For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

“मिस मिस ! नीरज इस टॉकिंग इन हिंदी अगेन”.मनीष ने चुगली लगाते हुए टीचर से कहा .... चटाक !!!! और शिक्षाविभाग के मंत्री  नीरज श्रीवास्तव जी का हाथ अचानक गाल पर पँहुचा फिर  वर्तमान के धरातल पर लौट कर सामान्य होते हुए तेवरी स्वर में  बोले

“कई बार चेतावनी देने के बाद आँकड़ों के अनुसार तुम्हारे विभाग में कुल २० प्रतिशत हिंदी में काम होता है मनीष जी,आय एम् टॉकिंग अगेन इन हिंदी... तुम्हारे निलंबन के आदेश दो दिन में पँहुच जायेंगे” मनीष का कद मानो यकायक छोटा हो गया.    

(मौलिक एवं अप्रकाशित)   

Views: 937

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on June 10, 2015 at 12:52am

आज नीरज ने मनीष को जिस तरह से निरुत्तर किया था वह उसके मनीष ही नहीं, पूरी शिक्षा पद्धति को औकात बताता हुआ था.

संभवतः अंतिम पंक्ति उपर्युक्त ढंग से होती तो शायद लघुकथा के भाव अधिक उभर कर आते. ऐसा मैं आपकी संशोधित लघुकथा तथा इस पर आयी शुभ्रांशु भाई की विन्दुवत टिप्पणी को पढ़ कर कह रहा हूँ, आदरणीया राजेश कुमारीजी. आपकी संवेदनशील दृष्टि ने आम जीवन में घटित बहुत ही महीन तथ्य को पकड़ा है.
हर्दिक बधाई.


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on June 8, 2015 at 10:11am

आ० गिरिराज जी,आपको लघु कथा अच्छी लगी आपका हार्दिक आभार आप सही कह रहे हैं शुभ्रांशु भैया के इंगित करने के बाद एहसास हुआ कि जो लघु कथा के माध्यम से मैं कहना चाह रही थी वो पाठकों तक पूरा नहीं पँहुच रहा था सम्प्रेषण में कहीं कोई कमी थी उसे अब दूर किया है आशा करती हूँ की  अब स्पष्ट होगी. 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on June 6, 2015 at 6:30pm

शुभ्रांशु भैया,दिल से आभार आपका आप लघु कथा के मर्म तक पँहुच कर वो सार निकाल कर लाए जो मैं जानने की  इच्छुक थी शुरू में विधायक के बचपन के दोस्त का नाम लिखना इस लिए जरूरी नहीं समझा था सोचा था की डायलाग से पाठक पकड़ पायेंगे किन्तु मेरा सोचना गलत था आपकी बातों से उस त्रुटी का पता चल गया अतः कुछ संशोधन आवश्यक हो गया है लघु कथा को सही दिशा में (जो मेरा लक्ष्य था )मोड़ने का प्रयास करती हूँ विधायक को कार्यरत लिखने की त्रुटी का भी आपने सही सुझाया |दिल से आपकी समीक्षा का स्वागत करती हूँ |


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on June 6, 2015 at 6:24pm

महर्षि त्रिपाठी जी ,बहुत बहुत आभार |


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on June 6, 2015 at 2:29pm

आदरणीया राजेश जी , लघु कथा अच्छी हुई है , हार्दिक बधाई आपको । आदरणीय शुभ्रांशु जी की बात से मै भी सहमत हूँ , विधायक शिक्षा विभग के कर्मचारी नही होते , शिक्षा मंत्री जरूर हो सकते हैं ।

Comment by Shubhranshu Pandey on June 6, 2015 at 11:39am

आदरणीया राजेश जी, 

कथा में कहीं कुछ कमी सी लग रही थी. जब आपके विचार को पढा़ तो बात साफ़ हुई. उस कनिष्ठ अधिकारी मनीष का नाम पहले आरोप लगाने वाले के तौर पर नहीं आया है. जिससे ये भ्रम पैदा हो रह है.

’विधायक” शिक्षाविभाग में कार्यरत नहीं होता अमुमन वो मंत्री होता है. 

कथा सुन्दर भाव के साथ आयी है. 

सादर.

Comment by maharshi tripathi on June 5, 2015 at 8:28pm

मौजूदा परिस्थित में अपनी मातृभाषा  की स्थित पर अच्छा प्रकाश ,,आ. rajesh kumari  जी |


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on June 5, 2015 at 7:14pm

आ० वीरेंदर वीर जी,आप जैसे कथाकार से सराहना सिक्त प्रतिक्रिया पाना लेखन को सार्थक करना है आपका दिल से बहुत बहुत आभार| 

Comment by VIRENDER VEER MEHTA on June 5, 2015 at 6:02pm

हिंदी के नाम पर सरकारी विभागों में जो दिखाई देता है  उसीका एक लाजवाब उदारहण है आपकी ये लघु कथा !

सुन्दर प्रस्तुती के लिए सादर बधाई स्वीकार करे आदरणीया राजेश कुमारी जी. 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on June 5, 2015 at 11:59am

दिल से बहुत- बहुत आभार विनय कुमार सिंह जी. 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted discussions
21 hours ago
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
yesterday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण जी "
Monday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण जी "
Monday
Chetan Prakash commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post घाव भले भर पीर न कोई मरने दे - लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"खूबसूरत ग़ज़ल हुई, बह्र भी दी जानी चाहिए थी। ' बेदम' काफ़िया , शे'र ( 6 ) और  (…"
Sunday
Chetan Prakash commented on PHOOL SINGH's blog post यथार्थवाद और जीवन
"अध्ययन करने के पश्चात स्पष्ट दृष्टिगोचर होता है, उद्देश्य को प्राप्त कर ने में यद्यपि लेखक सफल…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh commented on PHOOL SINGH's blog post यथार्थवाद और जीवन
"सुविचारित सुंदर आलेख "
Saturday

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post घाव भले भर पीर न कोई मरने दे - लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"बहुत सुंदर ग़ज़ल ... सभी अशआर अच्छे हैं और रदीफ़ भी बेहद सुंदर  बधाई सृजन पर "
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (अलग-अलग अब छत्ते हैं)
"आ. भाई अजय जी, सादर अभिवादन। परिवर्तन के बाद गजल निखर गयी है हार्दिक बधाई।"
Jul 3
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन गजल हुई है। सार्थक टिप्पणियों से भी बहुत कुछ जानने सीखने को…"
Jul 3
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन। सुंदर गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Jul 2
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"आ. भाई बृजेश जी, सादर अभिवादन। गीत का प्रयास अच्छा हुआ है। पर भाई रवि जी की बातों से सहमत हूँ।…"
Jul 2

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service