For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल ;आसान राहों पे...

2212 2212 2212

आसान राहों पे ले आती है मुझे
उसकी दुआ है, लग हीं जाती है मुझे.

ये शोर दिन का चैन लूटे है मेरा
औ' रात की चुप्पी जगाती है मुझे.

किस किस को रोकूं कौन सुनता है मेरी
ये भीङ पागल जो बताती है मुझे.

कूचे में जो मज्कूर है उस्से अलग
दहलीज़ तो कुछ औ' सुनाती है मुझे.

पहलू में मेरे बैठी है मुँह मोङ कर
ये ज़िन्दगी यूँ आजमाती है मुझे.

मौलिक व अप्रकाशित

Views: 697

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on April 28, 2015 at 10:06pm

बहुत सुन्दर ग़ज़ल हुई है आदरणीय सुनील जी ... शेर दर शेर दाद हाज़िर है.


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on April 28, 2015 at 9:25pm

सभी अशआर पसंद आए, अच्छी ग़ज़ल हुई है आदरणीय सुनील जी, बधाई स्वीकार करें.

Comment by shree suneel on April 28, 2015 at 4:52pm
आदरणीय सौरभ पांडे सर, ग़ज़ल पे आपकी सकारात्मक प्रतिक्रिया पुरस्कार समान है. आशा है आपका स्नेह प्राप्त होता रहेगा. धन्यवाद सर.

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on April 28, 2015 at 4:19pm

आपका प्रयास आश्वस्तकारक है, भाई सुनील जी..

ग़ज़ल पर दाद कुबूल कीजिये.

शुभ-शुभ

Comment by shree suneel on April 28, 2015 at 3:32pm
आदरणीय गिरिराज सर, ग़ज़ल आपको अच्छी लगी इसके लिए धन्यवाद. जो त्रुटि है उसे सही कर रहा हूं.
Comment by shree suneel on April 28, 2015 at 3:12pm
आदरणीय निलेश जी, ग़ज़ल आपको पसंद आई इसके लिए बहुत-बहुत शुक्रिया. आपने जिस त्रुटि पे ध्यान दिलाया उसे तुरंत सुधारता हूँ.
मार्गदर्शन के लिए आभारी हूं.
Comment by shree suneel on April 28, 2015 at 2:57pm
आदरणीय मोहन सेठी जी, ग़ज़ल आपको अच्छी लगी... उत्साहवर्धन के लिए धन्यवाद.

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on April 28, 2015 at 12:18pm

आदरणीय सुनील भाई , बहुत अच्छी गज़ल हुई है , हृदय से बधाइयाँ स्वीकार करें ॥ आ. नीलेश भाई जी की बात का संग्यान जीजियेगा ॥

Comment by Nilesh Shevgaonkar on April 28, 2015 at 8:41am

बहुत खूब ...अच्छी ग़ज़ल हुई है 
ये शोर दिन का चैन लूटा है मेरा...इस मिसरे में व्याकरण दोष है 
इस शोर ने लूटा या ये शोर लूटता है मेरा इस प्रकार का कॉम्बिनेशन सही रहेंगा 
ये शोर........लूटे  है मेरा करने से भी ठीक हो सकता है 
सादर 

Comment by Mohan Sethi 'इंतज़ार' on April 28, 2015 at 7:32am

वाह क्या शेर हैं हर एक उम्दा ....बधाई ....

किस किस को रोकूं कौन सुनता है मेरी
ये भीङ पागल जो बताती है मुझे.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"वाह बहुत खूबसूरत सृजन है सर जी हार्दिक बधाई"
22 hours ago
Samar kabeer commented on Samar kabeer's blog post "ओबीओ की 14वीं सालगिरह का तुहफ़ा"
"जनाब चेतन प्रकाश जी आदाब, आमीन ! आपकी सुख़न नवाज़ी के लिए बहुत शुक्रिय: अदा करता हूँ,सलामत रहें ।"
yesterday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 166 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
Tuesday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ पचपनवाँ आयोजन है.…See More
Tuesday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"तकनीकी कारणों से साइट खुलने में व्यवधान को देखते हुए आयोजन अवधि आज दिनांक 15.04.24 को रात्रि 12 बजे…"
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, बहुत बढ़िया प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"आदरणीय समर कबीर जी हार्दिक धन्यवाद आपका। बहुत बहुत आभार।"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"जय- पराजय ः गीतिका छंद जय पराजय कुछ नहीं बस, आँकड़ो का मेल है । आड़ ..लेकर ..दूसरों.. की़, जीतने…"
Sunday
Samar kabeer replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"जनाब मिथिलेश वामनकर जी आदाब, उम्द: रचना हुई है, बधाई स्वीकार करें ।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर posted a blog post

ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना

याद कर इतना न दिल कमजोर करनाआऊंगा तब खूब जी भर बोर करना।मुख्तसर सी बात है लेकिन जरूरीकह दूं मैं, बस…See More
Saturday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"मन की तख्ती पर सदा, खींचो सत्य सुरेख। जय की होगी शृंखला  एक पराजय देख। - आयेंगे कुछ मौन…"
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"स्वागतम"
Apr 13

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service