For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

बदगुमानी ( लघुकथा )

" बहुत गुमान था तुमको सृजन पर , देखो मेरी ताक़त ", विनाश इतरा रहा था । पूरा इलाका तबाह हो गया था , दूर दूर तक कहीं जीवन का कोई नामोनिशान नज़र नहीं आ रहा था ।
लेकिन श्रृष्टि अभी भी मुस्कुरा रही थी " तुमने शायद पीछे मुड़ कर नहीं देखा "।
विनाश ने पलट कर देखा , उसका दर्प चूर चूर हो गया ।
एक नन्हीं सी कोंपल सृजन की विजय पताका फहरा रही थी , जीवन पुनः जीत गया था ।
मौलिक एवम अप्रकाशित

Views: 604

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by विनय कुमार on July 5, 2015 at 12:08pm

बहुत बहुत आभार आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी..


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on July 4, 2015 at 10:32pm

विनाश और सृजन सापेक्ष होते हैं..  लघुकथा के लिए शुभकामनाएँ

Comment by विनय कुमार on June 18, 2015 at 4:06pm

बहुत बहुत आभार आदरणीय शुभ्रांशु पाण्डेयजी , सादर आभार.

Comment by Shubhranshu Pandey on June 18, 2015 at 2:31pm

आदरणीय विनय जी, 

एक विस्फ़ोट हुआ था और ये ब्र्म्हाण्ड बना था. विनाश के बाद सृजन ये प्रकृति का नियम है.

विनाश के दर्प को चूर चूर करती एक सुन्दर लघुकथा. 

सादर.

Comment by विनय कुमार on June 14, 2015 at 11:52pm

बहुत बहुत आभार आदरणीय शशी बंशल जी..

Comment by विनय कुमार on June 14, 2015 at 11:51pm

बहुत बहुत आभार आदरणीय कृष्ण मिश्रा जान गोरखपुरी जी..

Comment by shashi bansal goyal on June 14, 2015 at 11:34pm
बहुत ही सुन्दर और सार्थक लघुकथा हुई है आद0 विनय सिंह जी ।
Comment by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on June 14, 2015 at 11:19pm

बहुत ही सुन्दर!हार्दिक बधाई आ० विनय सर!

Comment by विनय कुमार on June 14, 2015 at 12:22pm

बहुत बहुत आभार आदरणीय राजेश कुमारी जी , आपका अनुमोदन मिलता है तो प्रसन्नता होती है..

Comment by विनय कुमार on June 14, 2015 at 12:20pm

बहुत बहुत आभार आदरणीय जितेन्द्र पस्टारिया जी ..

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 186 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का मिसरा आज के दौर के…See More
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"  क्या खोया क्या पाया हमने बीता  वर्ष  सहेजा  हमने ! बस इक चहरा खोया हमने चहरा…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"सप्रेम वंदेमातरम, आदरणीय  !"
Sunday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
Friday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
Friday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Dec 10
anwar suhail updated their profile
Dec 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Dec 5
ajay sharma shared a profile on Facebook
Dec 4
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Dec 1
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service