गागा लगा लगा/ लल/ गागा लगा लगा
आवारगी ने मुझ को क़लन्दर बना दिया
कुछ आईनों ने धोखे से पत्थर बना दिया.
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जो लज़्ज़तें थीं हार में जाती रहीं सभी
सब जीतने की लत ने सिकंदर बना दिया.
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नाज़ुक से उसने हाथ रखे धडकनों पे जब
तपता सा रेगज़ार समुन्दर बना दिया.
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एहसास सब समेट लिए रुख्सती के वक़्त
दीवानगी-ए-शौक़ ने शायर बना दिया.
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जो उस की राह पे चले मंज़िल उन्हें मिले
बाक़ी तो बस सफ़र ही मुकद्दर बना दिया.
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उसने हमें नवाज़ दिया ख़ुद उसी का घर
हमनें ये जिस्म पाप का गट्ठर बना दिया.
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कैसे मुजस्मासाज़ तुझे शुक्रिया कहूँ
कंकर था मैं तराश के शंकर बना दिया.
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निलेश "नूर"
मौलिक/ अप्रकाशित
Comment
बहुत ही सुंदर गजल, आदरणीय निलेश जी. यह शेर बहुत पसंद आये.दिल से बधाइयाँ आपको
जो उस की राह पे चले मंज़िल उन्हें मिले
बाक़ी तो बस सफ़र ही मुकद्दर बना दिया.
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उसने हमें नवाज़ दिया ख़ुद उसी का घर
हमनें ये जिस्म पाप का गट्ठर बना दिया.
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शुक्रिया आ. गिरिराज जी
आदरनीय नीलेश भाई , बहुत सुन्दर !! गज़ल के लिये आपको दिली बधाइयाँ । आपकी गज़ल पर हुये चर्चा से भी बहुत लाभ मिला । आपको और आ. वीनस भाई को हार्दिक धन्यवाद चर्चा के लिये ॥
1) गागा लगा लगा/ लल/ गागा लगा लगा ..... गा =2 ल =1 ..मीटर गिनने का एक तरीका ये भी है जो मुझे लय में प्रतीत होता है.
भाई ये तो मैं भी समझ गया मगर क्या इस बहर के लिए ये मीटर सही है ?
गागा लगा लगा/ लल/ गागा लगा लगा = २२१२ १२ / ११ / २२ १२ १२
खुद समझने के लिए तो ठीक है मगर इसे आप मानक मान कर मंच पर साझा कर देंगे ?
यदि आपने गागाल / गालगाल / लगागाल / गालगा तब तो स्वीकार्य होता क्योकि इस बहर की मात्र २२१ / २१२१/ १२२१ / २१२ है
मगर आपने जो लिखा है उसे कैसे स्वीकारा जाए ?
तब इस बहर का मूल वजन क्या रहेगा ?
कौन से जिहाफ लगाए जायेंगे ?
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2) धडकनों पे हाँथ कैसे रखा जा सकता है... जैसे चाँद सितारें तोड़े जा सकते हैं
जी नहीं चाँद सितारों का भौतिक रूप है इसलिए उसे किसी उपक्रम से तोडा भी जा सकता है मगर धड़कन पे हाँथ नहीं रखा जा सकता, हाँथ सीने पे रखा जा सकता है, धड़कन को गिना महसूस किया जा सकता है, धड़कन धीमी तेज़ हो सकती है, मगर उसपे हाँथ नहीं रखा जा सकता ...
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3) शाइर को शायर अनुसार काफिया बनाना कितना सही है -चित्र संलग्न
नेट की दुनिया को मानक न मानिए, किसी मानक उर्दू शब्दकोष में "शायर" "शायरी" मिले तो उसका चित्र संलग्न करें ... हाँ लुगत भी मानक हो ... चिरकुट उर्दू लुगत और हिन्दी शब्दकोष न देखिएगा
शाइर में ऐन हर्फ़ होता है जिससे ए भी बनता है मगर शाएर भी गलत है क्योकि मानक शब्द शाइर,शाइरा, शाइरी, शुअरा मुशाइरा है
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4) कंकर (पत्थर के बहुत छोटे टुकड़े) को शिवलिंग कैसे बनाया जा सकता है ..हिंदी की कहावत है , कंकर का शंकर हो जाना...
उर्दू में ज़र्रे का आफ़ताब हो जाना ....और मैंने शिवलिंग कहीं नहीं कहा है.... मैं कंकर तुल्य हूँ... और शंकर ....परम का प्रतीक हैं ..
कंकर का शंकर हो जाना..
इस कहावत के बानने का कारण तर्क नहीं बल्कि कंकर शंकर की समतुकांतता है
कहावत अनुसार प्रयोग है फिर तो स्वीकार्य है, मुझे ये कहावत नहीं पता थी!!!
