कुबूल करें ॥ 

Comment by Dr Ashutosh Mishra on April 22, 2015 at 1:48pm

आदरणीय शिज्जू जी ..आनंद आ गया ..इस सफल सुंदर ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई सादर 

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on April 22, 2015 at 10:26am

ख़ूबसूरत अश’आर हुए हैं शिज्जू जी, दाद कुबूल करें।

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on April 22, 2015 at 10:20am

वाह! शानदार गजल कही आदरणीय शिज्जू जी.

कम रख ज़रा तू अपनी रवानी को ऐ हवा

इतना रहम तो कर कि मेरा आशियाँ न ले.......क्या बात है ,सर जी. विशेष बधाई स्वीकारें

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"माँ की नहीं धरा कोई तुलना है  माँ तो माँ है, देवी होती है ! माँ जननी है सब कुछ देती…"
13 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय विमलेश वामनकर साहब,  आपके गीत का मुखड़ा या कहूँ, स्थायी मुझे स्पष्ट नहीं हो सका,…"
15 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय, दयावान मेठानी , गीत,  आपकी रचना नहीं हो पाई, किन्तु माँ के प्रति आपके सुन्दर भाव जरूर…"
15 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय दयाराम मैठानी जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। सादर।"
20 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय दयाराम मैठानी जी प्रदत्त विषय पर आपने बहुत सुंदर रचना प्रस्तुत की है। इस प्रस्तुति हेतु…"
20 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी, अति सुंदर रचना के लिए बधाई स्वीकार करें।"
21 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"गीत ____ सर्वप्रथम सिरजन अनुक्रम में, संसृति ने पृथ्वी पुष्पित की। रचना अनुपम,  धन्य धरा…"
yesterday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सौरभ पांडेय जी, प्रोत्साहन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"वाह !  आदरणीय दयाराम जी, प्रदत्त विषय पर आपने भावभीनी रचना प्रस्तुत की है.  हार्दिक बधाई…"
yesterday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"माँ पर गीत जग में माँ से बढ़ कर प्यारा कोई नाम नही। उसकी सेवा जैसा जग में कोई काम नहीं। माँ की…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आदरणीय धर्मेन्द्र भाई, आपसे एक अरसे बाद संवाद की दशा बन रही है. इसकी अपार खुशी तो है ही, आपके…"
Friday
धर्मेन्द्र कुमार सिंह posted a blog post

शोक-संदेश (कविता)

अथाह दुःख और गहरी वेदना के साथ आप सबको यह सूचित करना पड़ रहा है कि आज हमारे बीच वह नहीं रहे जिन्हें…See More
Thursday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service