" मम्मी , आज तो बहुत आसान टास्क मिला था मुझे स्कूल में ", मन्नू बोला ।
" अच्छा , क्या था , जरा मैं भी सुनूँ "।
मन्नू ने चहकते हुए कहा " घर की सबसे यूज़फुल और सबसे यूज़लेस चीज़ लिखना था "।
" सबसे यूज़फुल तो आप ही हो मम्मी "|
" और सबसे यूज़लेस चीज़ तो आपने कितनी बार बताया है ", दरवाजे पर स्तब्ध खड़े दादाजी अपनी उपयोगिता समझ गए थे ।
मौलिक एवम अप्रकाशित
Comment
बहुत बहुत आभार आदरणीय कृष्ण मिश्रा जान गोरखपुरी जी..
क्या बात है,लघुकथा का आपका अंदाज निराला है आ० विनय सर जी बधाई!
बहुत बहुत आभार आदरणीय जितेन्द्र पस्टारिया जी , आपका अनुमोदन मिलता है तो प्रसन्नता होती है..
कमाल की रचना. बड़ी छोटी सी बात में ,बहुत बेहतर लघुकथा लिखी आदरणीय विनय जी. बहुत बहुत बधाई प्रस्तुति पर
बहुत बहुत आभार आदरणीय डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव जी , आपका स्नेह है जो आपको इतना अच्छा लगता है । सादर आभार ..
आ० विनय जी
साधारण सी बात में भे आपकी प्रस्तुति नया फ्लेवर डाल देतीहै ------दरवाजे पर स्तब्ध खड़े दादाजी अपनी उपयोगिता समझ गए थे । सारी कथा इसी पंक्ति पर टिकी है . सुन्दर प्रस्तुति .
बहुत बहुत आभार आदरणीय वीर मेहता जी , आपने सचमुच बहुत बेहतरीन सुझाव दिया है । दरअसल मैंने भी इसके अंत को कई बार बदला , फिर भी सन्तुष्ट नहीं था । सादर धन्यवाद , ऐसे ही कीमती सुझाव देते रहिये..
बहुत बहुत आभार आदरणीया कान्ता रॉय जी , आप लोगों की टिप्पणी लिखने का उत्साह देती है..
बहुत उम्दा रचना आदरणीय विनय कुमार भाई जी... हार्दिक बधाई स्वीकार करे ..
// और सबसे यूज़लेस चीज़ तो आपने कितनी बार बताया है // के स्थान पर कुछ ऐसा भी हो तो .( एक सुझाव मात्र ) .....
//और सबसे यूज़लेस चीज़... ये तो आप दिन में कितनी बार बोलती है ना मम्मा //
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