For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

घर का लुक (लघुकथा)// शुभ्रांशु पाण्डेय

“अरे गुप्ता जी, ये क्या कर रहे हैं आप ?”

“बेटे के स्कूल में पर्यावरण दिवस पर एक नाटक है.. और उसको एक पेड़ बनना है.. इसीलिये ये डालियाँ काट-काट कर उसे दे रहा हूँ.”

“आपने तो इसे पूरा ही काट डाला.. अब तो ये कायदे का पेड़ बनने से रहा. अभी-अभी तो वन विभाग वालों ने इसे लगाया था..”

“भाईजी, सामने से घर का लुक भी खराब कर रहा था, इसी बहाने इसका काम तमाम करूँ..” - बुदबुदाते हुये गुप्ता जी के हाथ और तेज चलने लगे. 

(मौलिक और अप्रकाशित)

Views: 800

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on July 16, 2015 at 3:38am

आदरणीय शुभ्रांशु जी, पर्यावरण के महत्त्व को समझने और समझाने का ढोंग करने वालों की दशा और दिशा पर करारा व्यंग्य करती सार्थक और सफल लघुकथा हुई है. निसंदेह लघुकथा अपने मर्म को पूरी सघनता से अभिव्यक्त करती है और पाठक को गहरे तक प्रभावित करती है. इस शानदार प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on June 18, 2015 at 11:43pm

उथलापन और दिखावा व्यक्तित्व का ही हिस्सा हो गया है. घर क् लुक के लिए जीवनी-शक्ति को नोंचना इसी बात का पर्याय है. शुभ संदेश देती एक अच्छी लघुकथा के लिए हार्दिक बधाई, भाई शुभ्रांशु.
शुभेच्छाएँ

Comment by Shubhranshu Pandey on June 10, 2015 at 1:41pm

आदरणीय गिरिराज जी, 

रचना के लिये एक अलग बिम्ब के साथ बधाई देने के लिये आभार.

सादर.

Comment by Shubhranshu Pandey on June 10, 2015 at 1:40pm

आदरणीय मोहन जी. 

रचना के मर्म को समझने के लिये धन्यवाद.

सादर.

Comment by Shubhranshu Pandey on June 10, 2015 at 1:39pm

आदरणीय जितेन्द्र जी, 

मेरी रचना आपको पसंद आयी इस बार के लिये बहुत आभार. 

सादर.

Comment by Shubhranshu Pandey on June 10, 2015 at 1:37pm

आदरणीय maharshi tripathi जी, 

कथा पर आने के लिये धन्यवाद.

सादर.

Comment by Shubhranshu Pandey on June 10, 2015 at 1:28pm

आदरणीया राजेश कुमारी जी, 

आज हम वास्तविकता से दूर प्रस्तुती को ही विशेष महत्व देते हैं रचना पर आने के लिये घन्यवाद.

सादर.

Comment by Shubhranshu Pandey on June 10, 2015 at 1:22pm

आदरणीय विनय जी, 

आपके विचार का आकांक्षी रहता हूँ.

यही इस मंच की यही खुबसूरती है कि यहाँ बेबाकी से आप अपनी बात रख सकते है. सीखने सिखाने की प्रक्रिया सतत चलती रहती है. किसी रचनाकार से एक स्तरीय रचना की उम्मीद, रचना कर्म को और रचना कार को जिम्मेदारी का अहसास कराती है. आपकी बातों पर विशेष ध्यान रखूँगा.

सादर.

 

Comment by Shubhranshu Pandey on June 10, 2015 at 1:16pm

आदरणीय गोपाल नारायण जी, 

रचना को मान देने के लिये घन्यवाद.

सादर.

Comment by Shubhranshu Pandey on June 10, 2015 at 1:15pm

आदरणीय कॄष्ण मिश्रा जी, 

रचना पर आने के लिये घन्यवाद. सही कहा आपने पर्यावरण दिवस पर अपने हिसाब से एक रचना डाली थी. 

सादर.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
7 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
8 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, आपसे मिले अनुमोदन हेतु आभार"
16 hours ago
Chetan Prakash commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"मुस्काए दोस्त हम सुकून आली संस्कार आज फिर दिखा गाली   वाहहह क्या खूब  ग़ज़ल '…"
yesterday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा दशम्. . . . . गुरु

दोहा दशम्. . . . गुरुशिक्षक शिल्पी आज को, देता नव आकार । नव युग के हर स्वप्न को, करता वह साकार…See More
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

लौटा सफ़र से आज ही, अपना ज़मीर है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२२१/२१२१/१२२१/२१२ ***** जिनकी ज़बाँ से सुनते  हैं गहना ज़मीर है हमको उन्हीं की आँखों में पढ़ना ज़मीर…See More
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति, उत्साहवर्धन एवं स्नेह के लिए आभार। आपका स्नेहाशीष…"
Wednesday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . नजर

नजरें मंडी हो गईं, नजर हुई  लाचार । नजरों में ही बिक गया, एक जिस्म सौ बार ।। नजरों से छुपता…See More
Wednesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आपको प्रयास सार्थक लगा, इस हेतु हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय लक्ष्मण धामी जी. "
Wednesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से अलंकृत करने का दिल से आभार आदरणीय । बहुत…"
Wednesday
Chetan Prakash commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"छोटी बह्र  में खूबसूरत ग़ज़ल हुई,  भाई 'मुसाफिर'  ! " दे गए अश्क सीलन…"
Tuesday
Chetan Prakash commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"अच्छा दोहा  सप्तक रचा, आपने, सुशील सरना जी! लेकिन  पहले दोहे का पहला सम चरण संशोधन का…"
Tuesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service