Comment
आ० सुनील जी
विचार मथन से उपजी रचना संप्रेषित करने में समर्थ हुयी है . सादर
चकित हूँ आपकी इस रचना पर
जिस खूबसूरती से आपने विचारों को शब्द दिए है और जैसे बेमिसाल बिम्ब रचे है बस देख, पढ़ और समझ कर बस चकित हूँ.
बहुत दिनों बाद बढ़िया अतुकांत कविता पढने मिली
इस रचना पर बधाई और प्रस्तुति हेतु आभार आदरणीय सुनील भाई जी
रचना पर आपकी पकड़ बहुत अच्छी बनी है, आदरणीय.
विषय संवेदनशील है. बिम्ब उस हिसाब से तनिक गहन हैं. इंगितों में गूढ़ता है. आज के समाज की कई विद्रूपताओं में से बहुत कुछ को समेट लेने के चक्कर में प्रवाह अवश्य बोझिल भी हो गया है. रचना विन्यास एक सीमा तक संयत है.
प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाइयाँ और शुभकामनाएँ.
आ0 सुनील भाई जी, प्रारम्भ में मार्मिक कविता किंतु उपसंहार में किंकर्तव्यविमूढ्तावश स्थूल हो गयी. एक सुंदर विषय पर अच्छा प्रयास हुआ है. बधाई स्वीकारे. सादर
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