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अधूरी कहानी ...(अगज़ल) ...इंतज़ार

पल्लू लहरा देते हैं वो हवा का रूख़ देख कर
बीमार हो जाते हैं हम भी हसीं दवा देख कर ! 

यूँ तो हम तुम्हारे सिवा किसी और पे मरते नहीं
महफ़िल हसीनाओं की हो तो शिरकत से डरते नहीं ! 

तूने अगर दिल में अपने मुझे घर दिया होता
तन्हाईओं की बारिशों से मैं ना गल गया होता ! 

सुना है मिजाज़ गर्म और नज़र तिरछी है उनकी
'इंतज़ार' हम कहाँ मरते हैं हसीं बद दुआओं से उनकी ! 

तुम बिन ख़त्म हो जायेगी तिलस्मी दुनियाँ मेरी
अधभरे पन्नों में खो जायेगी ये अधूरी कहानी मेरी ! 

************************************************

मौलिक व अप्रकाशित

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Comment

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Comment by Mohan Sethi 'इंतज़ार' on June 3, 2015 at 10:26am

आदरणीय Manoj kumar Ahsaas जी धन्यवाद आप के comments के लिये (आप के कमेंट्स मेरे पेज पर हैं पर ना जाने यहाँ से कैसे गायब हैं) आपने पुछा अगज़ल क्या है तो आसान उत्तर है जो ग़ज़ल नहीं है ....ग़ज़ल में बहुत सारे नियम होते हैं जो मुझे निभाने नहीं आते इसलिए अगज़ल ...सादर 

Comment by Mohan Sethi 'इंतज़ार' on June 3, 2015 at 10:19am

आदरणीय डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव जी हार्दिक आभार ...(आप के कमेंट्स मेरे पेज पर हैं पर ना जाने यहाँ से कैसे गायब हैं) 

Comment by Mohan Sethi 'इंतज़ार' on June 3, 2015 at 10:17am

आदरणीय maharshi tripathi जी शुक्रिया आपका ...सादर 

Comment by maharshi tripathi on June 2, 2015 at 10:09pm

तूने अगर दिल में अपने मुझे घर दिया होता
तन्हाईओं की बारिशों से मैं ना गल गया होता ! ,,,,सुन्दर आ.Mohan Sethi 'इंतज़ार जी |

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on June 2, 2015 at 9:38pm

अच्छी कोशिश है .सादर .

Comment by मनोज अहसास on June 2, 2015 at 5:20pm
पहली बार
Comment by मनोज अहसास on June 2, 2015 at 5:19pm
अगज़ल हमने पली बार पढ़ी है
शुक्रिया शुभकामनाये
ये भी कोई विधा है क्या
थोडा सा विवरण हमारे ज्ञान वर्धन हेतु दे दे
सादर
Comment by Dr. Vijai Shanker on June 2, 2015 at 1:23pm

मन-भावक।  बधाई, सादर। 

Comment by babita choubey shakti on June 2, 2015 at 1:14pm
आदरणीय मोहन जी सुंदर रचना बधाई

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