मगर आपले मिसरे में कर्ता की मौजूदगी और दूसरे मिसरे में कर्म तराशना आपके मिसरे को इस कहावत से दूर कर करता है
कंकर को तराश कर शंकर बनाना स्पष्ट रूप से शिवलिंग बनाने की और ही इशारा है ....
बाकी तो ये कोई बड़ा ऐब नहीं है मगर कहावत को तोड़न भी ऐब मन जाता है इसलिए बेहतर होगा आप कंकर को पत्थर कह लें
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5)
आवारगी ने मुझ को क़लन्दर बना दिया ............ यहाँ तो कर्ता मौजूद है
कुछ आईनों ने धोखे से पत्थर बना दिया.,,,,,,,,,,,,,,यहाँ हुए कर्म का कर्ता कहाँ गया ?
भाई पहले मिसरे में बात पूरी हो जा रही है और इसका दूसरे मिसरे से कोई संबंध नहीं बन रहा है, शेर दो लख्त है| दोनों मिसरे चस्पां नहीं हैं, आवारगी ने आपको कलंदर बनाया और आईनों ने धोके से पत्थर बनाया ...ये दो अलग अलग बातें हैं इनको जोड़ कर कैसे देखा जा सकता है !!!
आपको सानी सही करना पड़ेगा ...
दूसरी बात ....आईना साफगोई का प्रतीक है ...अगर रिवर्स कांट्रास्ट पैदा करना है तो इसे शेर बना कर उला में पहले उसे स्पष्ट कीजिये ....मतला दूसरा कह लीजिये ...
उर्दू नहीं पढ़ पाते... जिस ज़रिये से जो उच्चारण या लिखावट मिलते हैं..हम हिंदी पढने वाले उसे ही मान लेते हैं..
इसके बाद भी शायर उच्चारण पर यदि आपत्ति हो तो मैं वो शेर हटा लूँगा
सादर
आ. वीनस ही ..शुक्रिया ..सिलसिलेवार जवाब यूँ है
1) गागा लगा लगा/ लल/ गागा लगा लगा ..... गा =2 ल =1 ..मीटर गिनने का एक तरीका ये भी है जो मुझे लय में प्रतीत होता है.
2) धडकनों पे हाँथ कैसे रखा जा सकता है... जैसे चाँद सितारें तोड़े जा सकते हैं
3) शाइर को शायर अनुसार काफिया बनाना कितना सही है -चित्र संलग्न
4) कंकर (पत्थर के बहुत छोटे टुकड़े) को शिवलिंग कैसे बनाया जा सकता है ..हिंदी की कहावत है , कंकर का शंकर हो जाना...
उर्दू में ज़र्रे का आफ़ताब हो जाना ....और मैंने शिवलिंग कहीं नहीं कहा है.... मैं कंकर तुल्य हूँ... और शंकर ....परम का प्रतीक हैं ..
5)
आवारगी ने मुझ को क़लन्दर बना दिया ............ यहाँ तो कर्ता मौजूद है
कुछ आईनों ने धोखे से पत्थर बना दिया.,,,,,,,,,,,,,,यहाँ हुए कर्म का कर्ता कहाँ गया ?
पहले मिसरे में जो काम आवारगी कर रही है ...वो दूसरे मिसरे में कुछ आईने कर रहे हैं...किसके साथ....ये स्पष्ट है.... क्या...पत्थर बना दिया .....
कुछ प्रश्न जो इस ग़ज़ल को पढ़ कर पैदा हुए यहीं छोड़े जा रहा हूँ .....
गागा लगा लगा/ लल/ गागा लगा लगा ............. ये क्या है निलेश भाई जी
धडकनों पे हाँथ कैसे रखा जा सकता है,,,,,,
शाइर को शायर अनुसार काफिया बनाना कितना सही है
कंकर (पत्थर के बहुत छोटे टुकड़े) को शिवलिंग कैसे बनाया जा सकता है
आवारगी ने मुझ को क़लन्दर बना दिया ............ यहाँ तो कर्ता मौजूद है
कुछ आईनों ने धोखे से पत्थर बना दिया.,,,,,,,,,,,,,,यहाँ हुए कर्म का कर्ता कहाँ गया ?
//जो लज़्ज़तें थीं हार में जाती रहीं सभी
सब जीतने की लत ने सिकंदर बना दिया.//
//कैसे मुजस्मासाज़ तुझे शुक्रिया कहूँ //
//कंकर था मैं तराश के शंकर बना दिया.//....बहुत ही सुन्दर रचना आ. Nilesh Shevgaonkar जी ! हार्दिक बधाई ! सादर
शुक्रिया जनाब बिस्मिल साहब
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