1212 1212 1212 1212
बशर तमाम भीड़ में मुकाम ढूंढते रहे
जमी पे हैं मगर फलक पे नाम ढूंढते रहे
हुनर तराशने की उम्र मस्ती में ही काटकर
बिना हुनर मियां कहाँ पे काम ढूंढते रहे
कभी भी बीज आम के चमन में बोये जब नहीं
तो फिर चमन में क्यूँ यूं आप आम ढूंढते रहे
जो रिंद हैं उन्हें तो मयकशी ही रास आयेगी
वो मयकदे तलाशते हैं जाम ढूंढते रहे
जतन तमाम ही किये पढ़ाने लाडले को जब
तभी से मन ही मन वो ऊंचे दाम ढूंढते रहे
हया से चाहे बेरुखी से पलकें उनकी झुकती हों
नजर में बस ह्सीं की हम सलाम ढूंढते रहे
मुसल्मा और हिन्दू साथ साथ जब भी बैठे हैं
उन्हें भिडाने की जुगत इमाम ढूंढते रहे
बुझे हैं शोले दिल के राख में तपिश नहीं जरा
मगर तपिश भरे ही वो कलाम ढूंढते रहे
है इश्क मर्ज लाइलाज जानकार भी क्यूँ भला
इलाज सब जमाने में तमाम ढूंढते रहे
किया जो काम दाम उसके मांगते ही नहीं
तो खुद ही समझो बच्चे क्या ईनाम ढूंढते रहे
ये जलजला जो आ गया तो बेबसी दिखी बड़ी
टिका फलक पे नजरें सब पयाम ढूंढते रहे
है मुल्क मेरा ये गुलाम तो नहीं फिर भी
ये हुक्मरान जाने क्यूँ गुलाम ढूंढ रहे
मेरा वतन नहीं गुलाम सब को है पता फिर भी
ये हुक्मरान जाने क्यूँ गुलाम ढूंढते रहे
खुदा जो दिल में था उसे भी पागलो की तरह
इमारतों में आशू सुबहो शाम ढूंढते रहे
मौलिक व अप्रकाशित
Comment
आदरणीय विजय सर ..मेरी रचना आपको पसंद आयी यह मेरे लिए उत्साहवर्धक है सादर
आदरणीय एडमिन महोदय कृपया पहले और चौथे शेर को निम्नानुसार बदलने का मेरा अनुरोध स्वीकार करने का कष्ट करें सादर
बशर तमाम भीड़ में मुकाम ढूंढ रहे
जमी पे हैं मगर फलक पे नाम ढूंढ रहे.................1
जो रिंद हैं उन्हें तो मयकशी ही भायेगी
वो मयकदे तलाशते हैं जाम ढूंढ रहे.....................4
बशर तमाम भीड़ में मुकाम ढूंढ रहे
जमी पे हैं मगर फलक पे नाम ढूंढ रहे......वाह! वाह! वाह! लाजवाब मतला हुआ है!
हुनर तराशने की उम्र मस्ती में काटी
बिना हुनर मियां कहाँ पे काम ढूंढ रहे ...........बहुत ही उम्दा शेर!.......nilesh सर ने बेहतरीन सुझाव दिया है...मुझे //कहाँ पे // पर लय अटकती दिख रही है!
पढ़ाने लाडले को जब किये बड़े ही जतन
तभी से मन ही मन वो ऊंचे दाम ढूंढ रहे..............वाह! वाह! बेहतरीन तंज जमाने पर!
नहीं जिगर में तेरे शोले जब भड़कते है
लगा दे आग क्यूँ ऐसे कलाम ढूढ़ रहे........................लाजवाब!
दिल से दाद!हाजिर है आ० आशुतोष जी इस बेहतरीन गजल पर!
हुनर तराशने की उम्र मस्ती में काटी
बिना हुनर मियां कहाँ पे काम ढूंढ रहे,,,,,,,आज कल के युवाओं के लिया ,,लाजवाब आ. Dr Ashutosh Mishra जी |
बहुत बढ़िया डा आशुतोष जी
है मुल्क मेरा ये गुलाम तो नहीं फिर भी
ये हुक्मरान जाने क्यूँ गुलाम ढूंढ रहे। .
गुलामी दिमाग में भरी हो तो जाती नहीं. बहुत खूब लिखा आपने. बधाई, आदरणीय डॉ o आशुतोष मिश्रा।
कृपया संशोधित पूर्ण शेर टिप्पणी बॉक्स में पोस्ट करते हुए बदलाव का अनुरोध करें.
आदरणीय एडमिन महोदय
जमी पे हैं मगर फलक पे चाँद ढूंढ रहे.....चाँद की जगह नाम
जो रिंद हैं उन्हें तो मयकदे ही भायेगी....मयकदे की जगह मयकशी ..करने का कष्ट करें ..यह गलती से टाइप हो गया है
आदरणीय मनोज जी ..रचना पर आपकी उत्साहित करती प्रतिक्रिया के लिए दिल से धन्यवाद सादर
आदरणीय नूर जी आपके मशविरे के लिए तहे दिल धन्यवाद ,,,चाँद किस धुन में टाइप हो गया ..मैंने लिखा था नाम ...
बशर तमाम भीड़ में मुकाम ढूंढ रहे
जमी पे हैं मगर फलक पे नाम ढूंढ रहे...नाम की जगह चाँद टाइप करते वक़्त हो गया आपकी प्रतिक्रिया से मुझे बड़ा हौसला मिलता है ..कृपया स्नेह यूं ही बनाए रखें सादर
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online