For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

2122 2122 2122 212

जिंदगी से जो चली अपनी ढ़िठाई दोस्तों

खाक में ही उम्र सारी यूँ  बिताई दोस्तों

अम्न की वंशी बजाई और गाये गीत भी

नफरतों की होलिका हमने जलाई दोस्तों

जब कभी दुश्वारियाँ आयी हमारी राह में

एक माँ की ही दुआ फिर काम आई दोस्तों

दोस्ती है एक नेमत टूटना अच्छा नहीं

साथ चलने में कहाँ कोई बुराई दोस्तों

हो भला सबका यहाँ मेरी दुआ है बस यही

ना करें कोई भी मज़हब की लड़ाई दोस्तों

 

 मौलिक व अप्रकाशित

Views: 633

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on July 4, 2015 at 10:26pm

इस प्रयास पर बातें बहुत अच्छी हुई हैं .. मेरी भी सुन लें. दोस्तों की जगह दोस्तो कर लें.  ठीक न ?

Comment by MAHIMA SHREE on July 2, 2015 at 10:51pm

आ. मिथिलेश जी ..देर से प्रतिउत्तर के लिए क्षमा चाहती हूँ । आपने जो त्रुटी बताई है उसके लिए आभारी हूँ..

 ..अभी सीख रही हूँ ... अाप सभी का सहयोग अपेक्षित है..सादर 

Comment by MAHIMA SHREE on July 2, 2015 at 8:57pm

आपका बहुत आभार आ. कांता जी


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on June 25, 2015 at 2:58am

आदरणीया महिमा जी बढ़िया ग़ज़ल हुई है हार्दिक बधाई 

मतले में लड़ाई/उड़ाई यानी ड़ाई बाकी में आई आई 

Comment by kanta roy on June 16, 2015 at 7:30am
दोस्ती है एक नेमत टूटना अच्छा नहीं
साथ चलने में कहाँ कोई बुराई दोस्तों......... इन शेरों में आपने बहुत बडी बात कह दी है । बहुत खूब लिखे है आपने
Comment by MAHIMA SHREE on June 15, 2015 at 10:02am

सराहना के लिए आपका बहुत बहुत आभार आ. जान गोरखपूरी जी.

Comment by MAHIMA SHREE on June 15, 2015 at 10:01am

आदरणीय समर कबीर जी , पहले तो क्षमा चाहती हूँ इतनी देर बाद प्रतिउत्तर देने के लिए..मेरा इंटरनेट परसों बाधित रहा और कल सारा दिन और रात बंद । मोबाईल से ओपनबुक का पेज खुल नहीं पा रहा था ।

इस्लाह के लिए आपकी हृदय तल से आभारी हूँ...  ठनी के जगह पर  मैंने चली कर दिया है .क्या इससे दोष खत्म हो गया .बाकी अन्य त्रुटि को सही कर रही हूँ ..सादर

Comment by MAHIMA SHREE on June 15, 2015 at 9:53am

आपका बहुत बहुत आभार आ.वीनस केसरी जी..

Comment by MAHIMA SHREE on June 15, 2015 at 9:51am

आपका बहुत बहुत आभार आ. विजय शंकर जी, सादर

Comment by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on June 14, 2015 at 10:11pm

बहुत सुन्दर गजल हुयी है आ० महिमा श्री ज़ी! हार्दिक बधाई!

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . रिश्ते
"रिश्तों की महत्ता और उनकी मुलामियत पर सुन्दर दोहे प्रस्तुत हुए हैं, आदरणीय सुशील सरना…"
5 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहा दसक - गुण
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, बहुत खूब, बहुत खूब ! सार्थक दोहे हुए हैं, जिनका शाब्दिक विन्यास दोहों के…"
5 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post दीप को मौन बलना है हर हाल में // --सौरभ
"आदरणीय सुशील सरना जी, प्रस्तुति पर आने और मेरा उत्साहवर्द्धन करने के लिए आपका आभारी…"
6 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post दीप को मौन बलना है हर हाल में // --सौरभ
"आदरणीय भाई रामबली गुप्ता जी, आपसे दूरभाष के माध्यम से हुई बातचीत से मन बहुत प्रसन्न हुआ था।…"
6 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post दीप को मौन बलना है हर हाल में // --सौरभ
"आदरणीय समर साहेब,  इन कुछेक वर्षों में बहुत कुछ बदल गया है। प्रत्येक शरीर की अपनी सीमाएँ होती…"
6 hours ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
8 hours ago
Samar kabeer commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"भाई रामबली गुप्ता जी आदाब, बहुत अच्छे कुण्डलिया छंद लिखे आपने, इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।"
13 hours ago
AMAN SINHA posted blog posts
yesterday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . विविध

दोहा पंचक. . . विविधदेख उजाला भोर का, डर कर भागी रात । कहीं उजागर रात की, हो ना जाए बात ।।गुलदानों…See More
yesterday
रामबली गुप्ता posted a blog post

कुंडलिया छंद

सामाजिक संदर्भ हों, कुछ हों लोकाचार। लेखन को इनके बिना, मिले नहीं आधार।। मिले नहीं आधार, सत्य के…See More
Tuesday
Yatharth Vishnu updated their profile
Monday
Sushil Sarna commented on Saurabh Pandey's blog post दीप को मौन बलना है हर हाल में // --सौरभ
"वाह आदरणीय जी बहुत ही खूबसूरत ग़ज़ल बनी है ।दिल से मुबारकबाद कबूल फरमाएं सर ।"
Nov 8

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service