2122 2122 2122 212
जिंदगी से जो चली अपनी ढ़िठाई दोस्तों
खाक में ही उम्र सारी यूँ बिताई दोस्तों
अम्न की वंशी बजाई और गाये गीत भी
नफरतों की होलिका हमने जलाई दोस्तों
जब कभी दुश्वारियाँ आयी हमारी राह में
एक माँ की ही दुआ फिर काम आई दोस्तों
दोस्ती है एक नेमत टूटना अच्छा नहीं
साथ चलने में कहाँ कोई बुराई दोस्तों
हो भला सबका यहाँ मेरी दुआ है बस यही
ना करें कोई भी मज़हब की लड़ाई दोस्तों
मौलिक व अप्रकाशित
Comment
इस प्रयास पर बातें बहुत अच्छी हुई हैं .. मेरी भी सुन लें. दोस्तों की जगह दोस्तो कर लें. ठीक न ?
आ. मिथिलेश जी ..देर से प्रतिउत्तर के लिए क्षमा चाहती हूँ । आपने जो त्रुटी बताई है उसके लिए आभारी हूँ..
..अभी सीख रही हूँ ... अाप सभी का सहयोग अपेक्षित है..सादर
आपका बहुत आभार आ. कांता जी
आदरणीया महिमा जी बढ़िया ग़ज़ल हुई है हार्दिक बधाई
मतले में लड़ाई/उड़ाई यानी ड़ाई बाकी में आई आई
सराहना के लिए आपका बहुत बहुत आभार आ. जान गोरखपूरी जी.
आदरणीय समर कबीर जी , पहले तो क्षमा चाहती हूँ इतनी देर बाद प्रतिउत्तर देने के लिए..मेरा इंटरनेट परसों बाधित रहा और कल सारा दिन और रात बंद । मोबाईल से ओपनबुक का पेज खुल नहीं पा रहा था ।
इस्लाह के लिए आपकी हृदय तल से आभारी हूँ... ठनी के जगह पर मैंने चली कर दिया है .क्या इससे दोष खत्म हो गया .बाकी अन्य त्रुटि को सही कर रही हूँ ..सादर
आपका बहुत बहुत आभार आ.वीनस केसरी जी..
आपका बहुत बहुत आभार आ. विजय शंकर जी, सादर
बहुत सुन्दर गजल हुयी है आ० महिमा श्री ज़ी! हार्दिक बधाई!
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online