For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल -नूर : ये दुआ है फ़क़त दुआ निकले

२१२२/१२१२/२२ (११२)

जब भी लफ़्ज़ों का काफ़िला निकले
ये दुआ है, फ़कत दुआ निकले.
.
कोई ऐसा भी फ़लसफ़ा निकले
ख़ामुशी का भी तर्जुमा निकले.
.
सुब’ह ने फिर से खोल ली आँखें  
देखिये आज क्या नया निकले.
.
हम कि मंज़िल जिसे समझते हैं  
क्या पता वो भी रास्ता निकले.
.
लुत्फ़ जीने का कुछ रहा ही नहीं
क्या हो गर मौत बे-मज़ा निकले?     
.
रोज़ चलता हूँ मैं, मेरी जानिब
रोज़ ख़ुद से ही फ़ासला निकले.
.
गर है कामिल^, मुजस्मासाज़^^मेरा ........... ^परफेक्ट ^^शिल्पी
ख़ामियाँ मुझ में क्यूँ भला निकले?
.
निलेश "नूर: 

Views: 813

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on May 28, 2015 at 11:18am

घोर आपत्तियों के मौसम में

मौन तक आज मुखर लगता है..   :-))

अब बताइये, इस नाचीज़ का आप क्या कर लेंगे.. जब मौन यों मुखर हो तो इसके कहे का कयास क्या लगायें ? जो है वो सापेक्ष ही शाब्दिक है ... . :-))))

हा हा हा............

Comment by Nilesh Shevgaonkar on May 28, 2015 at 11:00am

शुक्रिया आ. सौरभ सर ..
तर्जुमा नहीं कयास लगते हैं ख़ामोशी पर सिर्फ़ 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on May 27, 2015 at 8:08pm

आदरणीय नीलेश भाई,

हम कि मंज़िल जिसे समझते हैं  
क्या पता वो भी रास्ता निकले.
.
लुत्फ़ जीने का कुछ रहा ही नहीं
क्या हो गर मौत बे-मज़ा निकले?  

ये दो अश’आर संग्रहणीय हैं.

और भाईजी, ख़ामोशी का तर्जुमा तो हमेशा से होता रहा है. :-))

दाद कुबूल करें

Comment by Nilesh Shevgaonkar on May 20, 2015 at 10:04pm

शुक्रिया आ मदन मोहन जी 

Comment by Nilesh Shevgaonkar on May 20, 2015 at 10:03pm

शुक्रिया आ. श्री सुनील जी 

Comment by Madan Mohan saxena on May 20, 2015 at 2:56pm

.
लुत्फ़ जीने का कुछ रहा ही नहीं
क्या हो गर मौत बे-मज़ा निकले?
.
रोज़ चलता हूँ मैं, मेरी जानिब
रोज़ ख़ुद से ही फ़ासला निकले.
बधाई आपको.

Comment by shree suneel on May 19, 2015 at 10:22pm
हम कि मंज़िल जिसे समझते हैं
क्या पता वो भी रास्ता निकले./
बहुत ख़ूब आ0 निलेश जी

रोज़ चलता हूँ मैं, मेरी जानिब
रोज़ ख़ुद से ही फ़ासला निकले. वाहह.
बधाई आपको.
Comment by Nilesh Shevgaonkar on May 19, 2015 at 8:55pm

शुक्रिया आ. डॉ श्रीवास्तव जी 

Comment by Nilesh Shevgaonkar on May 19, 2015 at 8:54pm

शुक्रिया आ. तनूजा जी 

Comment by Nilesh Shevgaonkar on May 19, 2015 at 8:54pm

शुक्रिया आ. जान गोरखपुरी साहब 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

अजय गुप्ता 'अजेय commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा
"बहुत बेहतरीन ग़ज़ल। एक के बाद एक कामयाब शेर। बहुत आनंद आया पढ़कर। मतले ने समां बांध दिया जिसे आपके हर…"
1 hour ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा
"आ. अमीरुद्दीन अमीर साहब जब मलाई लिख दिया गया है यानी किसी प्रोसेस से अलगाव तो हुआ ही है न..दूध…"
23 hours ago
Ashok Kumar Raktale commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post पहलगाम ही क्यों कहें - दोहे
"आदरणीय भाई लक्ष्मण धामी जी सादर, पहलगाम की जघन्य आतंकी घटना पर आपने अच्छे दोहे रचे हैं. उस पर बहुत…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post दोहा चतुर्दशी (महाकुंभ)
"आदरणीय सुरेश कल्याण जी, महाकुंभ विषयक दोहों की सार्थक प्रस्तुति के लिए हार्दिक धन्यवाद. एक बात…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post दोहा सप्तक
"वाह वाह वाह !  आदरणीय सुरेश कल्याण जी,  स्वामी दयानंद सरस्वती जैसे महान व्यक्तित्व को…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post मौत खुशियों की कहाँ पर टल रही है-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"जय हो..  हार्दिक धन्यवाद आदरणीय "
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post पहलगाम ही क्यों कहें - दोहे
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी,  जिन परिस्थितियों में पहलगाम में आतंकी घटनाओं को अंजाम दिया गया, वह…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी left a comment for Shabla Arora
"आपका स्वागत है , आदरणीया Shabla jee"
Monday
Shabla Arora updated their profile
Monday
Shabla Arora is now a member of Open Books Online
Monday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . अपनत्व
"आदरणीय सौरभ जी  आपकी नेक सलाह का शुक्रिया । आपके वक्तव्य से फिर यही निचोड़ निकला कि सरना दोषी ।…"
Monday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"शुभातिशुभ..  अगले आयोजन की प्रतीक्षा में.. "
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service