For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

रमल मुसम्मन सालिम

2122  2122  2122  2122   

  

खो गए जो मीत बचपन के सिकंदर याद आते

ध्यान में  आह्लाद के सारे  समंदर याद आते

 

गाँव की भीगी हवा आषाढ़ के वे दृप्त बादल

और पुरवा के  उठे मादक  बवंडर याद आते  

 

आज वे  वातानुकूलित  कक्ष में  बैठे हुए हैं   

किंतु मुझको धूप में रमते कलंदर याद आते

 

नित्य गोरखधाम में है गूँजती ‘आदित्य’ वाणी

देश को पर नाथ उन्नायक मछंदर याद आते

 

क्षिप्र-गति से छा गया है विश्व में लिव-इन रिलेशन

और हमको देवियों  के वे स्वयंवर याद आते

 

नग्नता की बात हमसे फिल्म वाले क्या करेंगे

क्या नहीं उनको कभी नागा दिगंबर याद आते

 

हो चुका है देश का नेतृत्व  अब इतना विषैला   

आज जनता को नहीं विषधर भयंकर याद आते

 

बूँद तक आकाश से टपकी नहीं आसाढ़ बीता  

गाँव की  वर्षा प्रथम  के वे दवंगर याद आते

 

है हुए कुछ  ध्वस्त  ऐसे  आस्था  प्राकार सारे

भक्त-भावक को नहीं गणपति शुभंकर याद आते  

---------------------------------------------------------------------------------

दवंगर -वर्षा ऋतु के आरंभ में होनेवाली झड़ी । उ०बिहरत हिया करहु पिउ टेका । दीठि दवँगरा मेरवहु एका ।जायसी । (शब्द०) । २. वर्षा के आरंभ में पानी का कहीं कही एकत्र होकर धीरे धीरे बहना । (बुंदेल०)

(मौलिक व् अप्रकाशित )

Views: 959

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on July 4, 2015 at 8:43pm

अभ्यास के तौर पर बेहतर प्रस्तुति हुई है, आदरणीय गोपाल नारायनजी. शुभ-शुभ

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on June 25, 2015 at 9:59am

आ० वामनकर जी

आपका आभार .


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on June 25, 2015 at 2:41am

बहुत बेहतरीन ग़ज़ल हुई है, आदरणीय गोपाल नारायन सर, सभी अश’आर बहुत अच्छे  हुए हैं। दिल से दाद कुबूल कीजिए. 

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on June 14, 2015 at 9:08pm

प्रिय कृष्णा

सादर आभार .

Comment by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on June 14, 2015 at 8:49pm

आ० गोपाल सर,बहुत बेहतरीन गजल हुयी है,शेर दर शेर कमाल देख रहा हूँ!अभिनन्दन!

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on June 13, 2015 at 4:44pm

आ० धर्मेन्द्र जी

आपका बहुत बहुत शुक्रिया .

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on June 13, 2015 at 4:05pm
बहुत खूब आदरणीय गोपाल नारायन जी, अच्छे अश’आर हुए हैं। दाद कुबूल कीजिए
Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on June 13, 2015 at 12:47pm

आ० अनुज

आपका अनुमोदन , बस आत्म मुग्ध हूँ .

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on June 13, 2015 at 12:45pm

आ० सुनील जी

आपका सादर   आभार .  .

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on June 13, 2015 at 12:44pm

आ० वीनस केसरी  जी

आपसे तो बड़े गजलकार भी घबराते हैं , आपके अनुमोदन से लगता है सही राह पर चल रहा हूँ . इससे बड़ा संतोष मेरे लिए और कुछ नहीं हो सकता .  सादर .

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आदरणीय लक्ष्मण भाई अच्छी ग़ज़ल हुई है , बधाई स्वीकार करें "
8 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post पूनम की रात (दोहा गज़ल )
"आदरणीय सुरेश भाई , बढ़िया दोहा ग़ज़ल कही , बहुत बधाई आपको "
8 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीया प्राची जी , ग़ज़ल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका हार्दिक आभार "
8 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"सभी अशआर बहुत अच्छे हुए हैं बहुत सुंदर ग़ज़ल "
Wednesday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

पूनम की रात (दोहा गज़ल )

धरा चाँद गल मिल रहे, करते मन की बात।जगमग है कण-कण यहाँ, शुभ पूनम की रात।जर्रा - जर्रा नींद में ,…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी

वहाँ  मैं भी  पहुंचा  मगर  धीरे धीरे १२२    १२२     १२२     १२२    बढी भी तो थी ये उमर धीरे…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , उत्साह वर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार "
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"आ.प्राची बहन, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार।"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"कहें अमावस पूर्णिमा, जिनके मन में प्रीत लिए प्रेम की चाँदनी, लिखें मिलन के गीतपूनम की रातें…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"दोहावली***आती पूनम रात जब, मन में उमगे प्रीतकरे पूर्ण तब चाँदनी, मधुर मिलन की रीत।१।*चाहे…"
Jul 12
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"स्वागतम 🎉"
Jul 12
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

१२२/१२२/१२२/१२२ * कथा निर्धनों की कभी बोल सिक्के सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के।१। * महल…See More
Jul 10

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service