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ग़ज़ल ;आसान राहों पे...

2212 2212 2212

आसान राहों पे ले आती है मुझे
उसकी दुआ है, लग हीं जाती है मुझे.

ये शोर दिन का चैन लूटे है मेरा
औ' रात की चुप्पी जगाती है मुझे.

किस किस को रोकूं कौन सुनता है मेरी
ये भीङ पागल जो बताती है मुझे.

कूचे में जो मज्कूर है उस्से अलग
दहलीज़ तो कुछ औ' सुनाती है मुझे.

पहलू में मेरे बैठी है मुँह मोङ कर
ये ज़िन्दगी यूँ आजमाती है मुझे.

मौलिक व अप्रकाशित

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सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on April 28, 2015 at 10:06pm

बहुत सुन्दर ग़ज़ल हुई है आदरणीय सुनील जी ... शेर दर शेर दाद हाज़िर है.


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on April 28, 2015 at 9:25pm

सभी अशआर पसंद आए, अच्छी ग़ज़ल हुई है आदरणीय सुनील जी, बधाई स्वीकार करें.

Comment by shree suneel on April 28, 2015 at 4:52pm
आदरणीय सौरभ पांडे सर, ग़ज़ल पे आपकी सकारात्मक प्रतिक्रिया पुरस्कार समान है. आशा है आपका स्नेह प्राप्त होता रहेगा. धन्यवाद सर.

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on April 28, 2015 at 4:19pm

आपका प्रयास आश्वस्तकारक है, भाई सुनील जी..

ग़ज़ल पर दाद कुबूल कीजिये.

शुभ-शुभ

Comment by shree suneel on April 28, 2015 at 3:32pm
आदरणीय गिरिराज सर, ग़ज़ल आपको अच्छी लगी इसके लिए धन्यवाद. जो त्रुटि है उसे सही कर रहा हूं.
Comment by shree suneel on April 28, 2015 at 3:12pm
आदरणीय निलेश जी, ग़ज़ल आपको पसंद आई इसके लिए बहुत-बहुत शुक्रिया. आपने जिस त्रुटि पे ध्यान दिलाया उसे तुरंत सुधारता हूँ.
मार्गदर्शन के लिए आभारी हूं.
Comment by shree suneel on April 28, 2015 at 2:57pm
आदरणीय मोहन सेठी जी, ग़ज़ल आपको अच्छी लगी... उत्साहवर्धन के लिए धन्यवाद.

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on April 28, 2015 at 12:18pm

आदरणीय सुनील भाई , बहुत अच्छी गज़ल हुई है , हृदय से बधाइयाँ स्वीकार करें ॥ आ. नीलेश भाई जी की बात का संग्यान जीजियेगा ॥

Comment by Nilesh Shevgaonkar on April 28, 2015 at 8:41am

बहुत खूब ...अच्छी ग़ज़ल हुई है 
ये शोर दिन का चैन लूटा है मेरा...इस मिसरे में व्याकरण दोष है 
इस शोर ने लूटा या ये शोर लूटता है मेरा इस प्रकार का कॉम्बिनेशन सही रहेंगा 
ये शोर........लूटे  है मेरा करने से भी ठीक हो सकता है 
सादर 

Comment by Mohan Sethi 'इंतज़ार' on April 28, 2015 at 7:32am

वाह क्या शेर हैं हर एक उम्दा ....बधाई ....

किस किस को रोकूं कौन सुनता है मेरी
ये भीङ पागल जो बताती है मुझे.

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