For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

थोड़-थोडा(कविता)

थोड़ा-थोड़ा तुझसे अटकने लगा हूँ,
थोड़ा-थोड़ा अब मैं भटकने लगा हूँ।
छोटी-छोटी बातें न समझा कभी,
थोड़ा-थोड़ा अब मैं समझने लगा हूँ।
गरजा हूँ बहुत पहले बातों पे  मैं,
थोड़ा-थोड़ा अब मैं सरसने लगा हूँ।
बदली वह लदी  कब से ढोये चला ,
थोड़ा-थोड़ा अब मैं बरसने लगा हूँ।
शुकूं में था प्यासा,नजर तेरी पी के ,
थोड़ा-थोड़ा अब मैं तरसने लगा हूँ।
कहाँ-कहाँ अबतक अटकता रहा था,
थोड़ा-थोड़ा अब मैं झटकने लगा हूँ।
भटकता फिरा हूँ मैं ,तेरी नजर में
थोड़ा-थोड़ा अब मैं फटकने लगा हूँ।
'मौलिक व अप्रकाशित'

Views: 332

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Manan Kumar singh on May 24, 2015 at 7:27pm

आदरणीय श्याम भाई, गोपाल भाई ! बहुत-बहुत आभार आप का। 

Comment by Shyam Narain Verma on May 23, 2015 at 12:40pm
इस भावपूर्ण कविता के लिए हार्दिक बधाई
Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on May 23, 2015 at 12:03pm

थोड़ा सा प्रवाह  और चाहिए  जैसे-

बातों पे पहले मैं गरजा बहुत पर
थोड़ा-थोड़ा अब मैं सरसने लगा हूँ।

बदली को ढोता रहा देर तक मैं

थोड़ा-थोड़ा अब मैं बरसने लगा हूँ।

शुकूं में था प्यासा नजर,तेरी पीकर
थोड़ा-थोड़ा अब मैं तरसने लगा हूँ

कहाँ तक रहे अब ख्यालों की अटकन
थोड़ा-थोड़ा अब मैं झटकने लगा हूँ।

नहीं पास आने की जुर्रत थी मेरी
थोड़ा-थोड़ा अब मैं फटकने लगा हूँ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"अच्छी ग़ज़ल हुई आ बधाई स्वीकार करें सातवाँ थोड़ा मरम्मत चाहता है"
2 minutes ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"बहुत ख़ूब। समझदार को इशारा काफ़ी। आप अच्छा लिखते हैं और जल्दी सीखते हैं। शुभकामनाएँ"
3 minutes ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"जी बहुत बहुत शुक्रिया आ ज़र्रा-नवाज़ी का"
11 minutes ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"जी बहुत बहुत शुक्रिया आ ज़र्रा-नवाज़ी का"
12 minutes ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"जी बहुत बहुत शुक्रिया आ ज़र्रा-नवाज़ी का"
12 minutes ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"बारीकी से इस्लाह व ज़र्रा-नवाज़ी का बहुत बहुत शुक्रिया आ इक नज़र ही काफी है आतिश-ए-महब्बत…"
13 minutes ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय अमित जी अच्छी ग़ज़ल हुई। बधाई स्वीकार करें"
28 minutes ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय महेंद्र जी अच्छी ग़ज़ल हुई। बधाई स्वीकार करें"
30 minutes ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय आज़ी जी अच्छी ग़ज़ल हुई। बधाई स्वीकार करें"
31 minutes ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय अमीर जी अच्छी ग़ज़ल हुई। बधाई स्वीकार करें"
33 minutes ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय चेतन जी अच्छी ग़ज़ल हुई। बधाई स्वीकार करें"
33 minutes ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय लक्ष्मण जी अच्छी ग़ज़ल हुई। बधाई स्वीकार करें"
34 minutes ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service