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रमल मुरब्बा सालिम  

2122   2122

क्या  ज़माने आ गये हैं ?

बेशरम  शर्मा  गये  हैं  I

 

था  भरोसा बहुत उनका

वे मगर उकता गये हैं I

 

पोंछ लें आंसू कृषक अब 

स्वर्ण वे  बरसा गये हैं I

 

देखकर   अंदाज   तेरे

हौसले  मुरझा  गये है I

 

लाजिम है हो नशा भी

जाम जब टकरा गये हैं I

 

भौंकते थे जो कभी वह

महफ़िलों में छा गये है I

 

एक झटका था जरा सा

देश तक भहरा गये हैं I   

  

मर रह ही है देव नदियाँ

सिन्धु सब घबरा गये है I

(मौलिक व् अप्रकाशित )

 

 

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Comment

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Comment by Nilesh Shevgaonkar on June 10, 2015 at 11:32am

बहुत उम्दा प्रयास आ. डॉ साहब.. 
बे-शर्म ..सही होगा ..२२१ बाक़ी आ. गिरिराज जी कह ही चुके हैं..
वीनस जी से सहमत हूँ..
इस  प्रयास के लिए बधाई 

Comment by वीनस केसरी on June 10, 2015 at 1:21am

आदरणीय, सुन्दर ग़ज़ल के लिए बधाई

पोंछ लें आं/ सू कृषक अब

पोंछ २१  लें  २ आं २ / सू २ कृषक १२  अब २ = २१२२ / २१२२
इस मिसरे में मुझे कोई दिक्कत नहीं दिख रही है


Comment by Samar kabeer on June 9, 2015 at 11:50pm
आली जनाब गोपाल नारायन श्रीवास्तव जी,आदाब,आपकी ग़ज़ल बहुत पसंद आई,दिल से दाद क़ुबूल फ़रमाऐं ।

मतले में शब्द "बेशरम" एक तरह से सही है लेकिन सही शब्द "बेशर्म " है,बाक़ी इस्लाह जनाब गिरिराज भंडारी जी कर ही चुके हैं ।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on June 9, 2015 at 3:07pm

आदरणीय बड़े भाई , छोटी बहर मे आपने ग़ज़ल खूब कही है , दिली बधाइयाँ स्वीकार करें ।  कुछ शे र शब्दों की वर्तनी  गज़ल ले लेने से बे बहर हो गये हैं ---- 

1- था  भरोसा / बहुत उनका     2122   / 1222   बहुत 12        था बहुत उनका भरोसा - किया जा सकता है 

2- पोंछ लें आं/ सू कृषक अब     2122   / 1222  कृषक 12        अब कृषक लें पोछ आँसू  - किया जा सकता है 

3- लाजिम है हो / नशा भी       22 12 , या 22 11 या 2221 /  122      लाजिम को 22 ही लेना पड़ेगा  है या हो की मात्रा गिरायी जा सकती है , जहाँ ज़रूरत हो ।     अब नशा हो , है ज़रूरी  - किया जा सकता है  । सादर !

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