For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

अटका मन भटका मन

अटका मन भटका मन  

  आज मैं सुदूर विदेश में अपने कमरे में आँख बंद कर लेटी हूँ पर मन मुझसे निकल उड़ा जा रहा है .थामने की बड़ी कोशिश की इस बेकाबू घोड़े सदृश्य  मन को, पर असफल अशक्त हो निढाल हो गयी .सात समुन्दर पार कर , बिन पंखों का ये बावरा मन जा पहुंचा उस गाँव जहाँ मेरा बचपन बीता था  .ऊँचे पहाड़ी पर जा टिका जहाँ से बचपन का वो जहाँ अपने विस्तारित रूप में दृगों में समाहित होने लगा .बाबूजी  संग इस पहाड़ी पर ,इसी पेड़ के नीचे कितने रविवार मनाये होंगे .मन की आँखों से सारा बचपन एक बार फिर जी लिया .उस गाँव के एक एक दरवाजे को मैंने दौड़ कर छू लिया ,बाबूजी  के कंधे पर भी चढ़ लिया  . माँ  के गोद में भी झपकी ले लिया .मन तर हो गया .मैं अब जागने को तत्पर हूँ पर मन वहीँ देस में ही कहीं अटका रह गया शायद किसी और गली चौबारे द्वारे .......

@मौलिक व् अप्रकाशित 

Views: 675

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Rita Gupta on June 4, 2015 at 11:06pm

मन अति  चंचल है न जाने किस कोठे जा बैठे ,किस युग को जी ले .आदरणीय शुभ्रांशु जी आपका मन इस गीत के साथ शायद बचपन की ओर इंगित कर रहा है . 

Comment by Shubhranshu Pandey on June 4, 2015 at 8:27pm

आदरणीया रीता जी, 

एक गीत याद आ गया // बचपन के दिन भी क्या दिन थे उड़ती फ़िरती तितली बन के.//

सादर.

Comment by Rita Gupta on June 2, 2015 at 6:30pm

आपको रचना पसंद आई ,धन्यवाद बबिता जी .

Comment by Rita Gupta on June 2, 2015 at 6:30pm

परदेस में बसा मन अक्सर थोडा सा फुरसत पा भाग लेता है बचपन की गलियों में . धन्यवाद सौरभ पाण्डेय जी .

Comment by babita choubey shakti on June 2, 2015 at 1:17pm
बहुत सुंदर मार्मिक रचना बधाई

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on June 2, 2015 at 12:32pm

स्मृतियों की फुलवारी हो या स्मृतियों का जंगल.. उनमें विचरना निर्भर इस पर करता है कि हम किस मनोदशा में हैं.

Comment by Rita Gupta on June 1, 2015 at 5:57pm

श्रीमान गोपाल जी इस भाव दृश्य को पढने हेतू आभार .

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on June 1, 2015 at 12:19pm

आतीत की यादें   या संस्मरण  वह भी संक्षिप्त . एक भाव दृश्य को,प्रकट करता हुआ . सादर .

Comment by Rita Gupta on May 30, 2015 at 10:36pm

आदरणीय श्याम नरेन वर्मा जी धन्यवाद .

Comment by Shyam Narain Verma on May 30, 2015 at 4:07pm
भावो  से ओत प्रोत इस रचना के लिए  हार्दिक धन्यवाद i

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sushil Sarna posted blog posts
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

देवता क्यों दोस्त होंगे फिर भला- लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२२/२१२२/२१२ **** तीर्थ जाना  हो  गया है सैर जब भक्ति का यूँ भाव जाता तैर जब।१। * देवता…See More
Wednesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey posted a blog post

कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ

२१२२ २१२२ २१२२ जब जिये हम दर्द.. थपकी-तान देते कौन क्या कहता नहीं अब कान देते   आपके निर्देश हैं…See More
Sunday
Profile IconDr. VASUDEV VENKATRAMAN, Sarita baghela and Abhilash Pandey joined Open Books Online
Nov 1
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब। रचना पटल पर नियमित उपस्थिति और समीक्षात्मक टिप्पणी सहित अमूल्य मार्गदर्शन प्रदान करने हेतु…"
Oct 31
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर अमूल्य सहभागिता और रचना पर समीक्षात्मक टिप्पणी हेतु…"
Oct 31
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेम

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेमजाने कितनी वेदना, बिखरी सागर तीर । पीते - पीते हो गया, खारा उसका नीर…See More
Oct 31
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय उस्मानी जी एक गंभीर विमर्श को रोचक बनाते हुए आपने लघुकथा का अच्छा ताना बाना बुना है।…"
Oct 31

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सौरभ सर, आपको मेरा प्रयास पसंद आया, जानकार मुग्ध हूँ. आपकी सराहना सदैव लेखन के लिए प्रेरित…"
Oct 31

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय  लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार. बहुत…"
Oct 31

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहजाद उस्मानी जी, आपने बहुत बढ़िया लघुकथा लिखी है। यह लघुकथा एक कुशल रूपक है, जहाँ…"
Oct 31

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service