For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

बह्र : २२ २२ २२ २

 

पैसा जिसे बनाता है

उसको समय मिटाता है

 

यहाँ वही बच पाता है

जिसको समय बचाता है

 

चढ़ना सीख न पाये जो

कच्चे आम गिराता है

 

रोता तो वो कभी नहीं

आँसू बहुत बहाता है

 

बच्चा है वो, छोड़ो भी

जो झुनझुना बजाता है

 

चतुर वही इस जग में, जो

सबको मूर्ख बनाता है

-----------

(मौलिक एवं अप्रकाशित)

Views: 629

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on July 6, 2015 at 6:13pm

बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय सौरभ जी


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on July 4, 2015 at 8:47pm

उम्दा ग़ज़ल हुई है, आदरणीय धर्मेन्द्रजी. शुभ-शुभ

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on June 27, 2015 at 10:20am
बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय मिथिलेश जी

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on June 25, 2015 at 2:45am

आदरणीय बड़े भाई धर्मेन्द्र जी बहुत बढ़िया ग़ज़ल हुई है 

दिल से दाद कुबूल फरमाएं.....

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on June 13, 2015 at 4:05pm
बहुत बहुत शुक्रिया जनाब समर साहब
Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on June 13, 2015 at 4:03pm
बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय सुनील जी
Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on June 13, 2015 at 4:02pm
बहुत बहुत शुक्रिया आ. गिरिराज जी
Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on June 13, 2015 at 3:57pm
शुक्रिया वीनस भाई
Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on June 13, 2015 at 3:57pm
बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय गोपाल नारायन जी
Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on June 13, 2015 at 12:45pm
बहुत बहुत शुक्रिया आ. विजय शंकर जी

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

पूनम की रात (दोहा गज़ल )

धरा चाँद गल मिल रहे, करते मन की बात।जगमग है कण-कण यहाँ, शुभ पूनम की रात।जर्रा - जर्रा नींद में ,…See More
9 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी

वहाँ  मैं भी  पहुंचा  मगर  धीरे धीरे १२२    १२२     १२२     १२२    बढी भी तो थी ये उमर धीरे…See More
9 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , उत्साह वर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार "
10 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"आ.प्राची बहन, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार।"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"कहें अमावस पूर्णिमा, जिनके मन में प्रीत लिए प्रेम की चाँदनी, लिखें मिलन के गीतपूनम की रातें…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"दोहावली***आती पूनम रात जब, मन में उमगे प्रीतकरे पूर्ण तब चाँदनी, मधुर मिलन की रीत।१।*चाहे…"
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"स्वागतम 🎉"
Friday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

१२२/१२२/१२२/१२२ * कथा निर्धनों की कभी बोल सिक्के सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के।१। * महल…See More
Thursday
Admin posted discussions
Jul 8
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Jul 7
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण जी "
Jul 7
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण जी "
Jul 7

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service