2122 2122 212
चाँदनी बदली को इतना भा गयी
पगली बदली चाँद को ही खा गयी
जिसको रोता देख हमने की मदद
वो ही बिपदा बन मेरे सर आ गयी
हक़ की मैंने की यहाँ है बात जब
गोली इक बन्दूक की दहला गयी
जिस घड़ी लव पे हँसी आयी मेरे
वो उसी पल अश्क से नहला गयी
जान से मारा मगर जब बच गया
आ मेरे घावों को वो सहला गयी
Comment
इस ग़ज़ल प्रस्तुति के लिए धन्यवाद आदरणीय.
आदरणीय मिथिलेश जी रचना पर आपकी उत्साहित करती प्रतिक्रिया के लिए ढेर सारी बधाई सादर
आदरणीय गिरिराज भाईसाब ..हौसला अफजाई के लिए तहे दिल धन्यवाद सादर
आदरणीया कांता जी रचना पर आपकी उत्साहित करती प्रतिक्रिया के लिए तहे दिल धन्यवाद सादर
आदरनीय आशुतोष भाई , बहुत सुन्दर ग़ज़ल कही है , दिली मुबारक बाद स्वीकार करें ॥
आदरणीय आशुतोष जी इस खुबसूरत ग़ज़ल के लिए शेर दर शेर दाद कुबूल फरमाएं
आदरणीय केवल भाई जी .आप सबके स्नेह और प्रतिक्रियाओं से सतत कुछ न कुछ लिखने की प्रेरणा मिलती रहती है ..हार्दिक धन्यवाद के साथ सादर
आदरणीय मनोज जी रचना पर आपकी उत्साहित करती प्रतिक्रिया के लिए तहे दिल धन्यवाद सादर
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online