गुलदस्ता - ........३ मुक्तक
हर लम्हा ....
जब भी ये दिल उदास होता है
जाने कौन आस पास होता है
मेरी तन्हाई को साँसे देने वाले
हर लम्हा तेरा अहसास होता है
..............................................
तमाम सांसें .....
आपकी हर अदा को सलाम करते हैं
अपनी मुहब्बत .आपके नाम करते हैं
वजह बन गए हैं जो हमारे ख़्वाबों की
तमाम सांसें .हम उनके नाम करते हैं
................................................
उनके लबों पे ……..
आज उन के लबों पे हमारा भी नाम आयाहै
साथ बादे सबा के इक हसीं पैगाम आया है
देख आसमाँ के महताब अब ख़फा न होना
आज हम से मिलने ज़मीं का चाँद आया है
सुशीलसरना
मौलिक एवं अप्रकाशित
Comment
आदरणीया डॉ.प्राची सिंह जी क्षमा कह कर मुझे शर्मिंदा न करें . कभी कभी अनजाने में ऐसा हो जाता है . आपका हार्दिक आभर .
बहुत भूल हुई भाई सुशील जी...... क्षमा क्षमा.
आपका नाम अभी सही कर दे रही हूँ
आदरणीया डॉ प्राची सिंह जी मुक्तकों पर आपकी स्नेहिल प्रतिक्रिया एवं सुझाव का हार्दिक आभार। मेरा नाम सुशील सरना है न की विष्णु सरना … हा हा हा।
आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी प्रस्तुत मुक्तकों पर आपकी स्नेहिल प्रशंसा का हार्दिक आभार।
आदरणीय Er. Ganesh Jee "Bagi" जी प्रस्तुत मुक्तकों पर आपकी स्नेहिल प्रशंसा का हार्दिक आभार। आपने याद दिलाया तो हमें याद आया … लेकिन मन जो भाव आते गए कागज़ पर उतार दिया .... बाकी इसे संयोग मात्र ही कह सकते हैं … दुसरे नाम और पैगाम के साथ चाँद कैसे आया … बात तो आपकी १००% खरी है सर क्या करें भावों को लिखते लिखते न जाने कैसे मुक्तक में चाँद लिखना अच्छा लगा हमने लिख दिया और वो भावों से मेल खा गया अब चाहे वो काफिये से मेल नहीं खा रहा था फिर भी अच्छा लग रहा था। खैर कोई बात नहीं आगे से आपके सुझाव का अवश्य ध्यान रखेंगे। आपके स्नेहात्मक सुझाव का हार्दिक आभार सर।
आ० सुशील सरना जी
सहज अभिव्यक्ति...सुन्दर मुक्तक प्रयास
आ० गणेश जी की कहीं दोनों बातों से पूर्णतः सहमत हूँ, आप भी संज्ञान में अवश्य ही लें..
हार्दिक शुभकामनाएं इस प्रयास पर
बहुत सुन्दर मुक्तक हुए है
हार्दिक बधाई
सुन्दर मुक्तक हुए है! आ० sushil sarna जी! हार्दिक बधाई!
//जब भी ये दिल उदास होता है
जाने कौन आस पास होता है //
गुलजार साहब द्वारा लिखा फ़िल्म सीमा का यह गीत बहुत ही पॉपुलर है, यदि आप तक यह गीत नहीं पहुंचा तो इसके लिए आप दोषी हैं ..हा हा हा हा हा
अंतिम मुक्तक में नाम, पैगाम के साथ चाँद काफिया कैसे ?
बहरहाल इस प्रयास हेतु बहुत बहुत बधाई आदरणीय सरना साहब.
आदरणीय Kewal Prasad जी मुक्तक पर आपके स्नेह का हार्दिक आभार।
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