कुछ कहा भी नहीं कुछ सुना भी नहीं
वास्ता बीच अब कुछ रहा भी नहीं
वक्त मेरा समझिये हुआ है फ़िजूल,
प्यार उनकी नज़र में दिखा भी नहीं
कौन कहता यहाँ लोग मासूम हैं,
बात करते नहीं कायदा भी नहीं
है पड़ोसी मगर हाल तो देखिये
,बोलता भी नहीं जानता भी नहीं
फ़लसफ़े जिन्दगी के अजीबो गरीब,
अब कहो क्या लिखें कुछ नया भी नहीं
मुफ़लिसी से हुआ बेअसर ये सबू ,
जाम पर जाम पीकर नशा भी नहीं
तीरगी में जला होंसलों का दिया मन मुताबिक़ भले वो हवा भी नहीं. |
'राज', खुल कर करो प्यार संसार ये
, कुछ भला भी नहीं तो बुरा भी नहीं
------------------राजेश कुमारी 'राज'
Comment
बहुत- बहुत शुक्रिया आ० सौरभ जी,आप ग़ज़ल तक आये उसी के लिए शुक्रिया ------आप आयें हुजूर और वाह वाह करें ,'राज' ने ऐसा कुछ तो कहा भी नहीं.....हैं न ! :-))))))
ना, ये हुआ भी नहीं, ये जमा भी नहीं..
ये रुटीनी टाइप की ग़ज़ल हुई है, आदरणीया राजेश कुमारीजी.
हम सभी प्रस्तुतियों पर वाह-वाह कहाँ करते हैं.. हैं न ! .. ;-)))
सादर
दीदी फिर ऐसे भी कह सकते है -
केवल 'भले' कथ्य को कन्फ्यूज कर रहा है
मन मुताबिक़ भले ही हवा भी नहीं
मन मुताबिक़ भले वो हवा भी नहीं.--अर्थात मनमुताबिक चाहे वो हवा भी नहीं
बहुत बहुत शुक्रिया मिथिलेश भैया ,आपको ग़ज़ल पसंद आई |भैया बले तो नहीं लिख सकते बले मतलब जलने के अर्थ में आता है भले ये हो न हो ...इस द्रष्टिकोण से पढेंगे तो समझ जायेंगे भले शब्द तो हम दैनिक बोलचाल में बोलते आये हैं |
आदरणीया राजेश दीदी बेहतरीन फिल बदीह ग़ज़ल हुई है शेर दर शेर दाद कुबूल फरमाएं
तीरगी में जला हौसलों का दिया
मन मुताबिक बले वो हवा भी नहीं.
आ० हरिप्रकाश जी ,आपको ग़ज़ल पसंद आई मेरा लिखना सफल हुआ इस होंसलाफ्जाई का दिल से आभार .
फ़लसफ़े जिन्दगी के अजीबो गरीब,
अब कहो क्या लिखें कुछ नया भी नहीं
मुफ़लिसी से हुआ बेअसर ये सबू ,
जाम पर जाम पीकर नशा भी नहीं.........आनंद आ गया , हार्दिक बधाई आदरणीया राजेश कुमारी जी ! सादर
आ० गिरिराज जी,आपका बहुत- बहुत आभार ग़ज़ल आपको पसंद आई ,जिस मिसरे की बात आपने कही है सच में वो उस भाव से न्याय नहीं कर रहा अभी इसका निवारण यूँ सोचा है --
तीरगी में जला होंसलों का दिया
मन मुताबिक भले वो हवा भी नहीं.
आदरणीया राजेश जी , बहुत खूब सूरत ग़ज़ल हुई है , आपको दिली बधाइयाँ गज़ल के लिये ।
तीरगी में जला होंसलों का दिया
,जो बुझा दे उसे वो हवा भी नहीं. -- आदरणीया , भी नहीं को क्या संतुष्ट कर पाया आपका शे र एक बार और सोच लीजियेगा , सानी मे ऐसा अर्थ निकल रहा है कि आप को हसलों के दियों के न बुझने का मलाल है ,
दिल जलाया मेरा आज सोजे निहाँ
जो बुझा दे उसे वो हवा भी नहीं..... भाव ऐसा कुछ होना चाहिये था ।
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