For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

हजज  मुरब्बा सालिम     

1222            1222

 

खुदा से जो भी डरता है

खुदा को  याद करता है

 

समय  है  जानवर ऐसा

जरा  धीरे से  चरता है

 

कृषक की छातियाँ देखो

पसीना  नित्य  झरता है

 

बिछे  जब राह  में काँटे

पथिक पग सोंच धरत़ा है

 

भला है  जानवर  उससे

उदर  जो आप  भरता है

 

अमर  तो  है  वही बेटा

वतन पर सद्य मरता है

क्षरण तो है यहाँ निश्चित

विहँस कर काल छरता है

 

खजाना आँख का है यह  

कभी मोती  सा ढरता है

 

नदी गंगा का यह पानी

बिना  तारे  न तरता है 

 

बरत  वैसा  न  पायेंगे

जहाँ  ने  जैसा बरता है

 

रहा  मनहर  हमेशा जो

वही इस मन को हरता है  

(मौलिक व् अप्रकाशित )

Views: 841

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on June 25, 2015 at 9:52am

आ० वामनकर जी

आपका आभार .


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on June 25, 2015 at 3:50am

बरत  वैसा  न  पायेंगे

जहाँ  ने  जैसा बरता है

ये शेर बस वाह वाह वाह 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on June 25, 2015 at 3:50am

कमाल कमाल कमाल 

आदरणीय गोपाल नारायण सर 

बहुत ही बेहतरीन और उम्दा ग़ज़ल हुई है 

छोटी बह्र में में आपने शानदार ग़ज़ल कही है 

दाद दाद दाद

ढेर सारी दुआ 

आप ऐसे ही बेहतरीन गज़लें लिखते रहे 

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on June 17, 2015 at 2:38pm

आ० आशुतोष जी

आपका सादर आभार .

Comment by Dr Ashutosh Mishra on June 17, 2015 at 1:47pm

आदरणीय गोपाल सर जीवन दर्शन से जुड़े तमाम पहलुओं का बखूबी चित्रन करती इस शानदार रचना के लिए आपको ढेर सारी बधाई ..सादर प्रणाम के साथ 

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on June 16, 2015 at 9:10pm

आ० निकोर जी

अभी सीख रहा हूँ आदरणीय . ससम्मान .

Comment by vijay nikore on June 16, 2015 at 6:32pm

गज़ल बहुत अच्छी लगी। बधाई, आदरणीय भाई गोपाल नारायन जी।

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on June 16, 2015 at 4:10pm

आ० समर कबीर साहिब

आप बेवजह परेशान है .यहाँ हम सबसे गल्तियां  होती हैं और हम सब बैठकर उसे सही भी करते हैं . आपकी महारत से सब वाकिफ है आप निर्द्वंद मेरी रचनाओं पर अपनी  राय देते रहे . सादर.

Comment by Samar kabeer on June 16, 2015 at 2:37pm
आली जनाब डॉ गोपाल नारायन श्रीवस्ताव जी,आदाब,
"बक रहा हूँ जुनूँ में क्या क्या कुछ
कुछ न समझे ख़ुदा करे कोई"

जनाब वीनस जी की प्रतिक्रिया से होश आया,वाक़ई मैंने अरकान सुने बग़ैर इस्लाह शुरू कर दी,ज़िन्दगी में पहली बार ऐसी भूल हुई है,मैं आपसे बहुत शर्मिंदा हूँ और मुआफ़ी चाहता हूँ ।
Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on June 16, 2015 at 12:53pm

आ० चाहं जी

आभार स्वीकारें, कृपया .

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 186 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का मिसरा आज के दौर के…See More
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"  क्या खोया क्या पाया हमने बीता  वर्ष  सहेजा  हमने ! बस इक चहरा खोया हमने चहरा…"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"सप्रेम वंदेमातरम, आदरणीय  !"
yesterday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
Friday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
Friday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Wednesday
anwar suhail updated their profile
Dec 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Dec 5
ajay sharma shared a profile on Facebook
Dec 4
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Dec 1
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service