थोड़ा-थोड़ा तुझसे अटकने लगा हूँ,
थोड़ा-थोड़ा अब मैं भटकने लगा हूँ।
छोटी-छोटी बातें न समझा कभी,
थोड़ा-थोड़ा अब मैं समझने लगा हूँ।
गरजा हूँ बहुत पहले बातों पे मैं,
थोड़ा-थोड़ा अब मैं सरसने लगा हूँ।
बदली वह लदी कब से ढोये चला ,
थोड़ा-थोड़ा अब मैं बरसने लगा हूँ।
शुकूं में था प्यासा,नजर तेरी पी के ,
थोड़ा-थोड़ा अब मैं तरसने लगा हूँ।
कहाँ-कहाँ अबतक अटकता रहा था,
थोड़ा-थोड़ा अब मैं झटकने लगा हूँ।
भटकता फिरा हूँ मैं ,तेरी नजर में
थोड़ा-थोड़ा अब मैं फटकने लगा हूँ।
'मौलिक व अप्रकाशित'
Comment
आदरणीय श्याम भाई, गोपाल भाई ! बहुत-बहुत आभार आप का।
इस भावपूर्ण कविता के लिए हार्दिक बधाई |
थोड़ा सा प्रवाह और चाहिए जैसे-
बातों पे पहले मैं गरजा बहुत पर
थोड़ा-थोड़ा अब मैं सरसने लगा हूँ।
बदली को ढोता रहा देर तक मैं
थोड़ा-थोड़ा अब मैं बरसने लगा हूँ।
शुकूं में था प्यासा नजर,तेरी पीकर
थोड़ा-थोड़ा अब मैं तरसने लगा हूँ
कहाँ तक रहे अब ख्यालों की अटकन
थोड़ा-थोड़ा अब मैं झटकने लगा हूँ।
नहीं पास आने की जुर्रत थी मेरी
थोड़ा-थोड़ा अब मैं फटकने लगा हूँ।
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online